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चंद्रबाबू नायडू Rahul Gandhi के संपर्क में: होगा बड़ा खेला? BJP गठबंधन में असंतोष की लहर
भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मची हुई है। खबरें हैं कि एनडीए के कई सहयोगी दल इंडिया ब्लॉक में शामिल हो सकते हैं। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू कथित तौर पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से बात कर रहे हैं। इससे आगामी राजनीतिक मुकाबले बदल सकते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव मुख्य फोकस में हैं। एनडीए के भीतर असंतोष और इंडिया ब्लॉक के कदम एक योजना की ओर इशारा करते हैं। इस योजना का उद्देश्य सत्तारूढ़ दल को चुनौती देना है।
चंद्रबाबू नायडू Rahul Gandhi के संपर्क में
दावों से पता चलता है कि चंद्रबाबू नायडू राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के संपर्क में हैं। सूत्र नायडू के संभावित कारणों की ओर इशारा करते हैं। इनमें क्षेत्रीय राजनीति या व्यापक मान्यताएँ शामिल हो सकती हैं। नायडू एक चतुर राजनीतिज्ञ हैं। वह इस मौके को हाथ से नहीं जाने देंगे।
बदलाव पर विचार कर रहे प्रमुख क्षेत्रीय दल
सिर्फ़ टीडीपी ही नहीं, कई और दल भी बदलाव की सोच रहे होंगे। उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) एक है। बिहार से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) का भी ज़िक्र है। दक्षिणी पार्टियाँ भी कथित तौर पर भाजपा की नीतियों से नाखुश हैं। ये संभावित कदम राजनीतिक परिदृश्य को नया रूप दे सकते हैं।
एनडीए के भीतर असंतोष
एनडीए के भीतर आम असंतोष है। कुछ सहयोगी नीतियों से असहमत हैं। कुछ खुद को हाशिये पर महसूस कर रहे हैं। वे और अधिक राजनीतिक शक्ति की तलाश कर सकते हैं। भारतीय ब्लॉक इन आंतरिक मुद्दों का इस्तेमाल कर सकता है। ये गतिशीलता विपक्षी दलों के लिए अवसर पैदा करती है।
राहुल गांधी का रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक: “राजीव प्रताप रूडी गेम प्लान”
राहुल गांधी कथित तौर पर एक “गेम प्लान” बना रहे हैं। यह योजना कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में मिली राजनीतिक जीत से प्रेरित लगती है। इसे बड़े मुकाबलों में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। उपराष्ट्रपति चुनाव इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब चुनाव
कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में हाल ही में हुआ चुनाव महत्वपूर्ण है। भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी जीते। कुछ लोग इसे राहुल गांधी का एक रणनीतिक कदम मान रहे हैं। इसे बड़े राजनीतिक मुकाबलों की रूपरेखा के रूप में देखा जा रहा है। यह जीत विपक्षी दलों के कूटनीतिक समर्थन को दर्शाती है।
उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति
भारतीय ब्लॉक इस रणनीति की नकल करना चाहता है। वे उपराष्ट्रपति चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं। उनका लक्ष्य एनडीए के सीटों के अंतर को कम करना है। वे एनडीए उम्मीदवार के लिए बड़ी चुनौतियाँ खड़ी करना चाहते हैं। यह रणनीति चुनावी गणित को हिला सकती है।
“वोट चोरी” के आरोप और चुनाव आयोग का ध्यान
“वोट चोरी” के आरोप सामने आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ध्यान मतदाता सूची के मुद्दों पर भी केंद्रित है। वे इन मुद्दों का इस्तेमाल चुनाव आयोग पर दबाव बनाने के लिए कर रहे हैं। यह आगामी चुनावों की दिशा तय कर सकता है। यह भाजपा को रक्षात्मक मुद्रा में लाने का एक तरीका है।
उपराष्ट्रपति चुनाव: एक महत्वपूर्ण रणभूमि
उपराष्ट्रपति चुनाव एक महत्वपूर्ण मुकाबला है। यह पिछले चुनाव परिणामों की भी समीक्षा करता है। यह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रणनीति से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा करता है।
थावर चंद गहलोत को कथित तौर पर उपराष्ट्रपति पद के लिए विचार किया जा रहा है। वह एक प्रमुख दलित नेता हैं। वह मध्य प्रदेश से हैं। वर्तमान में, वह कर्नाटक के राज्यपाल हैं। भाजपा उन्हें एक सुरक्षित विकल्प के रूप में देख रही है।
2022 का उपराष्ट्रपति चुनाव: एक मिसाल
2022 में, जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीता। उन्हें 528 वोट मिले। विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले। उस समय कई गैर-एनडीए दलों ने धनखड़ का समर्थन किया था। इनमें बीजद, वाईएसआरसीपी और बसपा शामिल हैं।
2025 की राजनीतिक स्थिति 2022 से काफी अलग है। भाजपा के बीजद के साथ संबंध खराब हो गए हैं। वाईएसआरसीपी (YSRCP) इस बार एनडीए का समर्थन नहीं कर सकती है। बसपा के पास केवल एक वोट है। ये बदलाव एनडीए के वोट शेयर को प्रभावित कर सकते हैं।
इंडिया ब्लॉक की व्यापक रणनीति
इंडिया ब्लॉक की एक व्यापक रणनीति है। इसमें गठबंधन बनाना और समर्थन जुटाना शामिल है। वे एनडीए को चुनौती देने के लिए प्रमुख मुद्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इंडिया ब्लॉक की एक बड़ी बैठक 7 अगस्त को हुई। इसमें प्रमुख नेता शामिल हुए। इसमें सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे। अखिलेश यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे और अभिषेक बनर्जी भी मौजूद थे। उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए रणनीति बनाई। उन्होंने “वोट चोरी” जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
समर्थन जुटाना और नए गठबंधन बनाना
इंडिया महागठबंधन अपना आधार मजबूत कर रहा है।महागठबंधन केवल उपराष्ट्रपति चुनाव पर ही केंद्रित नहीं है। वे भाजपा को चुनौती देने के लिए अन्य मुद्दों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप इसका एक उदाहरण हैं। वे शासन को लेकर भी चिंताएँ जता रहे हैं। यह बहुआयामी दृष्टिकोण दबाव बढ़ाता है।
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