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Bihar Elections 2025: अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान पर दबाव देने का आरोप: प्रशांत किशोर ने विस्फोटक दावे किये

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बिहार की राजनीति में तूफान आ गया है। प्रशांत किशोर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के इन नेताओं के दबाव से जन सुराज पार्टी के तीन प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिया। यह घटना बिहार चुनाव की जंग को और तेज कर रही है। जन सुराज एक नई पार्टी है जो प्रशांत किशोर ने बनाई है। वे पहले राजनीतिक रणनीतिकार थे। अब वे खुद मैदान में उतर आए हैं। यह टकराव दिखाता है कि नई ताकत पुरानी पार्टियों को कैसे चुनौती दे रही है।

प्रशांत किशोर का बीजेपी नेतृत्व पर सीधा हमला

प्रशांत किशोर ने राजधानी के शेखपुरा हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वहां उन्होंने बीजेपी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों ने प्रत्याशियों को धमकी दी। इससे नाम वापसी हुई। यह आरोप बहुत गंभीर हैं। किशोर ने तस्वीरें भी दिखाईं। उनमें प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्रियों की फोटो थी। इससे दबाव का सबूत मिलता है।

दबाव आरोपों में नामित विशिष्ट नेता

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नाम सबसे ऊपर आया। वे बीजेपी के बड़े नेता हैं। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर भी इल्जाम लगा। उन्होंने प्रत्याशियों से बात की। किशोर के मुताबिक यह बातचीत धमकी भरी थी। तस्वीरें दिखाती हैं कि मीटिंग हुई। लेकिन इसका नतीजा नाम वापसी था। यह बिहार की राजनीति में केंद्र की भूमिका को उजागर करता है।

मकसद: जन सुराज के बढ़ते प्रभाव से डर

किशोर ने कहा कि बीजेपी डर गई है। वे जन सुराज को वोट कटवा पार्टी कहते थे। अब यही पार्टी उन्हें सबसे ज्यादा चिंता दे रही है। डर से ही ऐसा दबाव डाला जा रहा है। पहले बीजेपी हंसती थी। अब वे घबरा गए हैं। जन सुराज की ताकत बढ़ रही है। यह बदलाव बिहार चुनाव के लिए बड़ा संकेत है।

कौन से जन सुराज प्रत्याशियों ने नाम वापस लिया?

किशोर ने तीन सीटों का जिक्र किया। वहां प्रत्याशियों ने नाम हटाए। यह घटना चुनाव की तारीख से ठीक पहले हुई। बिहार में ऐसी खबरें राजनीतिक हलचल पैदा करती हैं। प्रत्याशी डर के मारे पीछे हटे। लेकिन बाकी उम्मीदवार मजबूत खड़े हैं।

दबाव से नाम वापसी के दर्ज मामले

दानापुर, गोपालगंज और ब्रह्मपुर ये तीन सीटें हैं। वहां जन सुराज के प्रत्याशियों ने नाम वापस लिया। किशोर ने कहा कि यह डर की वजह से हुआ। केंद्र के मंत्रियों ने फोन किए। मीटिंग बुलाई। नतीजा यही निकला। इन सीटों पर चुनाव की जंग कड़ी है। नाम वापसी से बीजेपी को फायदा हो सकता है।

मजबूती: 240 प्रत्याशी अभी भी डटे हुए

तीन नाम हटे लेकिन 240 प्रत्याशी बाकी हैं। किशोर ने कहा कि हम हार नहीं मानेंगे। ये उम्मीदवार लड़ेंगे। जन सुराज का संगठन मजबूत है। यह संख्या दिखाती है कि पार्टी की जड़ें गहरी हैं। बिहार के गांवों तक पहुंच है। अब ये 240 लोग बीजेपी को चुनौती देंगे।

पीके की सशक्त मुद्रा और बीजेपी को चुनौती का वादा

प्रशांत किशोर ने डटकर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि धमकियां हमें नहीं डराएंगी। हम बीजेपी को हराएंगे। उनकी बातों में जोश है। यह भाषण समर्थकों को प्रेरित करता है। बावजूद चुनौतियों के वे आगे बढ़ रहे हैं।

जंग का नारा: “बीजेपी को हराएंगे”

किशोर ने कहा कि बीजेपी के दांत खट्टे कर देंगे। यह मजबूत शब्द हैं। इससे उनके आधार को ताकत मिलती है। लोग सोचते हैं कि नई पार्टी लड़ेगी। पुरानी ताकतों को चुनौती देगी। यह नारा बिहार की सड़कों पर गूंजेगा। समर्थक उत्साहित हो जाते हैं।

धमकियों के खिलाफ अटल प्रतिबद्धता

कितनी भी धमकी हो हम नहीं डरेंगे। किशोर का यह संकल्प साफ है। केंद्र की ताकत का सामना करेंगे। जन सुराज का लक्ष्य बिहार बदलना है। वे पीछे नहीं हटेंगे। यह रवैया पार्टी को मजबूत बनाता है।

ये आरोप बिहार चुनाव के माहौल को बदल रहे हैं। जन सुराज अब मुख्य खतरा बन गई है। बीजेपी की रणनीति पर सवाल उठे हैं। केंद्र की भूमिका भी चर्चा में है।

‘वोट कटवा’ से मुख्य खतरे तक: बीजेपी का पुनर्मूल्यांकन

बीजेपी जन सुराज को कमजोर समझती थी। अब वे डर रहे हैं। किशोर ने संगठन बनाया है। बिहार के हर कोने में पहुंच है। यह सफलता का निशान है। वोट कटवा से मुख्य दुश्मन बनना बड़ा बदलाव है। चुनाव पर असर पड़ेगा।

केंद्र के मंत्री राज्य के चुनावों में दखल देते हैं। यह लोकतंत्र के लिए सवाल खड़ा करता है। दबाव डालना सही नहीं। उम्मीदवारों को आजादी होनी चाहिए। बिहार जैसे राज्य में यह मुद्दा गर्म है। नैतिक सवाल उठते हैं।

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