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Bihar elections 2025: दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान नीतीश-ललन सिंह मुलाकात, गठबंधन टूटने वाला है?
बिहार की राजनीति में तनाव बढ़ता जा रहा है। क्या नीतीश कुमार भाजपा को बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहे हैं? दूसरे चरण की वोटिंग के बीच ही उनके घर पर ललन सिंह से बंद कमरे में मीटिंग हुई। यह खबर सुर्खियां बटोर रही है। लोग सोच रहे हैं कि क्या गठबंधन टूटने वाला है। नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। ललन सिंह जेडीयू के नेता हैं। अमित शाह ने कहा था कि चुनाव के बाद सीएम का ऐलान होगा। नीतीश इस बात से नाराज बताए जा रहे हैं। आप भी महसूस कर सकते हैं कि यह कितना संवेदनशील समय है। बिहार के वोटरों को स्पष्टता चाहिए।
नीतीश-ललन सिंह मुलाकात: पर्दे के पीछे की हलचल
नीतीश कुमार के घर पर ललन सिंह की यह मीटिंग अचानक चर्चा में आ गई। यह घटना दूसरे चरण की वोटिंग के दौरान हुई। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इस मुलाकात का क्या मतलब है। हम समझते हैं कि राजनीति में ऐसी बातें कितनी तनावपूर्ण होती हैं।
बंद कमरे में बैठक का समय और महत्व
मीटिंग ठीक वोटिंग के बीच हुई। यह संयोग नहीं लगता। समय ऐसा था जब हर पल महत्वपूर्ण होता है। वोटिंग चल रही थी और नीतीश के घर चर्चा हो रही थी। इससे लगता है कि जल्दबाजी थी। बिहार की सियासत में ऐसा समय दुर्लभ होता है। आप कल्पना करिए कि कितना दबाव होगा नेताओं पर। यह मीटिंग गठबंधन की मजबूती को परख रही है।
ललन सिंह की भूमिका और नीतीश कुमार की नाराजगी
ललन सिंह जेडीयू के प्रमुख नेता हैं। अमित शाह के बयान का समर्थन उन्होंने किया था। नीतीश कुमार को यह पसंद नहीं आया। कहा जाता है कि वे नाराज हैं। हम देखते हैं कि कैसे छोटी बातें बड़े विवाद पैदा कर देती हैं। ललन सिंह मोदी के कार्यक्रमों में दिखे। लेकिन नीतीश अनुपस्थित रहे। यह बदलाव सबको दिखा। नीतीश की नाराजगी गहरी लगती है।
आधिकारिक चुप्पी और मीडिया का अनुमान
अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। मीटिंग का कारण स्पष्ट नहीं है। मीडिया अनुमान लगा रहा है। कुछ कहते हैं कि यह बड़ा कदम है। हम जानते हैं कि चुप्पी से अफवाहें फैलती हैं। लोग इंतजार कर रहे हैं। यह सन्नाटा राजनीति को और गर्म कर रहा है। वोटरों को सच्चाई चाहिए।
अमित शाह के बयान का नीतीश कुमार पर असर
अमित शाह का बयान गठबंधन में दरार डाल गया। चुनाव के बाद सीएम का फैसला होगा-यह बात नीतीश को चुभ गई। हम समझ सकते हैं कि नेताओं को सम्मान कितना जरूरी लगता है। जेडीयू और भाजपा के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
‘चुनाव के बाद सीएम पद’ की घोषणा का विवाद
शाह ने कहा कि वोटिंग के बाद ऐलान होगा। नीतीश चाहते थे पहले स्पष्टता। यह विवाद गठबंधन की रणनीति पर सवाल उठा रहा है। बिहार में सीएम का पद महत्वपूर्ण है। देरी से नीतीश असहज महसूस कर रहे हैं। हम सोचें कि अगर आपकी जगह होते तो क्या करते। यह राजनीतिक खेल है। लेकिन इसका असर आम आदमी पर पड़ता है।
सार्वजनिक उपस्थिति में बदलाव: मोदी कार्यक्रम में अनुपस्थिति
मोदी के कार्यक्रम में ललन सिंह गए। नीतीश नहीं पहुंचे। यह अनुपस्थिति संकेत दे रही है। पहले वे साथ नजर आते थे। अब फासला बढ़ गया। हम महसूस करते हैं कि रिश्ते टूटने के संकेत कैसे दिखते हैं। यह बदलाव गठबंधन को कमजोर कर सकता है। बिहार की जनता देख रही है।
सत्ता समीकरण में सम्मान की तलाश
नीतीश हमेशा से स्वतंत्र रहना चाहते हैं। भाजपा की केंद्रीय योजना से वे असहमत हैं। इतिहास में वे कई बार गठबंधन बदल चुके हैं। हम जानते हैं कि सम्मान के बिना रिश्ता नहीं चलता। नीतीश बिहार के लिए सोचते हैं। लेकिन उनकी स्वायत्तता पर दबाव है। यह संघर्ष गहरा है।
राजनीतिक अटकलों के दो प्रमुख परिदृश्य
लोग दो तरह की बातें कर रहे हैं। एक तरफ नीतीश का बड़ा कदम। दूसरी तरफ भाजपा का मनानेवाला प्रयास। हम देखें कि दोनों परिदृश्य क्या कहते हैं। बिहार की सियासत अनिश्चित है।
नीतीश कुमार की बड़ी राजनीतिक पहल
नीतीश शायद गठबंधन से अलग हो रहे हैं। यह मीटिंग जेडीयू की रणनीति तय करने के लिए हो सकती है। वे आंतरिक बैठक में योजना बना रहे होंगे। हम समझते हैं कि बदलाव का डर कितना बड़ा होता है। अगर ऐसा हुआ तो बिहार में हलचल मचेगी। नीतीश के समर्थक इंतजार कर रहे हैं। यह कदम उनका पुराना स्टाइल हो सकता है।
भाजपा की ओर से मनाने का प्रयास
भाजपा ने ललन सिंह को भेजा हो। वे नीतीश को मनाने की कोशिश कर रहे हों। गठबंधन स्थिर रखना उनका लक्ष्य है। हम देखते हैं कि मध्यस्थ कितने महत्वपूर्ण होते हैं। ललन सिंह भरोसेमंद हैं। अगर मन गए तो सब ठीक। लेकिन असफलता का डर भी है।
भाजपा-जदयू गठबंधन का भविष्य: जोखिम और दांव
गठबंधन का धर्म एकता है। लेकिन नीतीश के व्यक्तिगत हित अलग हैं। वे सीएम बने रहना चाहते हैं। भाजपा केंद्रीय नियंत्रण रखती है। हम महसूस करते हैं कि यह टकराव दुखद है। बिहार के विकास के लिए एकता जरूरी। लेकिन हितों का संघर्ष जारी है।
अगर नीतीश ने ‘गच्चा’ दिया तो क्या होगा? बिहार की राजनीति अस्थिर हो जाएगी। राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए प्रभावित होगा। हम जानते हैं कि जोखिम बड़ा है।
जदयू के आंतरिक मतभेद और ललन सिंह की स्थिति
गठबंधन टूटा तो सरकार बनाने में देरी। वोटिंग के बाद अराजकता फैलेगी। बिहार को स्थिर सरकार चाहिए। हम सोचें कि वोटर कितने परेशान होंगे। तुरंत नई रणनीति बनानी पड़ेगी। यह संकट टालना जरूरी है।
जेडीयू में मतभेद उभर रहे हैं। ललन सिंह की वफादारी पर सवाल। वे भाजपा के करीब दिखते हैं। नीतीश इसे पसंद नहीं कर रहे। हम समझते हैं कि पार्टी में एकता कितनी मुश्किल है। यह मीटिंग आंतरिक बहस सुलझा सकती है। ललन सिंह की भूमिका निर्णायक।
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