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Election Commission scam: कौन है मिंता देवी? चुनाव आयोग आलोचनाओं के घेरे में

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भारतीय चुनाव आयोग (ECI) आलोचनाओं के घेरे में है। ऐसा मतदाता सूची से जुड़ी कई कथित गड़बड़ियों के कारण हो रहा है। सबसे चर्चित मामला बिहार की मिंता देवी का है। विपक्षी दलों का दावा है कि ये साधारण गलतियाँ नहीं हैं। उनका कहना है कि यह चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की एक योजना है। यह लेख इसी विशिष्ट मामले पर प्रकाश डालता है। यह निष्पक्ष चुनावों पर इसके व्यापक प्रभाव की भी पड़ताल करता है।

यह विवाद चुनाव आयोग में एक कथित “घोटाले” पर केंद्रित है। विपक्षी नेता मतदाता सूची अद्यतन में खामियों को उजागर कर रहे हैं। उनका दावा है कि ये “गलतियाँ” जानबूझकर की गई हैं। उनका कहना है कि इनका उद्देश्य वोटों में हेराफेरी करना है। इससे वास्तविक मतदाताओं को भी रोका जा सकता है।

हम इन दावों की जाँच करेंगे। हम सबूतों पर गौर करेंगे। हम चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया भी जानना चाहते हैं। मीता देवी का मामला महत्वपूर्ण है। उनकी उम्र 124 वर्ष दर्ज की गई थी। वह पहली बार मतदाता भी थीं। यह कथित समस्याओं को उजागर करता है।

कौन है मिंता देवी  – 124 साल की पहली बार मतदाता

मिंता देवी 35 साल की महिला हैं। वह बिहार में रहती हैं। उनके मतदाता पहचान पत्र में गलती से उनकी उम्र 124 साल दर्ज हो गई थी। साथ ही, उन्हें पहली बार मतदाता भी बताया गया था। रिपोर्टों से पता चलता है कि यह गलती एक ऑनलाइन फॉर्म भरते समय हुई। स्थानीय मतदान केंद्र अधिकारी ने स्वीकार किया कि यह एक गलती थी। यह उम्र दर्ज करने में हुई गलती थी।

कल्पना कीजिए एक 124 साल के पहली बार मतदाता की। यह असंभव लगता है। अब तक का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति 117 साल तक जीवित रहा। यह ब्रिटेन में हुआ था। भारत में कोई भी इतना लंबा जीवन नहीं जी पाया है। 124 साल के मतदाता पर विश्वास करना मुश्किल है। यह आपको इस प्रक्रिया के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।

Election Commission scam: “वोट डकैती” और SIR का कार्यान्वयन

विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। सांसदों ने टी-शर्ट पहनी हुई थीं। उन्होंने “124 नॉट आउट” और “मीता देवी” लिखा। इससे मुद्दा उजागर हुआ। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस पर अपनी बात रखी। उन्होंने इस त्रुटि को एक बड़ी समस्या से जोड़ा। उनका दावा है कि SIR का इस्तेमाल “वोटों की लूट” के लिए किया जा रहा है। उनका कहना है कि इससे भाजपा को मदद मिलती है।

विपक्ष ने “कट वोटर” पैटर्न का भी उल्लेख किया। उनका दावा है कि 65 लाख मतदाताओं को हटा दिया गया। चुनाव आयोग यह नहीं बताएगा कि ये लोग कौन हैं। पारदर्शिता की यह कमी चिंताओं को और बढ़ा देती है। इससे हेरफेर के आरोपों को बल मिलता है। विपक्ष का मानना है कि यह एक सोची-समझी रणनीति है।

राहुल गांधी के आरोप: चुनाव आयोग के डेटा हेरफेर के दावों की गहराई से पड़ताल

राहुल गांधी ने ज़ोरदार दावे किए। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग अपने डेटा को खुद नियंत्रित करता है। उन्हें इसे ऑनलाइन जारी करना चाहिए। उनका मानना है कि चुनाव आयोग जानता है कि उसके डेटा में खामियाँ हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह उजागर हो जाएगा। उन्होंने इसे “ध्यान भटकाने” की रणनीति बताया।

ये गलतियाँ सिर्फ़ एक जगह नहीं हैं। गांधी कहते हैं कि ये कई इलाकों में होती हैं। अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में एक जैसी समस्याएँ दिखाई देती हैं। चुनाव आयोग जानता है कि उसके आँकड़े कमज़ोर हैं। वह इसे छिपाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन सच्चाई सामने आएगी।

गलतियों का पैटर्न: मिंता देवी के मामले से आगे

मिंता देवी का मामला कोई अनोखा नहीं है। राहुल गांधी कहते हैं कि ऐसी सैकड़ों गलतियाँ हैं। ये मुद्दे कई ज़िलों में फैले हुए हैं। ये कोई छिटपुट घटनाएँ नहीं हैं। ये गलतियाँ मतदाताओं के विश्वास को कमज़ोर करती हैं। ये लोगों को चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाने पर मजबूर करती हैं। ऐसी व्यापक गलतियाँ लोकतंत्र में विश्वास को कम करती हैं।

“मानवीय भूल” बनाम जानबूझकर बनाई गई रणनीति: चुनाव आयोग का बचाव

चुनाव आयोग अक्सर इन्हें “मानवीय भूल” कहता है। वे कह सकते हैं कि ये तकनीकी गड़बड़ियाँ हैं। एक बूथ अधिकारी ने ऑनलाइन फ़ॉर्म में गलती की बात स्वीकार की। लेकिन क्या इतनी बड़ी गलतियाँ सिर्फ़ मानवीय भूल हो सकती हैं? चुनाव आयोग के पास बहुत सारे संसाधन हैं। उसका बजट बड़ा है। हम बेहतर सटीकता की उम्मीद करते हैं।

विशेषज्ञ की राय: क्या यह कदाचार है या अक्षमता?

वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेरा ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह एक सच्चे संवैधानिक निकाय की तरह काम नहीं करता। अगर ऐसा होता तो ऐसी गलतियाँ नहीं होतीं। उन्होंने उच्च अधिकारियों के दबाव का भी ज़िक्र किया। चुनाव आयोग और राज्य चुनाव आयुक्त जल्द नतीजे देने पर ज़ोर दे रहे हैं।

लखेड़ा ने अधिकारियों को मतदाता सूची में जल्दबाज़ी में बदलाव करते देखा। उन्होंने बताया कि एक ज़िला अधिकारी तेज़ी से संशोधन करने पर ज़ोर दे रहा था। इसका लक्ष्य रात तक काम पूरा करना था। इसका मतलब है कि कई मतदाताओं का संशोधन जल्दी हो गया। इससे फ़र्ज़ी प्रविष्टियाँ हो सकती हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प नाम के एक मतदाता का भी ज़िक्र किया। इससे डेटा में हेराफेरी का संकेत मिलता है।

विपक्षी एकता: कथित मतदान में धांधली के ख़िलाफ़ एक संयुक्त मोर्चा

विपक्षी दल एकजुट हैं। वे चुनाव आयोग की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं। वे “वोट चोर गद्दी छोड़ो” का नारा लगा रहे हैं। इसका मतलब है “वोट चोर, कुर्सी छोड़ो।” उन्हें उम्मीद है कि यह संदेश सभी तक पहुँचेगा। कांग्रेस पार्टी ने भी बिहार के मुद्दों पर ट्वीट किया। उन्होंने इसे मतदाता सूची में हेराफेरी बताया। उन्होंने लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया।

“वोट अधिकार यात्रा” और बढ़ता विरोध प्रदर्शन

और विरोध प्रदर्शनों की योजना है। बिहार में “वोट अधिकार यात्रा” निकाली जाएगी। यह 17 जिलों से होकर गुज़रेगी। बड़े प्रदर्शन भी आयोजित किए जा रहे हैं। विपक्ष जन जागरूकता बढ़ाना चाहता है। उनका उद्देश्य इन कथित खामियों को मतदाताओं से जोड़ना है।

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