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Haryana में Election Commission का षड्यंत्र उजागर!: चुनावी गड़बड़ियों का खुला बड़ा राज

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कल्पना कीजिए, एक ब्राजील की मॉडल हरियाणा (Haryana) के 10 बूथों पर 22 बार वोट डाल रही है। यह कोई फिल्म की कहानी नहीं है। बल्कि हरियाणा की वोटर लिस्ट में दर्ज हकीकत है। नाम बदलते रहते हैं – कभी सीमा, कभी स्वीटी, कभी सरस्वती। यह देखकर दिल दुखता है। हरियाणा के युवाओं और जनता का भरोसा टूट रहा है। इस लेख में हम इसी धोखे की परतें खोलेंगे। डुप्लीकेट वोटर्स, अमान्य पते और बल्क वोटर्स जैसे सबूतों से सच्चाई सामने लाएंगे। हमारा मकसद है, आपको साफ बताना कि चुनावी प्रक्रिया में कितनी कमजोरी है। यह सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि आपकी आवाज का सवाल है।

ब्राजील की मॉडल: डेटाबेस में हेरफेर का जीता-जागता सबूत

एक ब्राजील की महिला हरियाणा की वोटर लिस्ट में घुस आई है। वह 22 बार 10 अलग-अलग बूथों पर वोट दे चुकी है। नाम? कभी सीमा, कभी स्वीटी, कभी सरस्वती। हर बार फोटो वही आती है। यह कोई छोटी गलती नहीं लगती। बल्कि एक सुनियोजित खेल है। हरियाणा की जनता सोचिए, आपकी मेहनत का फल चुराया जा रहा है। युवाओं के सपने टूट रहे हैं। यह महिला न हरियाणा की है, न भारत की। फिर भी वोट डाल रही है। स्कैन करके देख लीजिए, सबूत आपके सामने हैं। दिल को चुभता है यह सोचना।

केंद्रीय सिस्टम में सेंध: स्थानीय त्रुटि नहीं, बड़ा षड्यंत्र

यह फ्रॉड स्थानीय स्तर का नहीं है। BLO यानी बूथ लेवल ऑफिसर की गलती से 10 बूथों पर एक फोटो नहीं आ सकती। सब कुछ सेंट्रलाइज्ड डेटाबेस से जुड़ा है। केंद्र से ही एंट्री की गई है। मतलब, सिस्टम में गहरी सेंध लग चुकी है। अगर छोटी त्रुटियां होतीं, तो आसानी से पकड़ में आ जातीं। लेकिन यह तो पूरे नेटवर्क को हिला देता है। हरियाणा के वोटर्स महसूस करते होंगे, उनकी आवाज दबाई जा रही है। हम सबको दुख होता है जब लोकतंत्र पर सवाल उठते हैं। यह कमजोरी ठीक होनी चाहिए।

वोट चोरी का आंकड़ा: हरियाणा में पांच तरह की चुनावी धांधली
पहली श्रेणी: डुप्लीकेट और अमान्य वोटर्स का खुलासा

हरियाणा में 5 लाख डुप्लीकेट वोटर्स पाए गए हैं। यानी एक ही व्यक्ति कई जगह दर्ज है। साथ ही करीब 90 हजार अमान्य पते हैं। ये घर या गांव गलत बताए गए हैं। इससे चुनाव का नतीजा बदल जाता है। कल्पना कीजिए, आपका वोट किसी और के नाम पर चला जाए। यह कितना दर्दनाक है। इन आंकड़ों से चुनाव की ईमानदारी पर सवाल खड़े होते हैं। जनता का गुस्सा जायज है।

  • डुप्लीकेट वोटर्स: 5 लाख तक। कई नामों से वोटिंग।
  • अमान्य पते: 90 हजार। गलत एड्रेस से फर्जी एंट्री।
  • प्रभाव: असली वोट दब जाते हैं।

ये आंकड़े हमें सोचने पर मजबूर करते हैं। आपकी भागीदारी खतरे में है।

दूसरी श्रेणी: बल्क वोटर्स का डरावना खेल

19 लाख बल्क वोटर्स का आंकड़ा चौंका देता है। बल्क वोटर्स क्या हैं? बड़े पैमाने पर एक साथ रजिस्टर किए गए नाम। ये संगठित तरीके से जोड़े जाते हैं। घने इलाकों में फर्जी लिस्टें भर दी जाती हैं। यह कोई संयोग नहीं। बल्कि संगठित गड़बड़ी है। हरियाणा के किसानों और मजदूरों का वोट चुराया जा रहा है। दुख होता है देखकर। इनकी वजह से असली बहुमत बदल जाता है।

तीसरी श्रेणी: फॉर्म सिक्स और सेवन का दुरुपयोग, जो छिपा रह गया

फॉर्म सिक्स से वोटर जोड़े जाते हैं। फॉर्म सेवन से हटाए जाते हैं। महादेवपुरा मामले के बाद चुनाव आयोग ये फॉर्म नहीं देता। पहले मिले थे, तो हमने दिखा दिया। अब नहीं मिलते। इसलिए हम अनुमान लगाते हैं। करीब 10 लाख एक्स्ट्रा वोट इसी से चोरी हुए होंगे। पूर्ण सबूत न होने पर हम इग्नोर करते हैं। लेकिन खतरा साफ है। जनता का भरोसा कम हो रहा है। यह दुख की बात है।

  • फॉर्म सिक्स: जोड़ने का फॉर्म। 30% चोरी यहीं से।
  • फॉर्म सेवन: हटाने का। लेकिन अब डेटा छिपा।
  • अनुमान: 10 लाख वोट प्रभावित।

हम सिर्फ सच्चे आंकड़ों पर भरोसा करते हैं। बाकी का दर्द सबको महसूस होता है।

महादेवपुरा का सबक और सबूत की सीमा

महादेवपुरा में फॉर्म मिले थे। वहां 30% वोटर चोरी फॉर्म सिक्स से हुई। आयोग ने गलती की, हमें दिखा दिया। लेकिन उसके बाद आलन मामले में बंद कर दिया। अब फॉर्म सिक्स-7 नहीं मिलते। इसलिए हम डुप्लीकेट, अमान्य और बल्क पर फोकस करते हैं। यह पारदर्शिता की कमी है। वोटर्स को दुख होता है जब सच्चाई छिपाई जाती है।

हरियाणा की जनता को पूरा हक है जानने का। ये उदाहरण बताते हैं, सिस्टम में सुधार जरूरी है।

100% सबूत का नियम

हम केवल पक्के रिकॉर्ड पर बात करते हैं। अनुमानित आंकड़े अलग रखते हैं। क्योंकि गलत जानकारी से नुकसान होता है। महादेवपुरा जैसे केस से सीख मिली। अब सतर्क रहते हैं। यह जिम्मेदारी है हमारी। आपकी चिंता हम समझते हैं। सच्चाई सामने लाना जरूरी है।

बड़ा चित्र: चुराया गया जनादेश और चुनाव पर असर

हरियाणा में कुल 2 करोड़ वोटर्स हैं। इनमें 25 लाख वोट चोरी हुए। यानी आठ में से एक वोट फर्जी। 12.5% चोरी का दर। यह बड़ा नुकसान है। पहले के आंकड़ों से यह साफ है। जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। युवाओं के भविष्य पर असर पड़ रहा।

  • कुल वोटर्स: 2 करोड़।
  • चोरी: 25 लाख।
    *दर: 12.5%।

यह आंकड़े दिल दहला देते हैं।

चुराए वोटों से चुनाव कैसे बदलते हैं

25 लाख चोरी के मुकाबले कांग्रेस सिर्फ 22,000 वोट से हारी। जहां 2500 का अंतर था, वहां 22,000। इतनी बड़ी चोरी से हारना आसान हो जाता है। सरकार चोरी की बनी है। फेक जनादेश पर टिकी है। हरियाणा के लोग सोचें, उनकी ताकत कमजोर हो रही है। यह दर्दनाक सच्चाई है।

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