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BJP का अधिकारियों के लिए नया फरमान, MLA आये तो खड़े हो जाओ!

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महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी अधिकारियों के लिए एक नया सर्कुलर जारी किया। यह आचार संहिता जनप्रतिनिधियों के सम्मान पर जोर देती है। अब अधिकारी नेताओं के आने पर तुरंत खड़े होकर स्वागत करेंगे। यह बदलाव सरकारी कामकाज में शिष्टाचार लाएगा। क्या आप जानते हैं, इससे प्रशासन तेज और पारदर्शी बनेगा?

सरकारी कामकाज में शिष्टाचार का नया अध्याय

यह सर्कुलर महाराष्ट्र के सार्वजनिक प्रशासन को नई दिशा देगा। जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने इसे मंत्रालय से जिला स्तर तक लागू करने को कहा। मुख्य मकसद अधिकारियों का व्यवहार मानकीकृत करना है। अब जनप्रतिनिधियों से डीलिंग में कोई ढिलाई नहीं चलेगी।

सर्कुलर जारी होने का संदर्भ और उद्देश्य

सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि पहले व्यवहार में एकरूपता की कमी थी। MP या MLA के साथ मीटिंग के दौरान अधिकारियों को पूरी तहजीब दिखानी पड़ेगी। उद्देश्य स्पष्ट है। जनता के प्रतिनिधियों और नौकरशाही के बीच तालमेल बढ़ाना। इससे फाइलें तेजी से क्लियर होंगी। जिला और तालुका स्तर पर भी यही नियम लागू होंगे।

तत्काल प्रतिक्रिया की आवश्यकता

अधिकारियों को नेताओं के सम्मान में तत्पर रहना होगा। जैसे ही MP या MLA ऑफिस में कदम रखें, अधिकारी खड़े हो जाएं। मीटिंग खत्म होने पर विदाई के समय भी ऐसा ही। यह छोटा सा कदम बड़ा बदलाव लाएगा। आपने देखा होगा, पहले कभी-कभी उदासीनता दिखती थी। अब नहीं।

यह संहिता व्यवहार के हर पहलू को कवर करती है। सम्मान अब पहली प्राथमिकता बनेगा। अधिकारियों को अपनी भूमिका समझनी होगी।

जनप्रतिनिधियों के आगमन पर खड़े होने का नियम

जब कोई सांसद या विधायक ऑफिस आए, अधिकारी तुरंत खड़े होकर स्वागत करें। मीटिंग के बाद विदा करते समय भी यही। यह नियम साफ है। मंत्रालय से लेकर तालुका तक सभी जगह लागू। कल्पना करें, एक MLA आता है और आप बैठे रहते हैं। अब ऐसा नहीं चलेगा। इससे सम्मान का संदेश जाता है।

व्यवहार और संवाद के मानक

व्यवहार विनम्र रखें। संवाद में साफ और सम्मानजनक भाषा इस्तेमाल करें। कोई झल्लाहट न दिखाएं। हमेशा मुस्कान के साथ बात करें। ईमेल या पत्र में भी यही। उदाहरण के तौर पर, “सर, आपका स्वागत है” कहना जरूरी। यह छोटी बातें बड़े फर्क डालेंगी।

मीटिंग में एजेंडा पहले तय करें। कार्यवाही की पूरी रिकॉर्डिंग रखें। जनप्रतिनिधि की बात ध्यान से सुनें। समय पर समाप्त करें। अगर देरी हो, तो कारण बताएं। इससे विश्वास बढ़ेगा। आप खुद देखिएगा, मीटिंग्स अब ज्यादा फलदायी होंगी।

प्रशासनिक प्रक्रिया में बदलाव: समय-सीमा और जवाबदेही

सिर्फ सम्मान ही नहीं, काम की गति भी तेज होगी। प्रतिक्रिया समय पर सख्ती आएगी। अधिकारियों को जवाबदेही निभानी पड़ेगी।

जनप्रतिनिधि का कोई अनुरोध आए, तो 48 घंटे में जवाब दें। पत्राचार पर 7 दिनों में कार्रवाई शुरू करें। देरी पर कारण दर्ज करें। यह नियम साफ लिखा है। जिला स्तर पर खासतौर पर फायदा होगा। फाइलें अटकेंगी नहीं।

सरकारी कार्यक्रमों में भागीदारी के नियम

सरकारी इवेंट में जनप्रतिनिधियों का साथ दें। उनकी स्पीच के दौरान सजग रहें। समन्वय बनाए रखें। अगर कोई कार्यक्रम है, तो पहले सूचित करें। इससे आयोजन सुचारू चलेगा। तालुका स्तर के अफसरों के लिए यह आसान होगा।

मंत्रालय में सबसे पहले लागू होगा। फिर जिला कलेक्टर इसे नीचे पहुंचाएंगे। तालुका ऑफिस तक पहुंचेगा। हर स्तर पर ट्रेनिंग होगी। प्रभाव दिखेगा। छोटे ऑफिसों में बड़ा बदलाव आएगा।

सहयोग बनाम पदानुक्रम

सहयोग मुख्य है, लेकिन सम्मान जरूरी। अधिकारी जनप्रतिनिधि को श्रेष्ठ मानें। फिर भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं। यह बैलेंस जरूरी है। जैसे दो पहिए वाली साइकिल। एक अकेला नहीं चलेगा।

प्रशिक्षण और जागरूकता सत्र

हर जिले में ट्रेनिंग कैंप लगें। नए नियम सिखाएं। रोल प्ले करें। इससे आदत बनेगी। आप अफसर हैं, तो हिस्सा लें। विभाग प्रमुख मासिक रिपोर्ट लें। आंतरिक जांच रखें। शिकायत पर तुरंत कार्रवाई। इससे नियम पालन होगा। उदाहरण लें, हर महीने रिव्यू मीटिंग।

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