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Bihar Elections 2025: CM Nitish के इस मंत्री ने वोटरों को धमकाया, लोगों का फूटा गुस्सा

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बिहार चुनाव 2025 (Bihar Elections 2025) नजदीक आते ही हवा में तनाव फैल गया है। दो चरणों में होने वाले इन चुनावों के लिए नेता जमीन पर उतर आए हैं। लेकिन प्रचार के दौरान जनता का गुस्सा भी झलक रहा है। ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव का एक बयान सुर्खियों में है। वे सुपौल में वोट मांग रहे थे। लोगों ने सड़क बनाने की मांग की। जवाब में मंत्री ने बिजली काटने की धमकी दे दी। यह घटना राजनीति की कड़वी सच्चाई दिखाती है। जनता की बुनियादी जरूरतों को नजरअंदाज कर वोट की बाजीगरी। क्या यह सही है? आइए विस्तार से देखें।

विजेंद्र यादव: जेडीयू के पुराने उम्मीदवार और कैबिनेट मंत्री

विजेंद्र यादव बिहार की राजनीति के पुराने चेहरे हैं। वे एनडीए सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं। नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। जेडीयू ने उन्हें फिर से सुपौल विधानसभा से टिकट दिया है। लंबे समय से वे ऊर्जा विभाग संभाल रहे हैं। 2005 से एनडीए सत्ता में है। यादव इस दौरान कई बदलाव देख चुके हैं। लेकिन उनका विभाग वही रहा। वे विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। प्रचार के लिए गांव-गांव घूम रहे हैं। समर्थकों के साथ क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। यह सब कुछ हफ्तों पहले हुआ।

मुख्य मांग: पहले सड़क बनाओ, फिर वोट देंगे

लोगों ने मंत्री से सीधी बात की। मरौदा प्रखंड के कमरेल पंचायत में सिरखड़िया गांव पहुंचे। वहां ग्रामीणों ने विरोध जताया। उन्होंने कहा, “पहले सड़क बना दो। फिर हम वोट देंगे।” यह मांग बिल्कुल जायज लगती है। गांव में सड़क न होने से परेशानी होती है। किसान, छात्र, सब प्रभावित हैं। नेता चुनाव जीतने के बाद वादे करते हैं। लेकिन काम कम होता है। जनता अब चुप नहीं रहना चाहती। वे विकास का हक मांग रहे हैं। सड़क जैसी बेसिक सुविधा क्यों न मिले? यह सवाल हर गांववासी के मन में है।

विवादास्पद जवाब: “पहले वोट दो, वरना बिजली काट देंगे”

मंत्री का जवाब सुनकर सब दंग रह गए। उन्होंने कहा, “नहीं, पहले वोट करो। नहीं तो बिजली काट देंगे।” ऊर्जा मंत्री होने के नाते यह धमकी और खतरनाक लगी। बिजली काटना उनके विभाग का मामला है। लोग रोज बिजली पर निर्भर हैं। रात में पढ़ाई, खेती, सब रुक जाता है। यह बयान सत्ता का दुरुपयोग दिखाता है। जनता ने सड़क मांगी। जवाब में बिजली पर सेंकने की बात। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लाखों ने देखा। गुस्सा फैल गया। क्या मंत्री को ऐसा बोलना चाहिए? यह सवाल उठ रहा है।

जिम्मेदारी बनाम लापरवाही

ऊर्जा मंत्री का यह बयान खासतौर पर चौंकाने वाला है। बिजली आपूर्ति उनका मुख्य काम है। बिहार में बिजली की समस्या पुरानी है। लोग घंटों अंधेरे में रहते हैं। मंत्री को तो सुधारना चाहिए। लेकिन धमकी देना गलत है। नीतीश सरकार 20 साल से चली आ रही है। 2005 से 2025 तक। विकास के बड़े वादे हुए। लेकिन गांवों में सड़कें, बिजली अभी भी अधर में हैं। यादव जैसे बड़े नेता करीबियों में हैं। उनसे उम्मीदें ज्यादा हैं। फिर यह रवैया क्यों? जनता सोच रही है। बिजली काटना तो अपराध जैसा लगता है।

जनता की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर वायरल

वीडियो तेजी से फैला। लोग हैरान थे। फेसबुक, ट्विटर पर बहस छिड़ गई। कई ने मंत्री की आलोचना की। कहा कि सत्ता का गलत इस्तेमाल हो रहा है। कुछ ने नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया। क्योंकि यादव उनके खास हैं। वायरल वीडियो ने चुनावी माहौल गर्मा दिया। जनता अब ज्यादा सतर्क है। वे वोट से पहले काम मांग रही है। यह घटना एक उदाहरण है। बिहार के कई इलाकों में ऐसा हो रहा है। लोग चुप नहीं रहेंगे। सोशल मीडिया ने आवाज दी। अब नेता सावधान रहें।

मंत्रिमंत्रीय आचरण पर सवाल

क्या जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा बोल सकता है? मंत्री बनने के बाद नैतिकता जरूरी है। यादव का कार्यकाल लंबा है। ऊर्जा विभाग में सालों से हैं। जनता उन पर भरोसा करती है। लेकिन बयान से भरोसा टूटा। सड़क न बनाना उनकी जिम्मेदारी है। एनडीए सरकार में वे मंत्री हैं। विकास का वादा तो किया। अब धमकी क्यों? यह गैर-जिम्मेदाराना लगता है। लोग सवाल उठा रहे हैं। क्या नीतीश कुमार ऐसे बयानों पर चुप रहेंगे? राजनीति में जवाबदेही चाहिए। बिना काम के वोट न मिले। यह संदेश साफ है।

जनता के विरोध की बार-बार होने वाली घटनाएं

यह घटना अकेली नहीं है। बिहार में कई नेता विरोध का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस, अन्य पार्टियों के विधायक भी। प्रचार के दौरान लोग शिकायतें करते हैं। सड़क, पानी, बिजली की मांग। नेता जवाब में बहाने बनाते हैं। कभी धमकी देते हैं। चुनाव नजदीक हैं। जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। 20 साल की सरकार के बाद लोग तंग हैं। वादे पुराने हो गए। अब काम चाहिए। क्या नेता सुधारेंगे? या फिर धमकियां जारी रहेंगी? यह सवाल हर वोटर के मन में है। जनता अब संगठित हो रही है। सोशल मीडिया मदद कर रहा है। वीडियो शेयर हो रहे हैं। नेता दबाव में हैं।

नागरिक का विकास मांगने का अधिकार

लोगों की मांग सही है। सड़क बनाना सरकार का कर्तव्य है। वोट देना नागरिक का अधिकार। लेकिन पहले काम हो। बिना सड़क के गांव अलग-थलग हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। किसान फसल बेच नहीं पाते। यह बुनियादी हक है। मंत्री का जवाब गलत था। धमकी से डराना ठीक नहीं। जनता मजबूत हो रही है। वे वोट की ताकत जानती है। चुनाव में हिसाब होगा। विकास के बिना वोट नहीं। यह ट्रेंड बदल रहा है।

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