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Patna में Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया, संविधान व श्रमिक अधिकारों पर हमले का आरोप
पटना (Patna)। संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर (Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar) का 69वां महापरिनिर्वाण दिवस शनिवार को पटना में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन पटना नगर निगम चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ (एटक) के बैनर तले अजॉय भवन, लंगर टोली में किया गया।कार्यक्रम की शुरुआत डॉ अंबेडकर के तैलचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। इसके बाद सभा में वक्ताओं ने बाबा साहेब के जीवन, संघर्ष और विचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला।संघ के संरक्षक देवरत्न प्रसाद ने कहा कि बाबा साहेब को बचपन से ही छुआछूत और भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आजीवन इसके खिलाफ संघर्ष करते रहे। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर ने वंचित, शोषित और दलित समाज को संगठित कर उन्हें अधिकार दिलाने की ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी।संघ के महासचिव मंगर पासवान ने आरोप लगाया कि बाबा साहेब की देन संविधान के कारण ही दलित, शोषित और वंचित समाज को अधिकार मिले, लेकिन वर्तमान सरकार संविधान पर हमला कर आम लोगों के अधिकार छीनने का प्रयास कर रही है। उपमहासचिव सूरज राम ने कहा कि बाबा साहेब का मूल मंत्र था – “शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो” और इसे ही जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है।कार्यक्रम का संचालन करते हुए संघ के सचिव हरेंद्र बहादुर ने कहा कि महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर यह संकल्प लिया जाना चाहिए कि संविधान ने जो अधिकार दिए हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर खत्म नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने तमाम कठिन परिस्थितियों के बावजूद अनेक विषयों में उच्च डिग्रियां प्राप्त कर ज्ञान और संघर्ष, दोनों में मिसाल कायम की।अध्यक्षता कर रहे संघ के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने कहा कि डॉ अंबेडकर स्वतंत्र भारत के संविधान निर्माण की प्रमुख कड़ी रहे और देश के पहले कानून मंत्री बने। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार संविधान को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और आम जनता के साथ-साथ श्रमिकों के अधिकारों पर भी लगातार हमले हो रहे हैं।जितेंद्र कुमार ने कहा कि आज देश में सांप्रदायिक माहौल पैदा कर नफरत की राजनीति की जा रही है। उन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना को भारतीय इतिहास का “काला दिन” बताते हुए कहा कि उस दिन धार्मिक उन्माद के ज़रिए देश के लोगों में धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की साजिश की गई।उन्होंने आगे कहा कि आज 44 श्रम कानूनों को समाप्त कर 4 श्रम कोड लागू किए गए हैं, जो पूरी तरह श्रमिक विरोधी और मालिक पक्षीय नीतियां हैं। संघ ने एलान किया कि श्रमिक अधिकारों पर हमले के खिलाफ उनका संघर्ष जारी है और आगे भी जारी रहेगा।कार्यक्रम के अंत में बाबा साहेब के बताए मार्ग पर चलने और संविधान तथा श्रमिक अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया गया।
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