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Bihar Loksabha Election: सातवें चरण में बिहार के आठ लोकसभा सीटों में सभी पर एनडीए का कब्जा था। परंतु अब पटना साहिब और सासाराम को छोड़कर शेष सभी 6 सीटों पर विपक्ष मुकाबले में आ गया है।
देखिए पूरी रिपोर्ट हम सभी आठ सीट के बारे में पूरा विश्लेषण रख रहे रहे हैं। इसमें Karakat की सीट पर तो राजाराम सिंह की जीत पक्की जान पड़ रही है l
नालंदा सीट
नालंदा सीट पर पहले तो जान पड़ता था , कि एनडीए के JD-U उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार. आराम से जीत रहे हैं l परंतु बाद में यह स्पष्ट हो गया कि सीपीआईएमएल के प्रतिनिधि उम्मीदवार संदीप सौरभ
मुकाबले में आ गए हैं l
संदीप सौरभ 34 वर्ष के एमपी उम्मीदवार हैं और पालीगंज से विधायक हैं l पहले अपनी पार्टी के छात्र युवा संगठन के नेता थे और आयशा से जेएनयू के महासचिव चुने गए थे l
बिहार में समीकरण तेजी से बना है l
स्पष्ट बदलाव सत्ता पक्ष के विरोध में आया है। और इस वजह से जहां विपक्ष कमजोर था वहां का उम्मीदवार भी मुकाबले में आ गया है। और नालंदा दो पक्ष के बीच सीधे मुकाबले का क्षेत्र बन गया हैl
पटना साहिब
में अंशुल अभिजीत को जितना कम करके को लिया जा रहा वह स्थिति बदल रही है l इनके जीत की बात तो नहीं होती परंतु वोट शेयर पर चर्चा होती है l
और यह रविशंकर प्रसाद के मुकाबले अपने वोट को एकजुट कर पा रहे हैं। अभिजीत कांग्रेस नेता मीरा कुमार के पुत्र हैं अर्थात जगजीवन राम के नाती हैं।
अंशुल अभिजीत सासाराम रिजर्व लोकसभा क्षेत्र से चुनाव इसलिए नहीं लड़ सकते, क्योंकि उनकी जाति उनके पिता मंजुल कुमार से मानी जाती है l
मंजुल कुमार बिहार की अपने समय की , दिग्गज नेता सुमित्रा देवी के पुत्र है। और इनकी पीएचडी डिग्री ब्रिटेन के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से है l
मीरा कुमार ने अपने आईएफएस मित्र से अंतर्जातीय शादी की थी और इस तरह अंशुल अभिजीत को जातीय पहचान में कुशवाहा माना जाता है।
पटना साहिब क्षेत्र में भाजपा विरोधी मतों और साथ-साथ यहां अच्छी संख्या में निवास करने वाले ओबीसी मतदाताओं का कभी भी मजबूत समीकरण नहीं बना है l
दिलचस्प है कि यह सीट भाजपा उम्मीदवार के लिए रिजर्व सीट जैसी ही चला आ रहा है। अंशुल अभिजीत के मुकाबले भाजपा के रवि शंकर प्रसाद को चुनौती मिल रही है ।
नालंदा और पटना में बीजेपी और जेडीयू यानी एन डी ए का अपना प्रभुत्व है l
पाटलिपुत्र सीट
पाटलिपुत्र सीट पर तीसरी दफा चुनाव लड़ते हुए मीशा भारती राम कृपाल यादव को परास्त भी कर सकती हैं l इसकी संभावना पहले से ज्यादा हैं।
पाटलिपुत्र सीट 2009 में राजद ने मीशा को मैदान में उतारा था l तब राजद के वरिष्ठ नेता रामकृपाल यादव भतीजी मीशा के मुकाबले में आने के लिए , बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बना दिया l
आज राम कृपाल यादव हैट्रिक बनाने के लिए लगातार मैदान में है। निशा भारती 39,000 और 40, 000 लगभग मतों से रामकृपाल यादव से हारती रही हैl और लालू परिवार हमेशा इन्हें मैदान में उतरता रहा है।
इस तरह 2024 के लोकसभा चुनाव में इस बात पर खास ध्यान नहीं दिया गया कि लालू प्रसाद परिवारवाद करते हैं।
विपक्ष नरेंद्र मोदी को हराने के लिए पहले से ज्यादा एकजुट है. Vo, तब मीशा का मैदान में डटा रहना , चुनाव स्ट्रेटजी के हिसाब से स्वाभाविक ही होगा.
मीशा भारती अपने मुंहबोले चाचा और राजनीतिक प्रतिस्पर्धी रामकृपाल यादव को परास्त कर सकती हैंl
विपक्ष की आशा निश्चित तौर पर इन तीनों सीट पर है l
आरा लोकसभा क्षेत्र
जहां आरके सिंह बीजेपी के उम्मीदवार हैंl पहले से एमपी हैं l लोगों के लिए ट्रैक रिकॉर्ड का तरीका है — इन्होंने 5 वर्षों में क्षेत्र में क्या किया l आर के सिंह पुराने ब्यूरोक्रेट हैं और नौकरशाही में दिग्गज रहे हैं l योजना बनाना और काम करना या करवाना अच्छी तरह जानते हैं। आरा शहर में और अन्य कुछ परियोजनाओं में आरके सिंह की भूमिका स्पष्ट रही हैl और इस वजह से सांसद निधि से काम करवाने में सफल रहे हैं।
विकास योजनाओं की दृष्टि से किसी एमपी के के बारे में आम राय बनने में दुविधा यह रहती है , कि अगर कुछ इलाकों में काम हुआ तो अन्य इलाके के लोग ज्यादा ही नाराज रहते हैं।
विमर्श न्यूज़ ने चुनाव का माहौल बनने के पहले कोईलवर के पास के गांव में आम लोगों की शिकायतों के बारे में रिपोर्ट बनाई थी l
आरके सिंह का मुकाबला इंडिया गठबंधन के घटक सीपीआई एमएल के सुदामा प्रसाद से है।
सुदामा प्रसाद अत्यंत पिछड़ी जाति कैंप से आते हैं l हालांकि उनका अपना काम जाति की जगह गरीब वर्गों के आधार पर रहा है। आरके सिंह के एक जवाब का वीडियो क्षेत्र में वायरल हो रहा है l Ara सीट पर नामांकन भरने के बाद और चुनाव कैंपेन शुरू होने के बाद, चुनाव के मध्य तक आते-आते आर के सिंह ने बहुत ही अपमानजनक तरीके से Male के उम्मीदवार सुदामा प्रसाद पर टिप्पणी की।
यह टिप्पणी. गैर – सवर्ण मतदाताओं में जंगल की आग की तरह फैल गई।
सुदामा प्रसाद ने आर के सिंह के विकास कार्यों पर प्रश्न उठाते हुए पूछा था, कि वह हिसाब जारी करें कि कितने पैसों को , उन्होंने खर्च कियाl सांसद निधि के कितने पैसों को उन्होंने लौटा दिया !
इस तरह आरके सिंह ki राजनीतिक कुशलता और प्रशासनिक दक्षता पर पर सुदामा प्रसाद ने तीखा सवाल पूछ दिया था l और उसका जवाब देते समय आरके सिंह की प्रतिक्रिया के खिलाफ नाराजगी असर दिख रही है l
पर्यवेक्षकों का कहना है कि उन्होंने निहायत स् वर्ण उच्च जाति वादी मानसिकता से सुदामा प्रसाद का अपमान कर दिया…. ” कि सुदामा को हिसाब देंगे ? ! ”
उन्होंने तू तड़का की भाषा में कहा कि सुदामा प्रसाद हिसाब लेने वाला कोई नहीं होता l
इसके बाद बीजेपी के सामाजिक समीकरण की राजनीति में दरार लगीl आरके सिंह के साथ सक्रिय स् वर्ण अब आरके सिंह की जीत पर कुछ सवाल खड़े हो गए हैं।
काराकाट
*काराकाट में उपेंद्र कुशवाहा और राजाराम सिंह में सीधा मुकाबला हुआ है। अन्य क्षेत्रों के मुकाबले करकट में मतदान भी बहुत अधिक हुआ है। और हर पक्ष अपने अधिक से अधिक वोट डालने के लिए आगे आया है l
बीजेपी के बागी और निर्दलीय उम्मीदवार भोजपुरी गायक पवन सिंह मैदान में है l इनको लेकर चर्चा भी हैl यह कहां जा रहा है किकाराकाट से स्वर्ण युवा और खासतौर पर वैसे युवा जो अभी तक मतदाता भी नहीं बन पाए हैं , उमड़ रहे हैंl पवन सिंह show man शिप में रहे हैंl परंतु पवन सिंह अपने साथ वीडियो का उन्माद लिए चलते हैं इस वजह से ऊंची जाति के मतदाता इस क्षेत्र की खास परिस्थिति में अपना वोट इन पर बर्बाद करेंगे यह नहीं माना जा रहा है।
कुशवाहा जाति ke राजाराम सिंह के अपने मतदाता के साथ कमजोर तत्वों का भी विशेष योगदान है और ओबीसी जातियां राजद के प्रभाव में होने की वजह से राजाराम सिंह के पक्ष में हैं।
कहा जाता है कि राजाराम सिंह का अपना मत का हिस्सा जीत के लायक नहींl. परंतु एलाइंस की राजनीति में राजा राम सिंह जीत पक्की कर रहे हैं l
मुकाबले में उपेंद्र कुशवाहा है जो एनडीए से हैं और इन्होंने RLND नाम का अपना दल बना रखा था जिससे एनडीए में सिर्फ एक सीट का कोटा मिला है l
उपेंद्र कुशवाहा को बहुत मजबूत चुनौती राजाराम सिंह से मिल रही हैl
राजाराम सिंह CPI एमएल ke बहुत ही मान्य नेता है l अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव के रूप में वे बिहार को किसान आंदोलन में प्रतिनिधित्व करते आए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा में राजाराम सिंह बिहार से नियमित प्रतिनिधित्व किया है।
जहानाबाद
जहानाबाद सीट पर सुरेंद्र यादव आरजेडी के उम्मीदवार हैं और उनके जीत की संभावना ज्यादा पक्की हैl
चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी जहानाबाद से बीजेपी के अभी तक एमपी हैं और वह चुनाव लड़ भी रहे है।
चुनाव लड़ने के लिए तो यहां से अरुण कुमार भी मैदान में है , जो पुराने दिग्गज रहे हैं और इस बार बीएसपी के उम्मीदवार हैं
आशुतोष निर्दलीय उम्मीदवार हैं और वह यहां भूमिहार ब्राह्मण मंच बनाकर अब तक सक्रिय रहे थे l
अरुण कुमार और आशुतोष की हैसियत वोट कटवा उम्मीदवार की रह जाएगी और हर तरह से यह तय है कि जहानाबाद से सुरेंद्र यादव अपनी दावेदारी पक्की कर ले l
सीपीआई एमएल को बिहार में इंडिया गठबंधन के अंदर तीन सीट का हिस्सा मिला है। तीनों का चुनाव इसी अंतिम फेज में हो रहा है। नालंदा आर और काराकाट। तीनों में सबसे निश्चित राजाराम सिंह की जीत है l
बक्सर
बक्सर से बीजेपी उम्मीदवार मिथिलेश तिवारी हैl बक्सर की सीट से अश्विनी कुमार का टिकट काटने की बात थी और यह कट गया और यहां पर.. . अनिल तिवारी को आकस्मिक रूप से उम्मीदवार बना दिया गया।
पहले यह अनुमान था कि पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा को बक्सर से मौका दिया जाएगा। आनंद मिश्रा ने इसके लिए नौकरी भी छोड़ी थी। अंत में आनंद मिश्रा निर्दलीय चुनाव मैदान में आ गए। बक्सर सीट पर . अनिल तिवारी को अश्विनी चौबे के छुपे हुए विरोध का भी सामना हो सकता हैl
आनंद मिश्रा के निर्दलीय मैदान में आने से त्रिकोणात्मक स्थिति बन रही है । इस तरह बक्सर से बीजेपी के उम्मीदवार के जीत की पक्की गारंटी नहीं हैl
सुधाकर सिंह आरजेडी से बक्सर के उम्मीदवार हैं l नीतीश मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री रहते हुए सुधाकर सिंह चर्चित हुए थे। उन्होंने विभाग के भ्रष्टाचार की तरफ इशारा किया था। सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह इस क्षेत्र पर बहुत पक्का प्रभाव रखते आए हैं और लालू प्रसाद यादव के कैबिनेट में सबसे महत्वपूर्ण मंत्री हुआ करते थे।
सासाराम
सासाराम आरक्षित सीट है। एक समय जगजीवन राम जैसे दिग्गज सासाराम का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। 1952 से लेकर अपने जीवन कल तक यानी 1984 तक जगजीवन राम लगातार सासाराम का प्रतिनिधित्व करते रहे
बीजेपी से शिवेश कुमार उम्मीदवार हैं और इनका मुकाबला कांग्रेस के मनोज कुमार से है
बीजेपी ने छेदी पासवान का टिकट काटकर शिवेश राम को टिकट दिया है l
अनेक तबके ऐसे हैं जो अब तक बीजेपी को समर्थन दे रहे थे इस बार कांग्रेस को अपना वोट देंगे। इस तरह सासाराम में बीजेपी का वर्चस्व बना रहेगा यह संदेह के घेरे में है
कांग्रेस के मनोज राम जीते भी सकते हैं l