Sen your news articles to publish at [email protected]
तस्करी के आरोपों में Ambani की वंतारा परियोजना, क्या SIT चौंकाने वाले सच उजागर करेगी?
जब ताकतवर परिवार भव्य परियोजनाएँ बनाते हैं, तो दुनिया देखती है। अपनी अपार संपत्ति के लिए मशहूर अंबानी परिवार ने वंतारा की स्थापना की है। आज तस्करी के आरोपों में Ambani की वंतारा परियोजना फंस गयी है। यह एक आलीशान पशु आश्रय स्थल है। यह ज़रूरतमंद जानवरों के लिए एक जगह है। हालाँकि, अब इस परियोजना की कड़ी जाँच हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया है। उन्होंने जाँच के लिए एक विशेष टीम बनाई है। वंतारा पर अवैध गतिविधियों और दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं। माधुरी नाम की एक हथिनी की कहानी इस विवाद के केंद्र में है। वंतारा तक उसकी यात्रा ने जनता में आक्रोश और कानूनी चुनौतियों को जन्म दिया है।
वंतारा की उत्पत्ति और विस्तार
वंतारा की शुरुआत जानवरों के लिए एक आश्रय स्थल के रूप में हुई थी। इन जानवरों को सर्कस और चिड़ियाघरों से बचाया गया था। कई जानवरों को दुर्व्यवहार और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। वंतारा उन्हें एक शानदार जीवन प्रदान करता है। यह अभयारण्य विशाल है। यह 1200 हेक्टेयर में फैला है। यह 1500 फुटबॉल मैदानों के लिए पर्याप्त जगह है। यहाँ 43,000 से ज़्यादा जानवर रहते हैं। ये 100 से ज़्यादा विभिन्न प्रजातियों के हैं। इनमें हाथी, शेर, बाघ, गैंडे और मगरमच्छ शामिल हैं।
अत्याधुनिक सुविधाएँ और दावे
वंतारा की सुविधाएँ काफ़ी प्रभावशाली हैं। यहाँ एक हाथी अस्पताल भी है। इस अस्पताल में उन्नत उपकरण हैं। इसमें एमआरआई और सीटी स्कैनर शामिल हैं। यहाँ हाथियों के लिए डायलिसिस की सुविधा भी उपलब्ध है। यह सचमुच जानवरों के लिए एक पाँच सितारा रिसॉर्ट जैसा लगता है। वंतारा के संचालक दावा करते हैं कि वे जानवरों को बचाते हैं। उनका कहना है कि ये जानवर खराब चिड़ियाघरों से आते हैं। कुछ जानवरों को दुर्व्यवहार की परिस्थितियों से बचाया जाता है। कुछ जंगल में घायल हो गए थे। कई जानवरों को अवैध वन्यजीव व्यापार से ज़ब्त किया गया था।
अंबानी परिवार की भागीदारी और जनता की धारणा
अंबानी परिवार इसमें गहराई से शामिल है। अनंत अंबानी वंतारा को अपना “ड्रीम प्रोजेक्ट” कहते हैं। परिवार के विवाह-पूर्व समारोहों में भी वंतारा को शामिल किया गया था। मेहमानों को अभयारण्य का भ्रमण कराया गया। इससे कई लोगों को परियोजना के व्यापक स्वरूप की झलक मिली। इसने पशु कल्याण के प्रति परिवार की प्रतिबद्धता को उजागर किया।
कानूनी कार्रवाई को जन्म देने वाले खतरनाक आरोप
गंभीर आरोपों ने वंतारा को सवालों के घेरे में ला दिया है। कई लोगों का मानना है कि जानवरों को अवैध रूप से प्राप्त किया गया था। इसमें हाथी भी शामिल हैं। वन्यजीव कानूनों के उल्लंघन के दावे हैं। 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लेख है। CITES जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन किया गया हो सकता है। कुछ लोगों ने पशुओं के साथ दुर्व्यवहार की रिपोर्ट दी है। प्रजनन प्रथाओं पर भी सवाल उठाए गए हैं। जामनगर की जलवायु को लेकर चिंताएँ हैं। यह कुछ पशु प्रजातियों के अनुकूल नहीं हो सकती है। धन शोधन के भी आरोप हैं। कार्बन क्रेडिट का दुरुपयोग एक और चिंता का विषय है। यह संरक्षण की आड़ में हो रहा है।
तस्करी के आरोपों में Ambani की वंतारा परियोजना
सर्वोच्च न्यायालय ने एक विशेष जाँच दल (SIT) का गठन किया है। यह दल सभी पहलुओं की जाँच करेगा। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर भी शामिल हैं। वह SIT का नेतृत्व करेंगे। न्यायमूर्ति राघवेंद्र चौहान भी इस टीम में शामिल हैं। वे दो उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले भी इसमें शामिल हैं। सीमा शुल्क सेवा अधिकारी अनीश गुप्ता भी एसआईटी का हिस्सा हैं। उनका काम हर विवरण की जाँच करना है। उन्हें वंतारा के कार्यों की सच्चाई उजागर करनी होगी। एसआईटी को 12 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देनी होगी। अदालत 15 सितंबर को मामले की फिर से सुनवाई करेगी।
पूर्व न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के नेतृत्व का महत्व
न्यायमूर्ति चेलमेश्वर की नियुक्ति महत्वपूर्ण है। वे सर्वोच्च न्यायालय की प्रक्रियाओं के बारे में मुखर रहे हैं। यह एक गहन और निष्पक्ष जाँच का संकेत देता है। उनके नेतृत्व में निष्पक्ष समीक्षा हो सकती है। जाँच गहन और व्यापक होने की उम्मीद है।
माधुरी का मामला: माधुरी का स्थानांतरण और स्थानीय विरोध
30 वर्षीय हथिनी माधुरी की कहानी केंद्र में है। उसे एक जैन मंदिर से स्थानांतरित किया गया था। यह महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था। यह स्थानांतरण वंतारा को किया गया था। मंदिर ट्रस्ट ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि माधुरी उनके धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा थीं। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने स्थानांतरण को मंज़ूरी दे दी। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस फ़ैसले को बरकरार रखा। हालाँकि, कोल्हापुर में हज़ारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने माधुरी की वापसी की माँग की। एक मौन मार्च निकाला गया। इस आयोजन ने काफ़ी ध्यान आकर्षित किया।
कानूनी चुनौतियाँ और सार्वजनिक जाँच
माधुरी के मामले पर जनता की प्रतिक्रिया बढ़ती गई। यह सोशल मीडिया पर एक गर्म विषय बन गया। समाचार चैनलों ने भी इस खबर को व्यापक रूप से कवर किया। लोगों ने वंतारा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उन्हें आश्चर्य हुआ कि माधुरी को ज़बरदस्ती क्यों स्थानांतरित किया गया। इससे वंतारा के लिए मुश्किलें बढ़ गईं। सर्वोच्च न्यायालय में दो याचिकाएँ दायर की गईं। वकील जया सुखिन और देव शर्मा ने इन्हें दायर किया। इनमें अवैध अधिग्रहण और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया। वित्तीय अनियमितताओं का भी ज़िक्र किया गया। माधुरी का मामला चर्चा का विषय बन गया।
सार्वजनिक आरोपों पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख
सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपों को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि ये समाचार और सोशल मीडिया से आए हैं। हालाँकि, न्यायालय ने कहा कि इन दावों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। एक स्वतंत्र जाँच ज़रूरी है। . इसके परिणामस्वरूप एसआईटी का गठन हुआ।
वन्यजीव तस्करी पर जर्मन मीडिया की रिपोर्टें
यह विवाद भारत से आगे भी फैला है। एक जर्मन अखबार ने वंतारा के बारे में खबर दी। उसने दावा किया कि वंतारा द्वारा विदेशी जानवरों की माँग अवैध व्यापार को बढ़ावा देती है। इसमें वेनेजुएला और अफ्रीका के जानवर भी शामिल हैं। वंतारा ने इन दावों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि सभी जानवरों को बचाया गया था। बाकी जानवर उचित परमिट के साथ आए थे।
एसआईटी के लिए पारदर्शिता और औचित्य का प्रश्न
अगर वंतारा इतना पारदर्शी है, तो एसआईटी क्यों? यह सवाल बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट का जाँच दल गठित करने का फैसला संदेह पैदा करता है। इससे संकेत मिलता है कि इसमें गंभीर मुद्दे हो सकते हैं।
अनंत अंबानी और रिलायंस फाउंडेशन को परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। यह एसआईटी के निष्कर्षों पर निर्भर करता है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो इससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है। उनका “ड्रीम प्रोजेक्ट” एक दुःस्वप्न बन सकता है। वंतारा ने कहा कि वे पूरा सहयोग कर रहे हैं। वे अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध हैं। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाज़ी पर संदेह है।
ज्वलंत प्रश्न: बचाव केंद्र या दिखावटी परियोजना?
क्या वंतारा एक सच्चा बचाव केंद्र है? या यह एक दिखावटी परियोजना है? यही मूल प्रश्न है। क्या अंबानी परिवार इस तूफ़ान का सामना कर पाएगा? क्या एसआईटी चौंकाने वाले सच उजागर करेगी?
निष्कर्ष
एसआईटी की रिपोर्ट 12 सितंबर तक आनी है। सुप्रीम कोर्ट 15 सितंबर को इसकी समीक्षा करेगा। वंतारा का भाग्य अधर में लटका है। एक शक्तिशाली परिवार की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
इसे भी पढ़ें – RSS की सीक्रेट मीटिंग, क्या मोदी-शाह का RSS के आगे झुकने का संकेत है?