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SEDITION LAW: राजद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 10 मई को बड़ा फैसला
राजद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने के लिए एक्स आर्मी ऑफीसर ने दायर कीं याचिकाएं
SEDITION LAW: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट सेडीशन यानि राजद्रोह की वैधता को चुनौती देते हुए उसे खत्म करने के निर्देश देने की मांग संबंधी याचिकाओं पर मंगलवार 10 मई को सुनवाई जारी रखेगा। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इससे पहले मामलों को 5 या 7 न्यायाधीशों की बड़ी बेंच को रेफर करने के मुद्दे पर सुनवाई करेगा।
गौर करें तो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर याचिकाओं में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) के तहत प्राप्त अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार उल्लंघन करती है।
मंगलवार 10 मई को देशद्रोह की याचिकाओं पर फैसला
SEDITION LAW को लेकर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 -ए (राजद्रोह) की वैधता को चुनौती देते हुए उसे रद्द करने के निर्देश देने की मांग संबंधी याचिकाओं पर सर्वोच्च अदालत 10 मई को भी सुनवाई जारी रखेगा। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट पहले मामलों को 5 या 7 जजों की बड़ी बेंच को रेफर करने के मुद्दे पर सुनवाई करेगा। इस संबंध में शीर्ष अदालत ने जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को शनिवार तक का समय दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने एक सप्ताह का समय मांगा था।
बता दें कि केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का अतिरिक्त समय देने की सुप्रीम कोर्ट ने एससी से 4 मई को गुहार लगाई थी। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की स्पेशल बेंच ने 27 अप्रैल को सुनवाई करते हुए सरकार को 30 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने साथ ही इस मामले के निपटारे के लिए सुनवाई की तारीख 5 मई मुकर्रर करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा था कि एक साल से लंबित इस मामले में स्थगन आदेश की कोई अर्जी स्वीकार नहीं की जाएगी।
शीर्ष अदालत ने आज गुरुवार 5 मई को भी यही बात दोहराई। सरकार ने रविवार को एक नया आवेदन पत्र दायर कर कहा था कि जवाब तैयार है, लेकिन संबंधित अथॉरिटी से स्वीकृति मिलनी अभी बाकी है।
एक्स आर्मी ऑफीसर ने दायर कीं याचिकाएं
मैसूर स्थित मेजर जनरल (रिटायर्ड) एस जी वोम्बटकेरे, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया एवं अन्य की ओर से राजद्रोह कानून के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं की सुनवाई करते हुए (15 जुलाई 2021 को) राजद्रोह कानून के प्रावधान के दुरुपयोग पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। साथ ही सवाल करते हुए कहा था कि स्वतंत्रता के लगभग 75 वर्षों के बाद भी इस कानून की क्या ज़रूरत है?
सर्वोच्च अदालत ने विशेष तौर पर ‘केदार नाथ सिंह मामले (1962) में ये साफ किया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए के तहत केवल वे कार्य राजद्रोह की श्रेणी में आते है, जिनमें हिंसा या हिंसा को उकसाने के तत्व शामिल हों।