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Ban on election of MPs due to criminal case: अब दोषी पाए जाने वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लग सकती है. ऐसा कयास इसलिए लग रहा है क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस मामले में कोर्ट की मदद के लिए पीठ की ओर से नियुक्त न्याय मित्र यानी एमाइकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में इसका समर्थन किया है कि अगर कोई नेता दोषी है तो उसके चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चहिए.
कोर्ट को सौंपी इस रिपोर्ट में क्या है खास?
एमाइकस क्यूरी हंसरिया ने बताया कि दोषी ठहराए गए राजनेताओं के सजा की अवधि समाप्त होने के बाद अगले छह सालों तक चुनाव लडने पर अनिवार्य पाबंदी के बजाए आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट दागी या फिर दोषी सांसद और विधयकों के खिलाफ लंबित मामलों का तेजी से निपटाने की निगरानी भी कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुच्छेद 8 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है.
देश में बढ़ रही सांसद और विधायकों के खिलाफ गंभीर अपराध की संख्या
चिंताजनक बात यह है कि देशभर में सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या बढ़ी है. दरअसल, केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद स्थायी अयोग्यता धारण करने को हटाने का प्रावधान है. एमाइकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि धारा 8 के तहत अपराध को गंभीरता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है. लेकिन सभी मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्यता सिर्फ केवल छह वर्ष की अवधि के लिए है.
40% सांसदों के खिलाफ दर्ज है मुकदमे
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ki रिपोर्ट के मुताबिक देश के 763 सांसद में से 306 यानी 40 फीसदी सांसद पर क्रिमिनल केस दर्ज है. वहीं, लोकसभा के कुल 538 सांसदों में 232 और राज्यसभा के कुल 225 संसादी में 74 पर केस दर्ज है. कुल 194 सांसदों पर हत्या, अपहरण और महिलाओं के विरुद्ध अपराध शामिल है.
राज्यवार आंकड़ों की बात करें तो इस मामले में केरल के 29 में से 23 और बिहार 56 में से 41 सांसदों की संख्या के साथ सबसे आगे हैं. वहीं, सबसे अधिक बीजेपी के 385 सांसदों में से 139 सांसदों पर दर्ज है. दूसरे नंबर पर काँग्रेस के 81 मे से 43, आरजेडी के 6 में से 5 और आप के 11 में से 3 सांसदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है.