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Bihar government गठन विवाद: मुख्य चुनाव आयुक्त पर लगे ‘122 वोट चोरी’ के गंभीर आरोप

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बिहार में नई सरकार (Bihar government) बनने से ठीक पहले एक बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। चुनाव आयोग पर वोट चोरी के गंभीर आरोप लगे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नाम पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस ने ईवीएम में ‘122’ की सेटिंग का दावा किया है। यह मामला बहुमत के आंकड़ों से जुड़ा है। राहुल गांधी ने कई बार सबूत पेश किए हैं। अब कांग्रेस की तस्वीर ने सबको चौंका दिया है। क्या यह सिर्फ संयोग है या साजिश? आइए, इस विवाद को गहराई से समझें।

मुख्य आरोप: बिहार राजनीति में ‘122 सेटिंग’ का खुलासा

कांग्रेस ने ईवीएम में ‘122’ नंबर को लेकर बड़ा दावा किया है। यह संख्या बहुमत से जुड़ी लगती है। विपक्ष का कहना है कि चुनाव परिणामों में हेरफेर हुआ। पांच प्रमुख लोगों के आंकड़ों में यही पैटर्न दिखा। यह कोई सामान्य बात नहीं। राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।

विवाद में प्रमुख राजनीतिक चेहरों की भूमिका

तस्वीर में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा का नाम प्रमुख है। ये दोनों भाजपा से जुड़े हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद ये महत्वपूर्ण पदों पर हैं। तीन अन्य लोग भी इसमें शामिल हैं। इनके बहुमत के आंकड़े जोड़े गए। कुल मिलाकर 122 का आंकड़ा उभर आया। यह संदेह पैदा करता है। क्या ये लोग जानबूझकर चुने गए? विपक्ष का आरोप यही है।

साझा की गई तस्वीर और नंबर गेम

कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की। इसमें पांच लोगों के वोट आंकड़े दिखाए गए। जब इन्हें जोड़ा जाए, तो 122 बनता है। बहुमत के लिए यही संख्या जरूरी है। तस्वीर साफ बताती है कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ है। यह वोट चोरी का सबूत लगता है। लोग पूछ रहे हैं, कैसे इतना सटीक पैटर्न? यह ईवीएम सेटिंग की ओर इशारा करता है।

संयोग या साजिश: अंतर समझें

सवाल उठा है कि क्या यह महज इत्तेफाक है? या फिर ईवीएम में ‘122’ की सेटिंग? आंकड़े संयोग से ज्यादा लगते हैं। राजनीति में ऐसे पैटर्न दुर्लभ होते हैं। अगर साजिश साबित हुई, तो चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े होंगे। जांच जरूरी है। जनता को जवाब चाहिए। क्या यह सिर्फ एक संख्या है या बड़ा घोटाला?

चुनाव आयोग पर सवाल: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की जवाबदेही

चुनाव आयोग एक्सपोज हो गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर वोट चोरी का आरोप है। विपक्ष ने सबूत दिए हैं। आयोग की निष्पक्षता पर दाग लग गया। बिहार जैसे राज्य में यह गंभीर है। जनता का विश्वास डगमगा रहा है। आयोग को सफाई देनी होगी।

विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप

राहुल गांधी ने कई बार सामने आकर ईवीएम पर सवाल उठाए। उन्होंने सबूत दिखाए। बिहार का यह मामला उसी कड़ी का हिस्सा है। कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाया। ईवीएम की पारदर्शिता पर बहस छिड़ी। क्या आयोग चुप रहेगा? नेताओं की आवाज तेज हो रही है।

ईसी से पारदर्शिता और स्पष्टीकरण की मांग

विपक्ष ईवीएम सेटिंग की जांच चाहता है। आयोग को सार्वजनिक बयान देना चाहिए। वोट गिनती के आंकड़ों में विसंगति क्यों? पुनर्गणना की मांग हो रही है। अगर सबूत सही साबित हुए, तो कार्रवाई जरूरी। जनता को विश्वास दिलाना होगा। पारदर्शिता ही समाधान है।

ईवीएम और चुनाव की अखंडता: राष्ट्रीय बहस का हिस्सा

ईवीएम पर सवाल पुराने हैं। बिहार का मामला नया उदाहरण है। कई पार्टियां चिंता जताती रही हैं। ईवीएम की सुरक्षा पर बहस जारी है। क्या ये मशीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं? जनता को संदेह है। इस विवाद ने आग में घी डाल दिया।

ईवीएम विश्वास की कमी का ऐतिहासिक संदर्भ

पहले भी कई चुनावों में ईवीएम पर उंगली उठी। पार्टियां गिनती प्रक्रिया को अस्पष्ट बताती हैं। बिना वीवीपैट मिलान के संदेह रहता है। बिहार में ‘122’ पैटर्न ने पुरानी चिंताओं को जगा दिया। क्या तकनीक कमजोर है? सुधार की जरूरत है।

बहुमत गणना की तकनीक बनाम कथित छेड़छाड़

बहुमत सरल गणित है। 122 सीटें जीतनी हों, तो यही चाहिए। लेकिन विपक्ष का दावा है कि ईवीएम में सेटिंग से यह संभव हुआ। सामान्य गणना और छेड़छाड़ में फर्क साफ है। अगर मशीनें मनमाने आंकड़े दें, तो लोकतंत्र खतरे में। तकनीकी जांच से सच्चाई सामने आएगी।

राजनीतिक प्रभाव: बिहार की नई सरकार पर असर

नई सरकार बनने से पहले ये आरोप आए। legitimacy पर सवाल खड़े हो गए। स्थिरता प्रभावित हो सकती है। विपक्ष मजबूत हो रहा है। भाजपा गठबंधन को चुनौती मिली। क्या सरकार टिकेगी? राजनीतिक खेल बदल सकता है।

जनादेश को कमजोर करना

ये आरोप जनादेश को कमजोर करते हैं। लोग सोचेंगे कि जीत लोकतांत्रिक नहीं। बैकडोर हेरफेर का शक है। शॉर्ट टर्म में नुकसान बड़ा। मीडिया में बहस तेज। जनता गुस्से में। विश्वास बहाल करना मुश्किल।

कानूनी रास्ते और भविष्य की कार्रवाई

कांग्रेस अदालत जा सकती है। याचिका दायर हो सकती है। सबूतों के आधार पर पुनर्गणना मांगेंगी। अगर कोर्ट ने स्वीकार किया, तो बड़ा बदलाव। अन्य पार्टियां भी साथ देंगी। भविष्य में ईवीएम नियम सख्त हो सकते हैं। कार्रवाई से न्याय मिलेगा।

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