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‘बच्चा गिराने की दवा’ का आरोप, प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज्योति सिंह का विस्फोटक बयान, क्या पवन सिंह की राजनीति पर असर पड़ेगा?

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क्या एक शादीशुदा रिश्ते की कड़वी सच्चाइयाँ चुनावी मैदान तक पहुंच सकती हैं? भोजपुरी स्टार और नेता पवन सिंह और उनकी पत्नी ज्योति सिंह के बीच चल रहा निजी विवाद अब कैमरों के सामने खुल चुका है। प्रेस कॉन्फ्रेंस, लाइव वीडियो, पुलिस की दखल, और राजनीतिक बयानों की बौछार, दोनों पक्षों से आरोप और जवाब। केंद्र में हैं ज्योति के गंभीर आरोप, जिनमें उन्होंने कहा कि उन्हें जबरन गर्भपात की दवा दी गई और विरोध करने पर टॉर्चर किया गया। दूसरी तरफ, पवन सिंह का कहना है कि यह सब राजनीति के लिए किया जा रहा है।

यह रिपोर्ट दोनों पक्षों के बयानों, घटनाओं की समयरेखा और इसके राजनीतिक असर को सरल भाषा में सामने रखती है।

‘बच्चा गिराने की दवा’ का आरोप: ज्योति सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ज्योति सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीधे और स्पष्ट शब्दों में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उनके पति पवन सिंह, जो खुद को बच्चे के लिए तरसता बताते हैं, वही उन्हें गर्भपात की दवाएं खिलाते थे। उनकी बातों में दर्द, गुस्सा और ठहराव, तीनों साफ दिखे।

  • उनके शब्द, जो चर्चा का केंद्र बने, थे, “जो इंसान बच्चे के लिए तरसता है, वो दवा नहीं खिलाता है अपनी पत्नी को।”
  • उन्होंने दावा किया कि उन्हें कई बार गर्भपात की दवाएं दी गईं, और एक मौके पर हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।
  • विरोध करने पर, उनके मुताबिक, उन्हें इतना मानसिक टॉर्चर किया गया कि उन्होंने नींद की गोलियां खा ली थीं।

उन्होंने इस घटना में मौजूद रहे कुछ लोगों के नाम भी लिए। उनके मुताबिक, रात 2 बजे पवन सिंह के भाई रानू भैया, और टीम के सदस्य दीपक भैया और विक्की जी उन्हें उठाकर अस्पताल ले गए। वहां उनका इलाज हुआ। वह कहती हैं कि वह अस्पताल का नाम और इलाज से जुड़ी बातें दिखा सकती हैं। जब उनसे पूछा गया कि कौन सी दवा दी जाती थी, उन्होंने साफ कहा कि यह गर्भपात की दवा थी।

घटनाक्रम को समझने के लिए यह क्रम देखें:

  • दवाएं लेने का दबाव, गर्भपात की दवा देने का आरोप
  • विरोध के बाद टॉर्चर, मानसिक तनाव
  • नींद की गोलियां खाना, तबीयत बिगड़ना
  • रात 2 बजे अस्पताल ले जाना, इलाज

ज्योति ने एक और सवाल उठाया। उनका कहना है कि उन्होंने 15 साल तक पार्टी में कार्यकर्ता के तौर पर काम किया, फिर भी उन्हें टिकट नहीं मिला। ऐसे में पवन सिंह पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने पूछा, “जो अपने लिए टिकट नहीं जुटा पाया, वो हमें टिकट कैसे दिलाएगा?”

विवाद कैसे कैमरों तक पहुंचा, घटनाओं की समयरेखा

यह विवाद नया नहीं है, लेकिन अब यह पूरी तरह सार्वजनिक हो चुका है। सोशल मीडिया पोस्ट, लाइव स्ट्रीम और प्रेस कॉन्फ्रेंस, सबका एक ही केंद्र रहा है, अपनी बात जनता तक पहुंचाना।

  • ज्योति लखनऊ पहुंचीं और पवन सिंह के घर के बाहर पहुंचकर बातचीत की कोशिश की।
  • वहां हंगामा हुआ, पुलिस आई, और ज्योति के मुताबिक उन पर जबरन एफआईआर कराई गई और उन्हें उठाने की कोशिश हुई।
  • ज्योति ने इसके वीडियो और तस्वीरें खुद पोस्ट कीं। वह रोती हुई नज़र आईं और बार-बार कहती रहीं कि वह सिर्फ अपने पति से मिलना और बात करना चाहती थीं।

लाइव वीडियो में उनका एक सवाल गूंजता रहा, “जो आदमी अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर पा रहा, वह समाज की सेवा क्या करेगा?” उन्होंने तीन बिंदु बार-बार दोहराए:

  1. पुलिस से धमकी और जबरन उठाने की कोशिश
  2. पवन सिंह के कुछ फैंस से मिली धमकियाँ
  3. उनकी मंशा सिर्फ बातचीत की थी

इस बीच, सोशल मीडिया पर लोगों ने पवन सिंह से जवाब मांगा और उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए। इसकी प्रतिक्रिया में पवन ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपना पक्ष रखा।

पवन सिंह का जवाब, राजनीतिक महत्वाकांक्षा का आरोप

पवन सिंह ने अपने बयान में कहा कि ज्योति का यह पूरा संघर्ष राजनीति के लिए है, ताकि वह चुनाव लड़ सकें। उन्होंने यह भी कहा कि ज्योति के पिता ने उनसे बात की थी। पवन के अनुसार, “पवन जी, आप हमारी बेटी को विधायिका बना दीजिए। इसके बाद आपको उसको रखना होगा, रखिएगा, छोड़ना होगा तो छोड़ दीजिएगा।” पवन ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि ज्योति टिकट के लिए इतना नीचे गिर सकती हैं।

इन आरोपों पर ज्योति ने दो टूक जवाब दिया। उनका कहना है कि पवन सिंह ने 10 से 15 साल तक पार्टी में काम किया, फिर भी अपने लिए टिकट नहीं जुटा सके। ऐसे में वह उनके लिए टिकट कैसे दिलाएंगे। साथ ही उन्होंने एक शर्त भी रखी, अगर पवन सिंह उन्हें खुले दिल से पत्नी के रूप में अपना लें, तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगी।

ज्योति ने यह भी कहा कि वह अपने बारे में सच्चाई बता रही हैं, बदनाम करने की कोशिश नहीं कर रहीं। वह सिर्फ अपना पक्ष रख रही हैं।

कराकाट से चुनाव की इच्छा, वजहें और भरोसे का सवाल

ज्योति ने साफ कहा कि वह बिहार की कराकाट सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। इसकी मुख्य वजहें उन्होंने खुद बताईं। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कराकाट में काफी प्रचार किया था, लोगों से जुड़ी थीं, और जनता के बीच काम किया था। उनके अनुसार, पवन सिंह चुनाव हारने के बाद कराकाट वापस नहीं गए, जबकि 2 लाख से ज्यादा लोगों ने उन्हें वोट दिया था। इसे उन्होंने मतदाताओं के भरोसे के साथ विश्वासघात कहा।

ज्योति की वजहें संक्षेप में:

कराकाट के लोगों से गहरी जुड़ाव और सक्रिय प्रचार का अनुभव
चुनाव हारने के बाद पवन सिंह का क्षेत्र में न जाना, जनता की नाराजगी
सवाल, “जो अपने वोटरों के लिए खड़ा नहीं हो सका, वह अपनी पत्नी के लिए क्या खड़ा होगा?”
यह सिर्फ राजनीति नहीं है। इस कहानी की जड़ निजी जिंदगी के उतार चढ़ाव में है। तलाक की कानूनी प्रक्रिया पहले से चल रही थी। ज्योति का कहना है कि लोकसभा चुनाव के वक्त पवन सिंह ने उन्हें वापस बुलाया। सार्वजनिक रूप से वीडियो बनवाकर उनकी मांग में सिंदूर भरा, साथ में रहने का वादा किया। उनके मुताबिक, चुनाव खत्म होते ही सब बदल गया। वह आरोप लगाती हैं कि चुनाव के बाद पवन सिंह किसी दूसरी महिला के साथ होटल गए। इस आरोप ने आग में घी का काम किया और विवाद और तेज हो गया।

ज्योति कहती हैं कि वह चुनाव सिर्फ महत्वाकांक्षा से नहीं, काम की भावना से लड़ना चाहती हैं। अगर पति उन्हें अपना लें, तो वह पीछे हट जाएंगी। यह बयान उनके निजी और राजनीतिक मोर्चे को एक करती है।

सुरक्षा का सवाल, Y+ कवर और ज्योति की आपत्ति

मामला गरम होने के बीच खबर आई कि पवन सिंह को Y+ सिक्योरिटी मिल गई है। मीडिया में यह भी कहा गया कि यह सुरक्षा ज्योति से जुड़े विवाद और संभावित खतरे के चलते दी गई। इस पर भी ज्योति ने सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, जब उन्हें पुलिस से धमकी मिल रही थी, जब उन्हें जबरन उठाने की कोशिश हो रही थी, जब फैंस उन्हें धमका रहे थे, तब उनकी सुरक्षा कहां थी।

उन्होंने अपने अस्पताल वाले अनुभव की याद दिलाई और कहा कि उन्हें जब टॉर्चर किया गया, तब किसी ने उनकी सुरक्षा की नहीं सोची। उनका सधे हुए लहजे में सवाल था, “अगर आप उन्हें सुरक्षा दे रहे हैं, तो मेरी सुरक्षा का क्या?”

उनके अनुसार, सुरक्षा समान रूप से दी जानी चाहिए। जब एक पक्ष को कवर मिला, तब दूसरे पक्ष की शिकायतें भी सुननी चाहिए थीं। यह सवाल अब सोशल चर्चा का भी हिस्सा बन गया है।

चुनावी असर, पवन सिंह की छवि और आगे की चुनौती

बिहार चुनाव पास आ रहे हैं। इस समय ऐसे गंभीर आरोप किसी भी सार्वजनिक चेहरे के लिए मुश्किल बन जाते हैं। चर्चा है कि पवन सिंह को आरा से टिकट मिल सकता है, लेकिन मौजूदा माहौल में जनता का मूड उनके लिए आसान नहीं दिखता। सोशल मीडिया पर सहानुभूति और गुस्सा, दोनों दिख रहे हैं। ज्योति के आरोपों को बहुत लोग सच्चाई के करीब मान रहे हैं, खासकर क्योंकि उन्होंने कई घटनाओं का क्रम, समय और गवाहों के नाम भी बताए।

ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह विवाद पवन सिंह की चुनावी संभावनाओं पर असर डालेगा। क्या पार्टी इस विवाद को देखते हुए रणनीति बदलेगी। क्या दोनों पक्ष कानूनी रास्ता चुनेंगे और बात कोर्ट में सुलझेगी।

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