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Bihar government ने दाखिल-खारिज पोर्टल किया लॉन्च, गांव वालों को मिलेगी झंझट से मुक्ति

bihar government launched the dakhil Kharij portal
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बिहार सरकार (Bihar government) ने मंगलवार को भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में नई शुरुआत की। उन्होंने एकीकृत भूमि रिकॉर्ड सिस्टम (आईएलआरएमएस) का उद्घाटन किया, जिसमें स्थानिक म्यूटेशन पोर्टल भी शामिल है। इसका मकसद भूमि लेन-देन और विरासत के दौरान राजस्व मानचित्रों और दस्तावेजों को अपने आप अपडेट करना है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन पटना के सर्वेक्षण भवन में किया गया। इसमें राजस्व मंत्री संजय सरावगी, वरिष्ठ अधिकारी जैसे दीपक कुमार सिंह, जय सिंह और आईआईटी रुड़की के कमल जैन मौजूद थे।

दाखिल-खारिज के लिए Bihar government का पोर्टल: बिहार देश का पहला राज्य

बिहार अब देश का पहला राज्य बन गया है जिसने स्थानिक परिवर्तन को लागू किया है। इसमें मानचित्र में होने वाले मैन्युअल बदलाव की बजाय ऑटोमेटेड, सही और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई है। इस पोर्टल के तहत, खरीदी, बिक्री या उत्तराधिकार से पहले जमीन का असली मानचित्र तैयार किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ट्रांसफर में सही जगह का ही हिस्सा लिया जाए। खसरा काटने या बंटवारे की स्थिति में, यह सिस्टम नए खसरा नंबर अपने आप बनाता है।

रैयतों को अपनी जमीन का खाता नंबर मिलेगा। इससे मामलों में पारदर्शिता आएगी और सरकारी भूमि से छेड़छाड़ रुकेगी। यह प्रणाली आईआईटी रुड़की की Make in India भूगोलिक सूचना प्रणाली से जुड़ी है। इससे विदेशी तकनीक पर खर्च बंद हो जाएगा और सिस्टम का खर्च कम होगा। अभी, इस सिस्टम का टेस्ट तीन जिलों के 80 से ज्यादा गांवों में किया जा रहा है। टेस्ट के फीडबैक के आधार पर इसे पूरे प्रदेश में शुरू करने का प्लान है।

पारदर्शिता बनेगी

संसदीय मंत्री सरावगी ने कहा, “अब बैग का जमाना खत्म, लैपटॉप का समय शुरू हो गया है। इससे विवाद कम होंगे और काम जल्द निपटाए जाएंगे।” अतिरिक्त मुख्य सचिव सिंह ने इसे लंबे समय की कोशिशों का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि जैसे ही अंतिम अधिकार का अभिलेख तैयार होगा, इसे हर गांव तक फैलाया जाएगा। जलीय जैन ने कहा कि इस प्रणाली से भूमि कारोबार और पारदर्शिता दोनों में सुधार होगा और खर्च घटेगा।

पहले बिहार में सिर्फ ‘जमाबंदी’ रिकॉर्ड अपडेट होता था। इसमें अधिकारों का पूरा ब्यौरा होता था। लेकिन मानचित्र नहीं बदलते थे। इससे गलतियां, देरी और विवाद होते थे। अब, यह नई प्रणाली बिहार को उच्च तकनीक वाली भूमि सुधार प्रक्रिया में आगे ले आएगी। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार की पारदर्शिता और दक्षता के प्रयासों के अनुरूप है।

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