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Bihar Chunav: NDA में शीट शेयरिंग को लेकर घमासान, चिराग की पार्टी ने Nitish को घेरा

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बिहार के राजनीतिक हलकों में एक शांत तूफ़ान की कल्पना कीजिए। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) या लोजपा-आर के एक प्रमुख नेता अरुण भारती ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट डाली है जिसने सभी को चर्चा में ला दिया है। बिना किसी का नाम लिए, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्ता पर पकड़ और एनडीए गठबंधन पर तीखा प्रहार किया है। यह सिर्फ़ बातचीत नहीं है—यह ज़्यादा सीटों की मांग और चिराग पासवान जैसे युवा नेताओं को बढ़ावा देने का प्रयास है। बिहार का चुनावी माहौल इस समय तनावपूर्ण है, और भारती के शब्द गठबंधन में दरार को उजागर करते हैं।

अरुण भारती के रणनीतिक दावे और ऐतिहासिक मिसालें

अरुण भारती बिना बात को बिगाड़े, बवाल मचाना जानते हैं। उनकी ताज़ा पोस्ट में आगामी चुनावों में लोजपा-आर की भूमिका को कम करके आंकने वाली मीडिया की बातों की आलोचना की गई है। उनका तर्क है कि लोग उनकी पार्टी को कमज़ोर समझते हैं क्योंकि राज्य विधानसभा में उसके पास कोई सीट नहीं है। लेकिन भारती इस बात को पलट देते हैं। वे असली जीत की ओर इशारा करते हैं ताकि दिखा सकें कि लोजपा-आर में दम है।

“सतही स्तर” की धारणा बनाम एलजेपी-आर की “असली ताकत”

भारती अपनी पार्टी के भविष्य पर सतही विचारों की आलोचना करते हुए शुरुआत करते हैं। वे कहते हैं कि मीडिया वाले लोजपा-आर को कम सीटें मिलने की बात कर रहे हैं। उनकी नज़र में यह बहुत आसान है। उनका मानना ​​है कि गठबंधन में कुछ लोग लोजपा-आर को छोटी भूमिकाओं में बाँधना चाहते हैं। कौन? वे नाम तो नहीं बताते, लेकिन इशारा साफ़ है—उनका निशाना नीतीश कुमार की टोली जैसे बड़े खिलाड़ी हैं।

यह विरोध अनायास नहीं है। भारती लोजपा-आर के मतदाताओं, खासकर युवाओं, के बीच वास्तविक आकर्षण पर ज़ोर देते हैं। बिहार की राजनीति ऐसे ही दावों पर फलती-फूलती है। अगर इसे नज़रअंदाज़ किया गया, तो एनडीए के अंदर और भी बड़े झगड़े भड़क सकते हैं। उनके शब्द सभी को याद दिलाते हैं कि गठबंधन पत्थर की लकीर नहीं होते।

मांगों के आधार के रूप में लोजपा-आर का चुनावी ट्रैक रिकॉर्ड

भारती अपनी बात को पुख्ता करने के लिए पिछले चुनावों के ठोस तथ्य पेश करते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों को ही लीजिए। सिर्फ़ दो सांसदों वाली पार्टी ने गठबंधन में 17 सीटें हासिल कीं। उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और अपनी काबिलियत साबित की। 2024 की बात करें तो एक सांसद वाले समूह को पाँच सीटें मिलीं—और वे सभी सीटें जीत गए। इससे पूरे गठबंधन का भरोसा बढ़ा।

ये उदाहरण दिल को छू जाते हैं। भारती इनका इस्तेमाल यह कहने के लिए करते हैं कि लोजपा-आर को टुकड़ों से ज़्यादा की ज़रूरत है। जिस पार्टी के कोई विधायक नहीं हैं, लेकिन मतदाताओं से उसका मज़बूत जुड़ाव है, उसे सीमित क्यों किया जाए? सम्मान की माँग करने का यह एक चतुर तरीका है। ऐसे आँकड़े उनके तर्क को पुष्ट करते हैं।

NDA में शीट शेयरिंग को लेकर घमासान

भारती पुराने समझौतों से लेकर आने वाले समय तक एक सीधी रेखा खींचते हैं। अगर दो सांसदों वाली पार्टी को पहले 17 सीटें मिली थीं, तो अब लोजपा-आर पर सीमा क्यों लगाई जा रही है? उनकी अपनी पार्टी की कहानी भी यही दर्शाती है। एक सीट से पाँच सीटों तक जीत—यह विकास का प्रमाण है। वे सीमाओं को व्यर्थ की बातें बताते हैं।

यह तुलना चुभती है। यह सीटों के बंटवारे में हो रही नाइंसाफी को उजागर करती है। लोजपा-आर सिर्फ़ मौजूदा सीटों के आधार पर नहीं, बल्कि प्रभाव के आधार पर निष्पक्ष चुनाव चाहती है। बिहार पर नज़र रखने वाले इसे नियमों को फिर से लिखने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं। क्या यह कारगर होगा? यह आगे की बातचीत पर निर्भर करता है।

युवा नेतृत्व का आह्वान: नीतीश कुमार की अनदेखी

भारती सीटों तक ही सीमित नहीं हैं। उनकी नज़र बिहार में शीर्ष पद पर है। उनके शब्द नीतीश के अतीत की तारीफ़ करते हैं, लेकिन बदलाव की ओर इशारा भी करते हैं। यह एक चतुराई भरा मिश्रण है—सम्मान और नए लोगों की तलाश का मिश्रण। चिराग पासवान यहाँ स्टार बनकर उभरे हैं।

भारती मानते हैं कि नीतीश कुमार ने 20 सालों में बिहार को ऊपर उठाया है। सड़कें बेहतर हुईं, स्कूल बढ़े—जिसकी जितनी तारीफ़ करनी चाहिए, उतनी है। लेकिन अब राज्य को और ऊपर उठने के लिए नई ऊर्जा की ज़रूरत है। उनका दावा है कि युवा नेता इसे आगे बढ़ा सकते हैं।

यह संतुलन चीज़ों को सुचारू बनाए रखता है। भारती सीधे हमलों से बचते हैं। इसके बजाय, वे प्रगति की ऐसी तस्वीर पेश करते हैं जिसमें युवाओं की ज़रूरत है। पुराने चेहरों से ऊब चुके कई मतदाता भी यही बात दोहरा सकते हैं।

स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ और शीर्ष पर “युवा हाथ” की आवश्यकता

भारती बिना किसी लाग लपेट के नीतीश के स्वास्थ्य पर बात करते हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री की उम्र और हालत स्थिर शासन को मुश्किल बना देते हैं। नेतृत्व में जोश भरने का समय आ गया है। कौन सही बैठता है? एक गतिशील व्यक्ति जो जहाज़ को आगे बढ़ा सके।

बिहार के युवा इस बदलाव के लिए लालायित हैं। भारती इसे रोज़गार और विकास जैसे वास्तविक मुद्दों से जोड़ते हैं। युवाओं को बागडोर सौंपने का उनका संकेत समयानुकूल लगता है। यह लोजपा-आर को दूरदर्शी बताता है।

अंतिम लक्ष्य: चिराग पासवान मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार

भारती कहते हैं, “लोजपा-आर का हर कार्यकर्ता बड़े सपने देखता है। वे किसी दिन चिराग पासवान को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। वे बिहार के युवाओं के लिए उम्मीद का चेहरा हैं।” भारती अक्सर यह बात दोहराती हैं और माहौल बनाती हैं।

चिराग की रैलियाँ उनके लिए जयकारों से गूंज रही हैं। दिल्ली से बिहार की जड़ों की ओर उनका रुख और भी जोश भर रहा है। भारती का यह प्रयास स्पष्ट करता है—लोजपा-आर, पासवान को भविष्य का नेता मानती है। यह महत्वाकांक्षा चुनावों से कहीं आगे तक जाती है; यह सत्ता की बात है।

सीट बंटवारे पर बातचीत: एलजेपी-आर का लचीला रुख

एनडीए में सीटों को लेकर बातचीत तेज़ हो गई है। भारती शांत लेकिन दृढ़ हैं। वे इंटरव्यू में किसी भी तरह के जाल से बचते हैं और विकल्प खुले रखते हैं। लक्ष्य? चाहे कोई भी समझौता हो, लोजपा-आर के लिए मज़बूती।

एक बातचीत में, उन्होंने भारती पर एक करारा प्रहार किया। अगर पाँच-पाँच के गणित से आपको 25 सीटें मिल जाएँ तो क्या होगा? उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बजाय, उन्होंने कहा कि उनका काम पार्टी का आधार बनाना है। सीटों की संख्या? यह चिराग को तय करना है।

यह चकमा चतुराई दिखाता है। यह कम संख्या में फंसने से बचाता है। भारती बेहतर प्रस्तावों के लिए दरवाज़ा खुला रखती है। एक पेचीदा गठबंधन में चतुर राजनीति।

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