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संसद में Operation Sindoor पर बहस: Rahul Gandhi का धमाकेदार आरोप, PM Modi को ट्रंप का डर!
हाल ही में लोकसभा में “ऑपरेशन सिंदूर” (Operation Sindoor) पर हुई बहस ने एक ज़बरदस्त राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू का 14 बार ज़िक्र किया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी का भी 50 से ज़्यादा बार ज़िक्र किया। ख़ास बात यह रही कि उनके भाषण में डोनाल्ड ट्रंप या चीन का कोई ज़िक्र तक नहीं हुआ। राहुल गांधी का दावा है कि यह चुप्पी प्रधानमंत्री के डर की वजह से है। गांधी के इस साहसिक बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ट्रंप से “बेहद डरे हुए” हैं।
इस राजनीतिक साज़िश को और बढ़ाते हुए, विदेश मंत्री एस. जयशंकर राज्यसभा में ख़ुद को एक नाज़ुक स्थिति में पा गए। ज़ोरदार बचाव के बावजूद, उनके तर्क विपक्षी सदस्यों को प्रभावित करने में नाकाम रहे। यह लेख राहुल गांधी के अहम दावों पर गहराई से चर्चा करता है। हम डोनाल्ड ट्रंप के प्रति प्रधानमंत्री की कथित आशंका पर गौर करेंगे। हम यह भी जाँचेंगे कि एस. जयशंकर विवादों में कैसे फँसे। इसके अलावा, हम शहीद सैनिक शुभम त्रिवेदी की पत्नी की टिप्पणियों पर भी गौर करेंगे। “ऑपरेशन सिंदूर” पर चर्चा के दौरान उनकी टिप्पणियों ने काफी खलबली मचा दी थी।
संसद में Operation Sindoor पर बहस: प्रधानमंत्री मोदी को ट्रंप का डर
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का मुख्य आरोप यह है कि प्रधानमंत्री मोदी जानबूझकर डोनाल्ड ट्रंप का ज़िक्र करने से बच रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसा डर की वजह से है। गांधी के बयान प्रधानमंत्री की चुप्पी के पीछे एक गहरी वजह बताते हैं। इसका प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर असर पड़ सकता है।
लोकसभा में “ऑपरेशन सिंदूर” पर बहस
“ऑपरेशन सिंदूर” पर लोकसभा में हुई बहस मुख्य आकर्षण रही। प्रधानमंत्री मोदी ने चर्चा के दौरान कई खास बातें कहीं। उन्होंने नेहरू और कांग्रेस पार्टी का बार-बार ज़िक्र किया। उन्होंने ट्रंप और चीन का ज़िक्र साफ़ तौर पर छोड़ दिया। इसने गांधी के बाद के आरोपों की पृष्ठभूमि तैयार की।
गांधी का दावा: प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप का नाम लेने से क्यों बचते हैं
राहुल गांधी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी कथित तौर पर ट्रंप के बारे में चुप क्यों रहते हैं। गांधी का कहना है कि ट्रंप का नाम लेने से प्रधानमंत्री की संभावित “राजनीतिक सफाई” उजागर हो जाएगी। उन्होंने इस चुप्पी को व्यापार सौदों से जोड़ा। गांधी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री ट्रंप को झूठा कहें, तो पूरी सच्चाई सामने आ जाएगी।
गांधी के आरोपों पर भाजपा की प्रतिक्रिया
गांधी के बयानों के बाद, भाजपा की प्रतिक्रिया उल्लेखनीय रही। यह दावा किया गया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता “पसीना” हो गए थे। इससे पता चलता है कि गांधी के आरोपों का असर हुआ। इस विवाद पर भाजपा का दृष्टिकोण यह है कि गांधी निराधार आरोप लगा रहे हैं।
राज्यसभा में एस. जयशंकर की दुविधा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर को राज्यसभा में एक मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ा। “ऑपरेशन सिंदूर” युद्धविराम में विदेशी नेताओं की भागीदारी के मुद्दे पर उन्हें घेरा गया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर उन पर दबाव डाला।
ट्रंप की भागीदारी पर विपक्ष का रुख
कांग्रेस पार्टी लगातार विदेशी प्रभाव का आरोप लगाती रही। उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान युद्धविराम को प्रभावित किया था। यह सरकार के आधिकारिक बयान से उलट है। सरकार का कहना है कि युद्धविराम एक आंतरिक मामला था।
जयशंकर की तीखी प्रतिक्रिया और चूक
जयशंकर ने विपक्ष के सवालों का तीखा जवाब दिया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसी भी विदेशी नेता ने युद्धविराम की मध्यस्थता नहीं की। हालाँकि, वे डोनाल्ड ट्रम्प का नाम नहीं ले सके। उन पर ऐसा करने के लिए दबाव डाला गया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
जयशंकर के बयान पर मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए
मीडिया रिपोर्टों में जयशंकर की टिप्पणियों का विस्तृत विवरण दिया गया है। “हिंदुस्तान लाइफ” ने उनकी तीखी बहस की रिपोर्ट दी। उन्होंने कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश और संजय सिंह से बात की। रिपोर्टों में ट्रम्प का नाम न ले पाने की उनकी असमर्थता पर प्रकाश डाला गया।
प्रधानमंत्री मोदी का भाषण: अतीत पर एक नज़र
“ऑपरेशन सिंदूर” पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का विश्लेषण किया गया। उन्होंने ऐतिहासिक हस्तियों और राजनीतिक विरोधियों का भरपूर उल्लेख किया। उन्होंने प्रमुख समकालीन हस्तियों और राष्ट्रों का उल्लेख नहीं किया। इस बदलाव की आलोचना हुई।
नेहरू और कांग्रेस का ज़िक्र ज़्यादा
प्रधानमंत्री ने जवाहरलाल नेहरू का ज़िक्र बार-बार किया। उन्होंने कई बार कांग्रेस पार्टी का ज़िक्र किया। ऐतिहासिक राजनीतिक हस्तियों पर ज़्यादा ध्यान दिया गया। इसने वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित किया।
भाषण में ट्रंप और चीन का न होना
डोनाल्ड ट्रंप और चीन प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से पूरी तरह गायब थे। यह चूक विवाद का विषय बन गई। विपक्ष ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस बात का ज़िक्र नहीं किया गया।
भाषण के केंद्र बिंदु की आलोचना
आलोचकों ने तर्क दिया कि प्रधानमंत्री का भाषण विषय से भटक गया। इसने “ऑपरेशन सिंदूर” से ध्यान हटा दिया। नेहरू और कांग्रेस पर हमला करने पर ज़ोर दिया गया। इससे भाषण की प्रासंगिकता पर सवाल उठे।
शहीद शुभम त्रिवेदी की पत्नी की व्यथित करने वाली टिप्पणियाँ
शहीद सैनिक शुभम त्रिवेदी की पत्नी ने कुछ बेहद मार्मिक बातें कहीं। उनके शब्दों ने गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने सरकार द्वारा बलिदानों को स्वीकार करने पर सवाल उठाए। उनके शब्दों का भावनात्मक प्रभाव काफ़ी गहरा था।
स्वीकृति न मिलने पर पत्नी की निराशा
पत्नी ने निराशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए इनमें उनके पति भी शामिल थे। उन्होंने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के प्रयासों का ज़िक्र किया। उन्होंने शहीद सैनिकों को उजागर करने की कोशिश की।
एक शहीद की पत्नी की भावनाएँ
पत्नी के बयान में गहरा भावनात्मक भार था। इसे एक बेहद मार्मिक अभियोग के रूप में देखा गया। इसने संसदीय बहस के दौरान सरकार की प्राथमिकताओं की आलोचना की। उनके शब्दों की व्यापक रूप से गूंज हुई।
25 घंटे की बहस पर सवाल
पत्नी की टिप्पणियों ने लंबी संसदीय चर्चा पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने बहस के सार पर गंभीर सवाल उठाए। उनकी भावनाओं के आलोक में इसके केंद्र बिंदु पर सवाल उठाए गए। 25 घंटे की बहस की गहन जाँच की गई।
प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी
उठाए गए मुख्य मुद्दे स्पष्ट हैं। ट्रम्प पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी एक छिपे हुए एजेंडे का संकेत देती है। राहुल गांधी ने दावा किया कि वह जानकारी छिपाना चाहते हैं। गांधी का इशारा यही था।
कुछ तो गड़बड़ है
इसका निहितार्थ यह है कि “कुछ तो गड़बड़ है।” ट्रंप पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी यही इशारा करती है। हो सकता है कि प्रधानमंत्री कुछ छिपा रहे हों। यही एक महत्वपूर्ण बात है।
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