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राहुल गांधी के Vote Adhikar Yatra में दरभंगा की एक घटना सामने आई। वहाँ किसी ने कथित तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। हालाँकि, वह व्यक्ति कथित तौर पर कांग्रेस का सदस्य नहीं था। वह एक पंक्चर बनाने वाला या टैक्सी ड्राइवर था। इससे पता चलता है कि यह घटना सुनियोजित हो सकती है।
Vote Adhikar Yatra में दरभंगा घटना: माँ के अपमान पर रोना
कथित तौर पर आयोजकों ने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज दिए। इससे पता चला कि उन्होंने उस व्यक्ति को पहले ही डाँट दिया था। उसने अपना अपराध कबूल भी कर लिया था और उसका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं था। फिर भी, जो कहानी गढ़ी गई, उससे लगता है कि यह राजनीतिक लाभ के लिए किया गया नाटक है। मोदी चीन क्यों गए, इस असली मुद्दे को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
मोदी ने सार्वजनिक रूप से भावनाएँ प्रदर्शित की हैं, जैसे अपनी माँ के अपमान पर रोना। वे अपनी 55 साल की सेवा का बखान करते हैं। लेकिन कुछ लोग सवाल उठाते हैं कि उन्होंने असल में क्या त्याग किया। उनका दावा है कि वे एक गरीब पृष्ठभूमि से हैं। उन्होंने देश से बहुत लाभ उठाया है। ऐसा लगता है कि उन्होंने जनता की गाढ़ी कमाई से विलासिता का जीवन जिया है।
सुनियोजित “विलाप कार्यक्रम” जैसा
यह भावनात्मक प्रदर्शन एक पैटर्न सा लगता है। उनकी राज्य अध्यक्ष और अन्य महिला समर्थक भी भावुक हो गईं। यह एक सुनियोजित “विलाप कार्यक्रम” जैसा है। यह वैसा ही है जैसे पहले शाही अंत्येष्टि में लोगों को रोने के लिए रखा जाता था। यह किसी नेता के लिए एक प्रदर्शन जैसा लगता है।
प्रियंका गांधी ने एक बार कहा था कि मोदी पर “तेरे नाम” जैसी एक फिल्म बननी चाहिए। इसका मतलब है कि वह अपने दर्द और पीड़ा पर ही ध्यान केंद्रित करते हैं। वह देश की असली समस्याओं पर शायद ही कभी रोते हैं। उन्होंने मणिपुर की बेटियों के लिए कोई भावना नहीं दिखाई। वह बिलकिस बानो के लिए नहीं रोए। उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
चीन और पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों पर भी वह चुप रहे। पुंछ और राजौरी में मारे गए नागरिकों पर भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पंजाब में बाढ़ पीड़ितों के लिए उन्होंने कोई दुख नहीं जताया। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हुई मौतों पर भी वह चुप रहे। वायनाड की बाढ़ ने उन्हें विचलित नहीं किया। कोविड-19 के दौरान सड़कों पर मारे गए सैकड़ों लोगों के लिए वह रोए नहीं।
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