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Bihar voter List Controversy: चुनाव आयोग ने Last Date 26 जुलाई निर्धारित की

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Bihar voter List Controversy: वोटर लिस्ट (voter List) का पुनरीक्षण यानी वोटर लिस्ट की दोबारा जाँच। यह प्रक्रिया चुनाव आयोग द्वारा कराई जाती है ताकि हर वोटर की पहचान सही हो सके। इसमें गलती कम हो, फर्जी वोटर हटें और नए योग्य वोटर जुड़ें। इस प्रक्रिया का मकसद है साफ-सुथरा और भरोसेमंद मतदान।

क्योंकि अगर वोटर लिस्ट (voter List) सही नहीं होगी, तो वोटिंग सही ढंग से नहीं हो सकेगी। इसकी वजह से चुनाव निष्पक्ष नहीं होंगे। अभी वर्तमान में सरकार और चुनाव आयोग चुनाव से पहले इस काम को पूरा कर रहे हैं।

Bihar voter List Controversy: प्रक्रिया की रूपरेखा और समयसीमा

चुनाव आयोग ने अभी वोटर लिस्ट का रिवीजन करने के लिए अंतिम तारीख 26 जुलाई निर्धारित की है। यह एक महीने का समय है, जो बहुत कम है। असल में, यह कार्य चार महीनों में हो सकता था, पर जल्दीबाजी में कर रहे हैं। जनता में इस पर बहुत confusion है।

जरूरी दस्तावेज और उनसे जुड़ी बातें

इस प्रक्रिया में से कई दस्तावेज मांगे जाते हैं, जैसे:

  • आधार कार्ड
  • वोटर आईडी कार्ड की फोटोकॉपी
  • जन्म प्रमाण पत्र
  • आय प्रमाण पत्र

कई बार ये दस्तावेज गलत या फर्जी पाए जाते हैं। कुछ लोगों का आधार कार्ड ही नहीं है, या वो डबल भी हो सकता है। अगर सही दस्तावेज नहीं जुट पाए, तो नाम वोटर लिस्ट से काट दिए जाते हैं।

बीएलओ की भूमिका और जनता के लिए परेशानी

बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म इकट्ठा कर रहे हैं। यह जिम्मेदारी सरकार और चुनाव आयोग की है। पर, बहुत जगह बीएलओ नहीं आ रहे, या फिर वे जल्दी में काम कर रहे हैं। जनता को सही जानकारी भी कम मिल रही है।

कुछ बीएलओ सिर्फ स्कूल या सार्वजनिक स्थलों पर फॉर्म भरने का काम कर रहे हैं। इससे भी समस्या पैदा हो रही है।

यह सब मिलकर प्रक्रिया को धीमा कर रहा है और जनता को भटकाने का भी काम कर रहा है।

जनता की मुख्य समस्याएँ और विपक्ष के आरोप

कई लोग जन्म प्रमाण पत्र नहीं होने की वजह से परेशान हैं। कुछ के पास आधार या वोटर आईडी सही से नहीं हैं। फर्जी दस्तावेज बनने की घटनाएँ भी सामने आई हैं, जो वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़ने का कारण बनती हैं।

डुप्लीकेट या गलत जानकारी के कारण कई बार फर्जी वोटर लिस्ट में शामिल हो जाते हैं। इससे वोटिंग का भरोसा कम होता है।

नाम कटने का भय और नागरिकता का सवाल

कुछ का कहना है कि नाम हटने पर उनका राशन कार्ड और पेंशन भी कट जाएगा। विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि सरकार साजिश कर रही है। उनका तर्क है कि अचानक इस प्रक्रिया की शुरुआत चुनाव से पहले क्यों हुई।

सरकार का कहना है कि फर्जीवाड़ा रोकने और नागरिकता सही करने के लिए यह जरूरी कदम है। अधिकारियों का मानना है कि अच्छा दस्तावेज़ होने पर हर चीज़ आसान होगी।

समयसीमा और जागरूकता की जरूरत

यह सब बहुत जल्दी हो रहा है, जबकि जनता अभी तक पूरी तरह जागरूक नहीं है। उन्हें समय से जानकारी नहीं मिल रही। इसलिए, उन्हें सही गाइडेंस और जानकारी देने की जरूरत है।

अधिकारियों और राजनेताओं को अधिक प्रचार करना चाहिए ताकि हर वोटर अपने अधिकारों का सही प्रयोग कर सके।

सरकार और चुनाव आयोग की जिम्मेदारी

प्रचार की कमी के कारण बहुत लोग यह नहीं जानते कि क्या करना है। फॉर्म और जरूरी कागजात की जानकारी समय पर नहीं मिलती।

अधिकारियों को बेहतर ट्रेनिंग और जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। साथ ही, प्रक्रिया में पारदर्शिता भी जरूरी है ताकि हर वोटर आश्वस्त हो सके।

आधार कार्ड और तकनीकी खामियां

आधार सिस्टम में भी खामियाँ हैं। कई बार गलत जानकारी दर्ज हो जाती है, या फर्जी आधार बन आते हैं। इससे वोटर लिस्ट में गड़बड़ी होती है।

अगर आधार लिंक सही से नहीं है या उसमें फर्जीवाड़ा है, तो वोटर लिस्ट में नाम नहीं जुड़ेंगे या फिर हट सकते हैं।

इसलिए, आधार डेटा का सख्ती से सत्यापन और तकनीकी सुधार जरूरी है।

बीएलओ, स्थानीय नेता और अधिकारियों को जनता की मदद करनी चाहिए। उन्हें सही दस्तावेज जमा करने में सहायता देनी चाहिए।

राजनीतिक दल भी जागरूकता अभियान चलाएं और जनता को जागरूक बनाए। इससे प्रक्रिया तेज और निष्पक्ष होगी।

निष्कर्ष: कैसे करें हम सुधार?

पहल जनता की जागरूकता से शुरू होती है। हर वोटर को अपना फॉर्म समय पर भरना चाहिए और जरूरी दस्तावेज भी जुटाने चाहिए।

प्रक्रिया में पारदर्शिता और समय की सीमा का पालन जरूरी है। साथ ही, आधार सिस्टम की खामियों को दूर करने और फर्जीवाड़े को रोकने की भी जरूरत है।

सरकार और चुनाव आयोग को चाहिए कि वे बेहतर प्रचार करें, सही दिशा में कदम उठाएँ और जनता को हर संभव मदद प्रदान करें। तो, चलिए अपनी जिम्मेदारी समझें और देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाएं।

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