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डॉ शमशीर वयालील: असली धर्म और फर्जी धर्माचार्य
भारतीय समाज में धर्म और मानवता का मेल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। कितने ही धार्मिक नेता और कथावाचक अपने झूठे खजाने और दिखावे में उलझे हुए हैं। इन सबके बीच, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने कर्म से सच का परिचय कराते हैं। यह लेख इसी बात पर केन्द्रित है कि कैसे सही धर्मुन्मुखी कर्म मानवता की सच्ची सेवा है। आखिर, असली धर्म क्या है, और इसे निभाने वाले कौन हैं?
धर्म और मानवता के बीच असली फर्क
धर्म का मकसद है इंसान को नींव देना। यह आत्मा की उन्नति और समाज में सद्भाव बनाने का काम करता है। धर्म अपने कर्मों से निभाए जाते हैं। पर क्या केवल पूजा-पाठ और दिखावे से ही सही धर्म का पालन हो सकता है? या फिर उसके पीछे मानवता का भी चेहरा होना चाहिए?
मानवता का सार्वभौमिक आधार
सच्चा धर्म है वह जो हर इंसान की मदद करे। इसमें कोई जाति, भाषा या धर्म का फर्क नहीं होता। मानवता सर्वोपरि है। सेवा और करुणा का भाव ही धर्म का असली रूप है। जब हम अपने कर्म से दूसरों की हिम्मत बनाते हैं, तभी हम सच्चे धर्म का पालन करते हैं।
धर्म और मानवता का तालमेल
धर्म का असली मकसद है समाज में सुधार लाना। यह सेवा, करुणा और सहानुभूति का मेल है। यदि धर्म का पालन कर हम मानवता की सेवा नहीं करते, तो वह बेकार है। सच्चे धर्म का अनुभव तभी होता है जब हम अपने कर्म से दूसरों के जीवन को संवारते हैं।
धर्म का धर्माचार्यों और कथावाचकों के प्रति झूठा मताधिकार
आज कई धर्माचार्य दिखावे और फर्जीवाड़े का सहारा ले रहे हैं। इनके पास न तो अपनी आत्मा है, न ही समाज के लिए कुछ करने का हौसला। ये खजाने और पद के पीछे भागते हैं।
- करोड़ों का साम्राज्य
- झूठे वादे और दिखावे
- जनता का भरोसा टूटना
प्रसिद्ध कथावाचकों और बाबाओं की आर्थिक स्थिति
कई बाबाओं और कथावाचकों की संपत्ति करोड़ों में पहुंच चुकी है। वे सिर्फ दिखावे और धन संचय में लगे हैं। क्या यही धर्म का असली मकसद है? या फिर वह समाज को सुधारने का माध्यम है? इन भृमियों ने समाज में भ्रष्टाचार और भद्दा दिखावा फैला दिया है।
धर्म का असली उद्देश्य
धर्म का मूल उद्देश्य है समाज को अच्छा बनाना, सेवा देना और करुणा का पाठ पढ़ाना। फर्जी धर्माचार्यों से हमें सावधान रहना चाहिए। वे हमारे असली धर्म का अपमान कर रहे हैं।
- मानवता की सेवा में गांधी और डॉ शमशीर की मिसाल
- महात्मा गांधी का मानवधर्म में विश्वास
गांधीजी ने हमेशा कहा कि धर्म है प्यार, सत्य और सेवा। उन्होंने अपने कर्म से दिखाया कि धर्म कहीं भी सिर्फ दिखावा नहीं। यह तो दूसरों की सहायता करने का नाम है।
डॉ शमशीर वयालील की मदद (Dr. Shamsheer Vayalil) और कार्य
अहमदाबाद विमान हादसे में वे पहली ही मदद के लिए आगे आए। उन्होंने 1 करोड़ रुपये की मदद दी। वह मदद सीधे पीड़ित परिवारों के खातों में पहुंचाई गई। उनका काम दिखाता है कि धर्म का मतलब है सेवा, कोई दिखावा नहीं।
वे अबू धाबी में रहते हैं। वहां से उन्होंने यह सहायता दी। इससे पता चलता है कि असली धर्म तो तब भी सामने आता है जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं।
उदाहरण: भ्रष्टाचार और भ्रामकता के विरुद्ध सच्चा धर्म
डॉ शमशीर वयालील (Dr. Shamsheer Vayalil) जैसे लोग हमें सिखाते हैं कि असली धर्म मानवता की सेवा है। जबकि फर्जी धर्माचार्य अपनी रईसियों का खजाना भरने में लगे रहते हैं।
आधुनिक युग में धर्म और मानवता का सही अनुपालन
धार्मिक नेताओं और समाज के लिए संदेश
सभी धर्मों को चाहिए कि वे सेवा और मानवता से जुड़ें। उनका कार्य समाज को बदलने का हो। फर्जी धर्माचार्यों से सावधान रहें। उनके लालच को पहचानें।
व्यक्तिगत और समाजिक स्तर पर उपाए
आप अपने जीवन में सबसे पहले मानवता की सेवा को प्राथमिकता बनाएं। अपने कर्म से दिखाएं कि धर्म का अर्थ सेवा है। अपने आसपास की समस्याओं का समाधान खोजें।
आदर्श उदाहरण और प्रेरणादायक कार्य
डॉ शमशीर जैसी हस्तियों से प्रेरणा लें। समाज में सच्चे धर्म और मानवता के कार्यों को बढ़ावा दें। उनके कार्य हमें बताते हैं कि धर्म का असली मकसद है सेवा और करुणा।
निष्कर्ष
धर्म का असली अर्थ है दूसरों की मदद, करुणा और सहयोग। फर्जी धर्माचार्यों से सतर्क रहें। समाज में सच्चे धर्म के नेताओं का सम्मान करें। हमें चाहिए कि हम खुद भी मानवता की सेवा को अपना धर्म बनाएं। तभी हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।
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