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All Women Panel Manipur: ऑल वीमेंस पैनल मणिपुर हिंसा पीड़ितों के ज़ख्म भरने में कामयाब हो रहा है। डबल इंजन सरकार के फेल होने पर हिंसाग्रस्त मणिपुर के लिए ऑल वुमन पैनल वहां के पीड़ितों के लिए वरदान साबित हो रहा है। सुप्रीम की पहल से बनी ये कमेटी यहाँ के परेशान हाल लोगों के आँसू पोछने में कामयाब हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा के शिकार मणिपुर में वह शुरुआत कर दी जो राज्य और केंद्र सरकार मिलकर नहीं कर पाई। केंद्र की मोदी और राज्य की बीरेन सरकार जहां फेल कर गई, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के पुनर्निर्माण की कमान संभाली है।
उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की निगरानी में तीन महिला न्यायाधीशों के पैनल ने पीड़ित मणिपुर वासियों के हीलिंग टच का काम करना शुरू कर दिया है।
गौर करें तो पैनल में शामिल न्यायमूर्ति गीता मित्तल कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रही हैं। न्यायमूर्ति गीता के नेतृत्व में हाईकोर्ट से रिटायर्ड दो महिला न्यायमूर्ति शालिनी पी जोशी और आशा मेनन महिलाओं के पैनल को नेतृत्व कर रही हैं। तीन महिला न्यायाधीशों के पैनल ने पहली रिपोर्ट रख भी दी है।
मीडिया में आई इस रिपोर्ट के मुताबिक पैनल सार्वजनिक महत्व के और निजी हजारों दस्तावेजों को फिर से बनाने के लिए काम कर रहा है। इनमें लोगों के आधार कार्ड और मकान जमीन के दस्तावेज भी हैं।
माना जा रहा है कि महिलाएं मिलकर वहां की जनता में विश्वास पैदा कर सकेंगी। इसी की ख़ातिर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के बेंच ने संपूर्ण महिला पैनल बनाया है। सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच को चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ हेड कर रहे हैं।
मणिपुर विक्टिम कंपेनसेशन स्कीम एमवीसीएस को लोगों के घरों और धार्मिक स्थल के पुनर्वास का काम करना है। लोगों के मन में कानून और व्यवस्था के प्रति विश्वास पैदा हो, इसके लिए केवल महिलाओं के इस पैनल को काफी सफलता मिल रही है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने उत्तर पूर्व के 6 राज्यों के DGP से डीआईजी स्तर के एक-एक अधिकारी की मांग की है। इसके साथ साथ सीबीआई को भी एसपी और डीएसपी स्तर के अधिकारी मुहैया करने के लिए इन्हे कहा है ।
मणिपुर हमारे देश का संवेदनशील हिस्सा है और इस राज्य की बर्बादी के रास्ते विदेशी खतरे बढ़ सकते हैं। मणिपुर की बीरेन सरकार जहां फेल हो रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट बड़ी पहल कर लोगों के ज़ख्मों पर मरहम लगा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने मणिपुर राज्य सरकार ने लिखित रिपोर्ट रखी थी, जिसमें 3 मई से 31 जुलाई के बीच 107 मौत का जिक्र था। इन में 77 मर्डर के FIR दर्ज हुए थे।
राज्य सरकार की रिपोर्ट में ध्यान देने वाली बात यह है, कि बलात्कार के केवल एक मामले पर प्राथमिकी की दर्ज किए जाने की बात है। राज्य सरकार की रिपोर्ट में 4000 से ज्यादा लूट के मामले और 4700 घर तथा संपत्ति और 600 के करीब सार्वजनिक संपत्ति के बर्बादी की रिपोर्ट दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इन सब मामलों में राज्य सरकार को केवल निर्देश देकर अपना काम खत्म नहीं माना है। मणिपुर में लोगों के मन के अंदर के घाव को भरने तक के लिए शुरुआत कर दी है।
कार्यपालिका के काम करने के तरीके को न्याय संगत बनाए रखना के लिए मणिपुर में सुप्रीम कोर्ट की यह पहल बहुत ही महत्वपूर्ण है।
मणिपुर में लूटमार और अराजकता की जटिलता का पता हमें और आपको इसलिए भी चल रहा है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने वहां दखल दी है।
सीबीआई के ज्वॉइंट डायरेक्टर के साथ पूरी टीम काम करेगी। सीबीआई भी अब तक हजारों एफआईआर दाखिल कर चुकी है।
(इनपुट विमर्श न्यूज़)