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Bihar Elections 2025: दुलारचंद की हत्या के बाद Prashant Kishor भड़के, सरकार को लताड़ा!

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बिहार के गांवों में युवा अब थक चुके हैं। सालों से वे घर छोड़कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जाते हैं। लेकिन अब बदलाव की हवा चल रही है। जन सुराज आंदोलन इस दर्द को समझता है। यह वादा करता है कि चुनाव के बाद कोई बेरोजगार युवा बाहर न जाए। क्या बिहार की जनता इस बार इतिहास रचेगी?

बिहार की राजनीति में उथल-पुथल: बदलते परिदृश्य

बिहार के युवा अब मजदूरी के घोड़े से तंग आ चुके हैं। वे चाहते हैं कि उनके कंधों पर स्कूल का बस्ता हो। जन सुराज इसी सपने को हकीकत बनाने का दावा करता है। यह बदलाव सिर्फ नारा नहीं, बल्कि जरूरी कदम है। बिहार के लाखों परिवार इसी उम्मीद में जी रहे हैं।

अशांति और आरोप: तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल

चुनाव से पहले हिंसा की खबरें आ रही हैं। मोकामा में जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव को गोली मार दी गई। ये घटनाएं दिखाती हैं कि दांव कितना ऊंचा है। जन सुराज की टीम मौके पर पहुंची। ज्यादा जानकारी मिलते ही बयान आया। यह माहौल बिहार की राजनीति को और गरम कर रहा है। युवा अब चुप नहीं रहेंगे।

जन सुराज का विजन: राज्य से बाहर काम की जरूरत खत्म

जन सुराज कहता है कि 14 तारीख के बाद सब बदल जाएगा। नई व्यवस्था बनेगी। कोई युवा 10-10 हजार की नौकरी के लिए बाहर न जाएगा। यह वादा बिहार के हर गांव तक पहुंचा है। छठ में जितने लोग घर लौटे, वे सब यहीं रहेंगे। बदलाव की यह समय सीमा लोगों को जोश भर रही है। क्या यह वाकई संभव है?

रोजगार सृजन के आंकड़े: ठोस लक्ष्य

जन सुराज का मुख्य लक्ष्य स्थानीय रोजगार है। हर बेरोजगार को कम से कम 10,000 रुपये की कमाई का वादा। यह आंकड़ा बिहार की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। युवा अब गांव में ही कमाई करेंगे। 50 लाख से ज्यादा युवा लौट चुके हैं। हर गांव में लड़के जिम्मेदारी ले रहे हैं। बदलाव होगा, चाहे कुछ भी हो जाए। यह योजना सिर्फ बातें नहीं, बल्कि योजना है।

युवा जुटाव: 50 लाख लौटे हुए

50 लाख से ज्यादा युवा गांव लौट आए। वे प्रवासन से तंग हैं। अब हर गांव में लड़के सक्रिय हैं। वे कहते हैं, बाहर मजदूरी नहीं करेंगे। बदलाव लाना है। यह संख्या बिहार की ताकत है। जन सुराज इसी ऊर्जा पर सवार है। युवा अब वोट से फैसला करेंगे।

  • लौटे युवा: 50 लाख का आंकड़ा।
  • गांव स्तर का जिम्मा: हर जगह सक्रियता।
  • प्रभाव: स्थानीय बदलाव की गारंटी।
  • वर्तमान राजनीतिक संदेशों की आलोचना
  • बाहरी टिप्पणियां जांचें: हयाघाट में भाजपा का रुख

राजनाथ सिंह ने हयाघाट में कहा। काम करें या न करें, अच्छे चरित्र वाले विधायक को वोट दो। बिहार को मजबूत करो, एनडीए को जिताओ। लेकिन जन सुराज कहता है, इससे मतलब नहीं। बिहार की जनता बेवकूफ नहीं। वे रोजगार चाहते हैं, न कि खाली नारे। यह टिप्पणी आर्थिक दर्द को नजरअंदाज करती है। युवा अब ऐसे संदेश ठुकरा रहे हैं।

मतदाताओं का पुरानी कहानियों को नकारना

बिहार की जनता ने मन बना लिया। इस बार वोट बच्चों के भविष्य के लिए। मजदूरी खत्म, शिक्षा बढ़े। लोकतंत्र में सब बोल सकते हैं। लेकिन फैसला जनता का है। ट्रांसक्रिप्ट में साफ है कि युवा तय कर चुके। पुरानी पार्टियां अब कामयाब नहीं होंगी। बदलाव की लहर मजबूत है।

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