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बिहार Deputy Chief Minister Vijay Sinha और MLC अजय सिंह के बीच गाली-गलौज: लखीसराय में चुनावी हंगामा

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चुनाव का दिन था। लखीसराय की सड़कों पर तनाव भरा माहौल। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा (Deputy Chief Minister Vijay Sinha) और आरजेडी के एमएलसी (MLC) अजय सिंह के बीच खुलेआम भिड़ंत हो गई। यह सब पहले चरण के मतदान के ठीक बीच में हुआ। एक तरफ डिप्टी सीएम का काफिला। दूसरी तरफ विपक्षी नेता की गाड़ी। गालियां गिनाई गईं। आरोप लगे शराब के नशे के। हम सब देखते रह गए। ऐसा दृश्य पहले कभी नहीं देखा। दिल दुखता है जब नेता इस तरह आमने-सामने आ जाते हैं। मतदाताओं का भरोसा डगमगाता है।

इस घटना ने पूरे बिहार को हिला दिया। पहले सिन्हा पर गोबर और जूते फेंके गए। अब यह नया विवाद। लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में दो बड़ी घटनाएं एक ही दिन। हम समझते हैं कि राजनीति में गर्मी तो रहती है। लेकिन यह स्तर गिरना दर्दनाक है। आइए जानते हैं पूरी कहानी।

डिप्टी सीएम सिन्हा के खिलाफ पहले की घटनाएं

लखीसराय में मतदान हो रहा था। अचानक खबर आई कि एक बूथ पर कब्जा हो गया। बीजेपी का पोलिंग एजेंट भगा दिया गया। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा को यह सूचना मिली। वे तुरंत बूथ की ओर निकले। लेकिन वहां हंगामा मच गया। उनके काफिले पर पत्थर बरसाए गए। गोबर फेंका गया। जूते उछाले गए। सिन्हा को पीछे हटना पड़ा। यह देखकर दुख होता है। एक बड़े नेता को इस तरह अपमानित होना। स्थानीय लोग डर गए। चुनावी माहौल बिगड़ गया।

पुलिस और अधिकारी पहुंचे। डीएम और एसपी ने हालात संभाले। चुनाव आयोग ने तुरंत नोटिस लिया। डीजीपी को कार्रवाई के आदेश दिए। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी। सिन्हा का गुस्सा शांत नहीं हुआ। वे आगे बढ़े। रास्ते में नया टकराव हो गया। हम सोचते हैं कि ऐसी हिंसा क्यों? मतदान शांतिपूर्ण होना चाहिए।

मुख्य टकराव: सिन्हा बनाम आरजेडी एमएलसी अजय सिंह

सिन्हा बूथ से लौट रहे थे। रास्ते में अजय सिंह का काफिला दिखा। नदियावा गांव के बूथ पर डिस्टर्बेंस की शिकायत थी। सिन्हा ने उनकी गाड़ी रोक ली। पूछा कि बूथ पर गुंडागर्दी क्यों कर रहे हो? अजय सिंह लखीसराय के ही हैं। वे एमएलसी हैं। दोनों एक ही जाति भूमिहार से ताल्लुक रखते हैं। लेकिन राजनीतिक दुश्मनी ने सब भुला दिया। सिन्हा ने कहा कि सिंह मतदाताओं को डरा रहे थे। शराब पीकर आक्रमक बने हुए थे।

टकराव तेज हो गया। गाड़ियों के बीच बहस छिड़ी। सैकड़ों लोग देख रहे थे। पुलिस वाले भी थे। लेकिन झगड़ा रुका नहीं। अजय सिंह ने सिन्हा को बाहरी कहा। कहा कि लखीसराय हमारी धरती है। तुम यहां क्यों घुस आए? सिन्हा ने जवाब दिया। कहा कि तुम हार के डर से बौखला गए हो। हम आरजेडी के गुंडों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। दिल को चुभता है यह सब। दो सम्मानित लोग इस तरह लड़ें।

कैमरे पर कैद विवादास्पद शाब्दिक जंग: नशे और गालियों के आरोप

वीडियो वायरल हो गया। सिन्हा चिल्ला रहे थे। कह रहे थे कि अजय सिंह शराब के नशे में हैं। गालियां दे रहे हो। तू-तड़ाक वाली बातें हो रही थीं। हम उन शब्दों को दोहरा नहीं सकते। लेकिन वे बहुत कठोर थे। अजय सिंह गाड़ी से उतरने की कोशिश कर रहे थे। सिन्हा के सुरक्षाकर्मी घेरे हुए थे। पुलिस ने उन्हें रोका। लेकिन गालियां रुकीं नहीं। सिन्हा बार-बार कहते रहे। जांच कराओ। यह नशे की हालत है।

अजय सिंह ने पलटवार किया। कहा कि सिन्हा दर्जनों गाड़ियों का काफिला लेकर घूम रहे हैं। उन्हें ऐसा करने का हक नहीं। तुम इस बार हार गए हो। जनता जमानत जब्त करा देगी। यह सुनकर सिन्हा और गुस्सा हो गए। हम समझ सकते हैं उनका गुस्सा। चुनाव में हार-जीत का डर सबको सताता है। लेकिन नशे का आरोप गंभीर है। क्या सच में ऐसा था? जांच जरूरी है।

टकराव में “बाहरी बनाम स्थानीय” की कहानी

अजय सिंह ने सिन्हा को लखीसराय का बाहरी बताया। कहा कि मोकामा से हो। यहां मत आओ। हम स्थानीय हैं। दोनों भूमिहार हैं। लेकिन राजनीति ने जाति को भुला दिया। सिन्हा ने कहा कि तुम बौखलाहट में ऐसा बोल रहे हो। हार का डर है। इसलिए बूथ पर जाओ। गुंडागर्दी करो। यह स्थानीय राजनीति का पुराना खेल है। बाहरी-भीतरी की लड़ाई। दुख होता है जब जाति का इस्तेमाल होता है। वोट के लिए।

वीडियो में साफ दिखा। अजय सिंह हाथ हिलाते हुए चिल्ला रहे थे। सिन्हा जवाब दे रहे थे। मीडिया वाले कैमरे चला रहे थे। सैकड़ों पुलिसकर्मी देख रहे थे। लेकिन हस्तक्षेप कम हुआ। सिन्हा के सुरक्षाकर्मी ही स्थिति संभाल रहे थे। हम सोचते हैं कि पुलिस क्यों चुप रही? चुनावी दिन पर कानून का क्या हुआ?

पुलिस हस्तक्षेप और चुनाव आयोग की निगरानी

हंगामे के बाद डीएम और एसपी पहुंचे। पहले बूथ पर भी वे गए थे। अब इस टकराव पर भी। चुनाव आयोग ने वीडियो देखा। डीजीपी को तुरंत कार्रवाई का आदेश दिया। सिन्हा सुरक्षित रहे। लेकिन अजय सिंह को रोका गया। पुलिस ने उन्हें गाड़ी में बिठाने की कोशिश की। झगड़ा शांत करने के लिए। हम देखकर राहत महसूस करते हैं। कम से कम हिंसा नहीं फैली।

सुरक्षा कर्मी ज्यादातर सिन्हा के थे। स्पेशल ब्रांच और सीआरपीएफ के जवान। वे काफिले को संभाल रहे थे। अजय सिंह के साथ स्थानीय पुलिस थी। लेकिन वे चुप रहीं। दिन के उजाले में यह सब हुआ। कोई छिपाव नहीं। हम उम्मीद करते हैं कि जांच निष्पक्ष हो। नेताओं को सजा मिले अगर गलती हो।

राजनीतिक शोअफ की दिखाई देना

यह टकराव कैमरों पर कैद हो गया। मीडिया रिपोर्टर वहां थे। वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गया। आमने-सामने दो धुरंधर। पहले चुनावों में आम लोग लड़ते थे। अब माननीय लोग। यह नया है। दुखद है। बिहार की राजनीति में ऐसा स्तर गिरना। हम सब चिंतित हैं। क्या यह मतदाताओं को डराएगा?

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