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Nitish Kumar के लिए बढ़ी मुश्किलें: क्या सम्राट चौधरी भी देंगे इस्तीफा?

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बिहार की राजनीति एक बार फिर गरम हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU में इस्तीफों और बगावत का दौर जारी है। वहीं विपक्ष और सहयोगी दल दोनों ही तरफ से दबाव बन रहा है।

इस्तीफों की झड़ी और नीतीश की परेशानी

जेडीयू के कई पदाधिकारियों के इस्तीफे के बाद अब पार्टी विधायक डॉ. संजीव कुमार को लेकर नई हलचल मच गई है। परबत्ता से विधायक डॉ. संजीव का राजद नेताओं से मिलना जेडीयू को बड़ा झटका देता दिख रहा है। खबर है कि वे तेजस्वी यादव के पाले में जाने की तैयारी कर रहे हैं। यह वही संजीव कुमार हैं, जिन्होंने पहले भी एनडीए सरकार को गिराने की कोशिश की थी और ईओयू की जांच तक झेल चुके हैं।

भाजपा-जेडीयू में सीट शेयरिंग का विवाद

उधर, भाजपा और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे को लेकर भी तलवारें खिंच चुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक बिहार चुनाव के लिए कुल 243 सीटों में से 203 सीटों पर भाजपा-जेडीयू मिलकर चुनाव लड़ेंगे जबकि बाकी 40 सीट सहयोगियों को दी जाएंगी। चिराग पासवान को 20 सीटें दी गई हैं, लेकिन उनका साफ कहना है कि 22 से कम सीटों में समझौता नहीं होगा।

सम्राट चौधरी और अशोक चौधरी पर सवाल

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और मंत्री अशोक चौधरी पर विपक्ष ने गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी को “सातवीं पास” और हत्या के मामले में आरोपी बताया है। वहीं अशोक चौधरी पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का आरोप लगाया गया है। केंद्रीय मंत्री रह चुके भाजपा नेता आर. के. सिंह ने भी इन आरोपों पर इस्तीफे की मांग कर दी है। अब सवाल उठ रहा है कि नीतीश कुमार, जो भ्रष्टाचार या आरोपों पर तुरंत एक्शन लेने के लिए जाने जाते हैं, इस बार क्यों खामोश हैं?

Kumar के लिए बढ़ी मुश्किलें: पीके और आर. के. सिंह का अटैक

प्रशांत किशोर लगातार जेडीयू और नीतीश के नेताओं पर हमला बोल रहे हैं। वहीं भाजपा के दिग्गज नेता आर. के. सिंह ने भी सम्राट चौधरी और अन्य मंत्रियों पर तगड़े सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि अगर आरोप झूठे हैं तो सबूत पेश करें, वरना इस्तीफा दें। यानि डिप्टी सीएम चौधरी की डबल फजीहत हो रही है—एक तरफ विपक्ष के वार, दूसरी तरफ सहयोगी भाजपा नेताओं का दबाव।

भाजपा प्रबंधन और अमित शाह की चुनौती

गृह मंत्री अमित शाह ने सीटों को लेकर मीटिंग जरूर की और फॉर्मूला भी फाइनल किया, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात काबू से बाहर दिख रहे हैं। बिहार चुनाव में एनडीए की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सर्वे रिपोर्ट्स में महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है, जबकि एनडीए पिछड़ रही है।

नीतीश कुमार के लिए मजबूरी की राजनीति?

नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप तो नहीं हैं, लेकिन उनकी पार्टी में भगदड़, सहयोगियों का दबाव और विपक्ष के हमले उनके लिए संकट का पहाड़ खड़ा कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार इस बार भी पलटी मारकर स्थिति संभालेंगे या राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा झटका खाएंगे?

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