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Indigo फ्लाईट मामले में खुलासा, 50 करोड़ की डील
देश के एयरपोर्ट पे मचे हाहाकार के मामले में आखिरकार मोदी सरकार की पूरी कलई खुल के सामने आ गई है। आपको बता दें कि एक ओर जहां बड़ी खबर निकल के सामने आई है कि पूरे मामले में इलेक्ट्रोरल बॉन्ड का बड़ा खेल है। तो दूसरी ओर पीएम मोदी के एक बहुत खास आईएएस का इंडिगो (Indigo) में होने वाले सवालों के घेरे में वो आ गए हैं। और अभी कब तक जो भी माहौल देश की मीडिया बना रही थी कि पीएमओ जाग गया है। पीएमओ अगले 24 घंटे में कार्रवाई करने जा रहा है। यात्रियों के पैसे वापसी की नोटिस हो गई है। यह पूरा खेल पूरी तरह से एक्सपोज हो गया है और ना सिर्फ चंद्रबाबू नायडू के बहुत करीबी नागरिक उड्डयन मंत्री पे सवाल पे सवाल खड़े हो रहे हैं बल्कि इसके लिए सीधे तौर पे पीएम साहब को जिम्मेदार बताया जाने लगा है। कैसे पीएम साहब को इंडिगो की बुरी हालत का जिम्मेदार बताया जाने लगा है और कैसे पीएमओ के फर्जी माहौल का मामला एक्सपोज हो गया है।
पैसेंजर 5 दिन से बुरी तरीके से परेशान
सब कुछ आपको अपनी इस रिपोर्ट में बताएंगे। दोस्तों देश के एयरपोर्ट की हालत पिछले 5 दिनों से क्या है यह किसी से छुपी तो है नहीं। किसी विदेशी महिलाएं काउंटर पे चढ़ के प्रदर्शन कर रही है तो कोई एक पिता अपनी बेटी के लिए सेनेरी पैट के लिए रो-रो के चिल्ला रहा है और परेशान होता दिखाई दे रहा है। और यही नहीं देश के हवाई अड्डों की हालत इतनी खराब हो गई है कि 3 दिन से लोग अपने सामान का इंतजार कर रहे हैं और हवाई अड्डा ही उनका घर हो गया है। सब मिला के कहने का अर्थ सिर्फ और सिर्फ इतना है कि हवाई यात्रा करने वाले पैसेंजर 5 दिन से बुरी तरीके से परेशान हैं। लेकिन सरकार की ओर से कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जा सका है। चंद्रबाबू नायडू के जिम्मे नागरिक उयन विभाग पूरी तरह से फेल्योर साबित हुआ है। लेकिन अभी तक ना तो कहीं राम मनोहर नायडू दिख रहे हैं और ना ही इंडिगो पे कोई बड़ी कारवाई होती दिख रही है। इसके उलट दो दिन से माहौल बनाया जा रहा है कि पीएमओ एक्शन में आ गया है।
सबूत के सामने आते ही हड़कंप
कारवाई होने जा रही है। जवाब तलब कर लिया गया है। मीटिंग्स हो रही हैं। लेकिन अब तक कोई काम सामने नहीं आया है। यात्रियों की परेशानियां जस की तस बनी हैं। यात्री अभी भी हवाई अड्डों पे मारे-मारे फिर रहे हैं। बल्कि सुरक्षाकर्मी से कई जगह यात्रियों के सीधे मुकाबले भी देखने को मिल रहे हैं। लेकिन इसके बीच एक बड़ा खुलासा सामने आया है। वह यह कि अचानक पीएमओ के एक्टिव होने की जो खबरें सामने चलाई जा रही हैं वो कहीं ना कहीं भ्रामक बताई जा रही हैं। क्योंकि यह बात पूरी तरह से साफ हो चुकी है कि मोदी सरकार को या फिर उनके मंत्री सबको यह जानकारी पहले से जरूर रही होगी क्योंकि इसका एक बहुत बड़ा सबूत सामने आया है। सबूत यह है कि आपको बता दें कि इस सबूत के सामने आते ही हड़कंप मच गया है। ऐसे में यह बात पूरी तरह से साफ हो गई है कि मोदी सरकार को इस बात की हर हाल में जानकारी रही होगी क्योंकि मोदी सरकार के बहुत ही चहेते अफसर अमिताभ कांत इंडिगो के डायरेक्टर हैं।
अमिताभ कांत मोदी सरकार में नीति आयोग के सीईओ रहे
इसीलिए सरकार और खासतौर से पीएमओ और मोदी सरकार को इसकी जानकारी ना हो यह समझ में नहीं आता दिख रहा है। क्योंकि अमिताभ कांत कोई छोटे-मोटे अफसर नहीं है बल्कि यह साल 2016 से साल 2022 तक मोदी सरकार में नीति आयोग के सीईओ रहे हैं और यह मोदी के साथ सीधे टच में रहने वाले अफसरों में जाने जाते हैं। ऐसे में जब पिछले 6 महीने से नियम आने के बाद इंडिगो में ये खिचड़ी पक रही थी तो यह बात मुश्किल ही है कि पीएमओ या मोदी तक क्यों इसकी जानकारी नहीं होगी क्योंकि नियमों में बदलाव कोई अचानक नहीं हुआ है। इसके लिए इंडिगो समेत सभी एयरलाइंस को अच्छा खासा लगभग 11 महीने का समय मिला है। पांच ही दिन में इतनी बड़ी क्राइसिस कैसे खड़ी हो सकती है? यह सवाल अपने आप में बहुत गंभीर है। लेकिन अगर अमिताभ कांत जैसे लोग इंडिगो के डायरेक्टर हैं तो एक बात साफ तौर से साफ है कि यह बात पीएमओ के संज्ञान में जरूर होगी।
इंडिगो ने यह सब कुछ जानबूझ के किया
हालांकि जहां एक ओर इस तरह की बातें सामने आ रही हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस का दावा है कि इंडिगो ने यह सब कुछ जानबूझ के किया है। दावा किया जा रहा है कि इंडिगो ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बीजेपी को ₹50 करोड़ दिए थे। कांग्रेस का तो यहां तक कहना है कि इसी इलेक्ट्रोरल बॉन्ड की वजह से इंडिगो कारवाई नहीं हो रही है उस पे। और इंडिगो के हौसले इसी वजह से इतने ज्यादा बढ़ गए हैं क्योंकि जो कंपनी ₹50 करोड़ रुपए का चंदा देगी तो वो कंपनी अपनी मनमानी जरूर ही करेगी। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने क्या कि- यह आप सिर्फ क्यों कहते हैं इंडिगो का फेलियर? क्या उस सरकार का फेलियर नहीं है जिसने इंडिगो को एक तरह से मोनोपोलाइज करने दिया। एकाधिकार उसका बनने दिया। क्या सरकार का फेलियर नहीं है कि हफ्ते भर बाद सरकार जागी साहब नोटिस देने। लोगों की शादियां दूल्हा दुल्हन अपनी शादी पे नहीं जा पा रहे। यह स्थिति बना दी इस सरकार ने। और क्या आप भूल गए कि इसी साल सितंबर में मोदी जी के सबसे प्रिय ब्यूरोक्रेट अमिताभ कांत इंडिगो के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में आए हैं?
इंडिगो ने 50 करोड़ के लगभग बीजेपी को दिया
क्यों उनसे सवाल नहीं पूछे जाएंगे? आप भूल गए कि इलेक्ट्रोरल बॉन्ड में इसी इंडिगो ने 50 करोड़ के लगभग बीजेपी को दिया है। आपको लगता है बीजेपी इनका सामना कर पाएगी? आप भूल गए कि इंडिगो को 20 महीने मिले थे तैयारी करने में। नई गाइडलाइंस को स्वीकार करने में, उसके हिसाब से अपनी तैयारी करने में। फिर भी उन्होंने नहीं की। वह इसीलिए नहीं की क्योंकि इंडिगो को पूरा विश्वास है कि उसका बाल भी बांका इस सरकार के रहते हुए मोदी सरकार के रहते हुए कोई नहीं कर सकता। सुना आपने पवन खेड़ा का साफ तौर पे यह कहना है कि इंडिगो में बड़ा खेल है और यह अमिताभ कांत से लेके इलेक्ट्रोरल बॉन्ड इसके लिए कहीं ना कहीं बड़ा जिम्मेदार है। और अगर अमिताभ कांत जैसे मोस्ट सीनियर और काबिल अफसर इंडिगो के डायरेक्टर हैं तो कम से कम यह बात पूरी तरह से साफ हो जा रही है कि जानकारी तो सबकी थी। लेकिन कहीं ना कहीं इंडिगो को हर बार छूट दी जा रही है और शायद इंडिगो को अंदाजा हो गया था कि कुछ भी हो सकता है। उसका कोई हो सकता है कुछ भी हो जाए लेकिन इंडिगो ने सोचा होगा। कि उसका कोई बाल-बाका नहीं कर सकता। सरकार तो नहीं कर सकती है क्योंकि पीएम साहब के बहुत ही खास अफसर उनके डायरेक्टर हैं तो किसके हिम्मत इसकी इतनी हो जाएगी कि कारवाई करता लेकिन अब सब कुछ एक्सपोज हो जाने पे जिस तरह का माहौल बनाने का प्रयास मोदी सरकार कर रही है वो भी एक स्टंट है।
कांग्रेस का आरोप
शायद यह बात साफ दिखने लगी है। हालांकि कांग्रेस का एक और बड़ा आरोप है। कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पे बहुत ही ऐसी खबरें चलाई हैं जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह एक भयंकर साजिश है और पूरा खेल अडानी को दिए जाने का है। कांग्रेस का कहना है कि जिस दिन से एफएसटीसी की यह पायलटों की ट्रेनिंग का काम शुरू किया गया है, उसी दिन से पूरे देश में गोदी मीडिया यह अफवाह फैलाना शुरू कर दी है कि देश में पायलट की कमी हो गई है।
कहा जा रहा है कि यह वैसे ही है जैसे कि कोयला खदानों के संबंध में पहले प्रचारित किया गया था और बाद में कोयले की खदानें अडानी समूह को दे दी गई थी। हालांकि कुछ भी हो रहे पूरे मामले में कहीं ना कहीं एयरपोर्ट पे फंसे लोग बेहद परेशान हैं और ना तो राम मनोहर नायडू लोगों की सुध ले रहे हैं और ना ही पीएमओ के एक्शन में कुछ ऐसा हुआ है कि वो दिखाई देगी बड़ी कारवाई हुई है। ऐसे में साफ है कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ तो दाल में काला है।
जो दावे पवन खेड़ा की ओर से किए जा रहे हैं वो कहीं ना कहीं सच साबित होते दिख रहे हैं। पूरे मामले पे आपको क्या क्या लगता है आपको कि क्या जिस तरीके से इंडिगो में अमिताभ कांत जैसे तेजतर्रार अफसर हैं और नीति आयोग के सीईओ रहने वाले लोग शामिल हो किसी ना किसी की जानकारी सरकार को इसकी बात की नहीं थी कि किस तरीके से पिछले पांच दिन में अचानक इंडिगो ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं क्या इसमें कोई बहुत बड़ा खेल नहीं आपको दिखता है पीएमओ के एक्शन में आने की जो बात कही जा रही है क्या उसको पहले से एक्शन में नहीं होना चाहिए था?
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