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BJP ने पूर्व सीएम विजय रूपाणी के अंतिम संस्कार का खर्चा उठाने से झाड़ा पल्ला: प्लेन क्रैश में गई थी जान

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गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अंतिम संस्कार के खर्च को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रूपाणी ने अपना जीवन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्पित कर दिया था। खबरों के अनुसार, पार्टी ने उनके अंतिम संस्कार का खर्च उठाने से इनकार कर दिया है। इससे आश्चर्य और निराशा दोनों हुई है।

अहमदाबाद के पास एक विमान दुर्घटना में रूपाणी का दुखद निधन हो गया। उनके अंतिम संस्कार में लगभग ₹25 लाख का खर्च आया। खबर है कि भाजपा ने कथित तौर पर यह खर्च देने से इनकार कर दिया है। इसके बजाय, बिल कथित तौर पर उनके शोक संतप्त परिवार को भेज दिया गया। यह स्थिति पार्टी के भीतर निष्ठा और समर्थन पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह लेख इस विचलित करने वाली घटना के विवरण की पड़ताल करेगा। हम भाजपा के कथित रुख, रूपाणी परिवार की प्रतिक्रिया, और पार्टी के मूल्यों पर इसके व्यापक प्रभाव और लंबे समय से सेवारत सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है, इस पर गौर करेंगे।

BJP ने पूर्व सीएम विजय रूपाणी के अंतिम संस्कार का खर्चा उठाने से झाड़ा पल्ला

विजय रूपाणी के अंतिम संस्कार में काफी खर्च आया। रिपोर्टों के अनुसार, कुल खर्च लगभग ₹25 लाख था। अंतिम संस्कार के बाद, रूपाणी परिवार को कथित तौर पर बताया गया कि भाजपा यह खर्च नहीं उठाएगी। इस कथित इनकार और उसके बाद परिवार को भेजे गए बिल ने विवाद को और बढ़ा दिया है। पार्टी की ओर से इस फैसले के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

रूपाणी परिवार की प्रतिक्रिया और वित्तीय स्थिति

रूपाणी के परिवार के लिए यह जानकर सदमा लगा कि पार्टी अंतिम संस्कार का खर्च नहीं उठाएगी। हालाँकि उन्होंने कहा है कि वित्तीय मामले उनकी मुख्य चिंता नहीं हैं, लेकिन भाजपा का कथित रवैया बेहद दुखद है। मौजूदा हालात को देखते हुए यह असंवेदनशील लगता है। यह अपेक्षित समर्थन की कमी को दर्शाता है।

विजय रूपाणी की विरासत और भाजपा में योगदान

विजय रूपाणी कई वर्षों तक भाजपा के समर्पित सदस्य रहे। उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पार्टी के लिए अथक परिश्रम किया। उनकी लंबी सेवा और कड़ी मेहनत के कारण, पार्टी द्वारा उनके अंतिम संस्कार का खर्च उठाने से इनकार करना और भी बेतुका लगता है। यह उनकी निष्ठा के विपरीत है।

प्रमुख राजनीतिक भूमिकाएँ और उपलब्धियाँ

रूपाणी भाजपा में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान, वे राज्य के लिए विभिन्न नीतिगत निर्णयों और पहलों में शामिल रहे। उनका योगदान उल्लेखनीय रहा।

पूर्व नेताओं के प्रति पार्टी की जिम्मेदारी

राजनीतिक दलों में अक्सर पूर्व नेताओं का समर्थन करने के अलिखित नियम होते हैं। इसमें उनके अंतिम क्षणों में उन्हें सम्मान देना भी शामिल है। रूपाणी के मामले में भाजपा की कथित कार्रवाई इस बात पर सवाल उठाती है कि क्या वह इन नैतिक मानकों पर खरी उतरती है। इससे यह चर्चा शुरू होती है कि पार्टियों को उन लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए जिन्होंने उनकी निष्ठापूर्वक सेवा की है।

सार्वजनिक धारणा और राजनीतिक दृष्टिकोण

इस घटना के भाजपा की सार्वजनिक छवि पर संभावित प्रभाव पड़ सकते हैं। जनता और मीडिया इसे नकारात्मक रूप से देख सकते हैं। इससे यह संकेत मिल सकता है कि पार्टी अपने समर्पित सदस्यों की कद्र नहीं करती। इससे उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच सकती है।

अन्य राजनीतिक दलों की पिछली प्रथाएँ

राजनीतिक दलों द्वारा दिवंगत नेताओं के परिवारों की मदद करना आम बात है। इसमें अक्सर अंतिम संस्कार का खर्च भी शामिल होता है। ऐतिहासिक रूप से, अन्य दल भी ऐसी परिस्थितियों में मदद के लिए आगे आते रहे हैं। यह मौजूदा आरोपों के विपरीत है।

वफादारों का सम्मान करने का महत्व

राजनीतिक संगठनों के लिए समर्पित सदस्यों का सम्मान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उनकी सेवा के प्रति सम्मान दर्शाता है। उनके निधन के बाद यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। इससे पार्टी संरचना के भीतर सामुदायिकता और कृतज्ञता की भावना मज़बूत होती है।

निष्कर्ष: राजनीतिक निष्ठा का एक निराशाजनक अध्याय

विजय रूपाणी के अंतिम संस्कार का खर्च उठाने से भाजपा द्वारा कथित इनकार चिंताजनक है। इतना बड़ा खर्च, रूपाणी परिवार की परेशानी और इससे उठने वाले नैतिक सवालों को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है। ऐसा लगता है कि यह उस नेता के साथ विश्वासघात है जिसने इतना कुछ दिया।

यह स्थिति राजनीतिक निष्ठा और पार्टी संस्कृति पर एक प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। यह इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले व्यक्तियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। राजनीति में मानवीय पहलू को नहीं भूलना चाहिए।

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