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Bihar Voter List Controvercy: सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर
बिहार (Bihar) के दो प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, अरशद अजमल और रूपेश कुमार (लोक परिषद) ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। उन्हें सीनियर वकील वृंदा ग्रोवर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रतिनिधित्व किया जा रहा है।
Bihar Voter List Controvercy: याचिका का आधार:
याचिका में भारत के चुनाव आयोग द्वारा 24 जून 2025 को बिहार में शुरू की गई विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया की वैधता और संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है।
याचिका में तर्क दिया गया है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के सिद्धांतों और प्रतिनिधि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को कमजोर करती है, जो संविधान की मूल संरचना के अभिन्न अंग हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस प्रक्रिया में जन्म, निवास और नागरिकता से संबंधित मनमाने, अनुचित और अनुपातहीन दस्तावेज़ आवश्यकताओं को पेश किया गया है, जो गरीब, प्रवासी, महिलाओं और हाशिए के समूहों पर असमान रूप से बोझ डालता है।
प्रभावित समूह:
गरीब और हाशिए के समूह, जिनके लिए वोट एक महत्वपूर्ण राजनीतिक जवाबदेही का साधन है।
प्रवासी और महिलाएं, जो पहले से ही मतदान प्रक्रिया में भाग लेने में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
याचिका में की गई मांग:
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से 24 जून 2025 के चुनाव आयोग के आदेश और चल रही एसआईआर प्रक्रिया को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इस प्रक्रिया को रद्द करने से मतदाता सूची में अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
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