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बिहार में हो रही Girls Trafficking, संगठित सिंडिकेट सक्रिय

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पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल में छह महीने पहले एक 14 वर्षीय लड़की की मुलाकात एक युवक से हुई। युवक ने प्यार का नाटक करते हुए उसे शादी का भरोसा दिलाया और फिर उसे दिल्ली लेकर गया, जहां उसे देह व्यापार के धंधे में धकेल दिया गया। उसके परिवार की तत्परता की वजह से वह उन तस्करों के कब्जे से मुक्त हो सकी।

बिहार में हो रही Girls Trafficking

यह मामला सिर्फ एक किशोरी तक सीमित नहीं है। भारत-नेपाल के सीमावर्ती जिलों में Girls के trafficking के लिए एक संगठित सिंडिकेट सक्रिय है। पिछले आधे साल में इन सीमावर्ती क्षेत्रों से 100 लड़कियां गायब हो चुकी हैं, जिनमें से 83 लड़कियां पूर्वी चंपारण से हैं, खासतौर पर रक्सौल अनुमंडल की। इनमें से केवल एक दर्जन ही लड़कियों को वापस लाने में सफलता मिली है।

मुक्त की गई लड़कियों की कहानी बेहद चौंकाने वाली है। मानव तस्कर उन्हें दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे शहरों में ले जाकर देह व्यापार में धकेल देते हैं। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी महिलाओं को पहुँचाया जाता है।

अधिवक्ता एसके झा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की

इस मुद्दे को लेकर मुजफ्फरपुर के अधिवक्ता एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। स्वयंसेवी संस्था प्रयास, जो मुक्त लड़कियों और उनके रेस्क्यू के लिए कार्य कर रही है, के अनुसार तस्करों के सदस्य नौकरी के अवसर, प्रेम और शादी का झांसा देकर लड़कियों को फंसाने का प्रयास करते हैं। ये धंधेबाज विशेष रूप से कमजोर तबके की लड़कियों को अपने निशाने पर रखते हैं।

इंटरनेट मीडिया का उपयोग करके लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है। तस्कर पहले सोशल मीडिया पर लड़कियों से दोस्ती करते हैं और फिर उन्हें बड़े शहरों में अच्छी नौकरी और बेहतर जीवन की आशा देते हैं। यह समस्या केवल गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अच्छे परिवारों की लड़कियां भी इस जाल में फंस रही हैं।

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