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Ek Desh Ek Chunao: एक देश एक चुनाव पर चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी की टिप्पणी, ऐसा होने पर एकत्ववादी विचारधारा, विविधता वाली देशभावना को ख़तरा

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Ek Desh Ek Chunao: केंद्रीय कैबिनेट ने फैसला लिया है कि एक देश एक चुनाव नीति लागू होगी। एकत्ववादी विचारधारा, विविधता वाली देशभावना को खतरा है।

एक देश एक चुनाव नीति लागू होगी। NDA के केबिनेट में यह निर्णय तब कर लिया है जब लोकसभा और राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत से वह पीछे है। राज्यसभा में दो तिहाई बहुमत के लिए 156 MP जरुरत होती है जबकि nda के पास फुल 126 MP हैं। लोकसभा में 362 की जगह पर 293 सदस्य ही हैं।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व की एक समिति ने एक देश एक चुनाव नीति की सिफारिश की थी। कैबिनेट के इस निर्णय का कांग्रेस और विपक्षी दलों ने विरोध किया है।

भूमिका: ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी 100 दिन पूरा करने के बाद दूसरे आक्रामक दौर मेंआ गई है।

कैबिनेट ने तय कर लिया है कि पूरे देश पर एक देश एक चुनाव की नीति लागू कर देगी. इसके लिए संविधान में कम से कम 8 संशोधन करने होंगे।
नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कैबिनेट में रामनाथ कोविंद की समिति की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया। सरकार ने इसे स्वीकार किया ।

कैबिनेट का पूरा प्रस्ताव अभी नहीं आया है। शुरू में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही करवाए जाएंगे। बाद में स्थानीय निकायों के भी चुनाव साथ में होने लगेंगे।

दो दिनों पहले नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड ने भी इस नीति को समर्थन दे दिया था।

समीक्षा: एक देश एक चुनाव की नीति एकता के नाम पर, भारत की विविधता पर हमले जैसा है।

व्यावहारिकता के नाम पर बीच में गिरने वाली प्रांतीय सरकारों को या तो लोकसभा चुनाव तक इंतजार करना पड़ेगा। बीच में प्रांतीय सरकार गिर गई तो केंद्र सरकार की कृपा पर यह निर्भर करेगा , कि थोड़े दिनों के लिए चुनाव हो या राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। और भी कई तरह की बातें हो सकते हैं।

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अभी लोकसभा के साथ उड़ीसा, तेलंगाना और सिक्किम का चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ में होते हैं ।

भाजपा सरकार की कोशिश है कि मतदाता सूची को भी एक साथ तैयार कर दिया जाए। खामियां निकाय पंचायत और नगर निकाय के चुनाव की अलग प्रक्रिया होती है अब वह सब चुनाव आयोग के अधीन करने की आकांक्षा है।

इसके आधार पर ही लोकसभा क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन की शुरुआत हो सकती है।

महिला आरक्षण व्यवस्था को भी परिसीमन के बाद 2029 से लागू करना है।

इसका मतलब है की कोशिश होगी की 2029 में हर तरह से व्यवस्था बनाकर लोकसभा चुनाव के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव करवाए जाएं।

कांग्रेस ने इसे अव्यावहारिक और असंगत बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि इस योजना के द्वारा भाजपा जनता का ध्यान भटक रही है।

भारत के 15 विपक्षी दल एक साथ कैबिनेट के इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। अभी पूरी संभावना है कि देश की केंद्रीय सत्ता और विपक्ष में इस मसले पर तीखा विभाजन होगा।

c a priyadarshi

  • चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी (जानेमाने समाजसेवी और विचारक)

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