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एथेनॉल का खेल: मोदी लाई थी प्लान, गडकरी के बेटों ने जम कर कमाई माल!

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एथेनॉल का खेल: गडकरी का बेटा अलाद्दीन का चिराग

देश परेशान है टैरिफ की मार से और नेता मंत्री के बेटे कमा गए करोड़ों बाजार से। सब परेशान है टैरिफ की वजह से। लेकिन हां जो हमारी गाड़ी में गन्ना गया है ना आज उसकी कुछ परतें खुली हैं। आज हम बात करेंगे कार, बाइक और स्कूटर के इंजन की जो एथेनॉल की वजह से कराह रहे हैं। और हम बात करेंगे उस दौलत की जो गढ़करी परिवार के घर में झरनों की तरह बह रही है।

आज की कहानी से हमें सीखने को मिलेगा कि भारतीय जनता पार्टी में जो नेता अपने बेटे को राजनीति में नहीं लाते हैं, उसके पीछे का असली कारण क्या है? अमित शाह खुश हो रहे थे कि सिर्फ उनका बेटा ही कमाल कर रहा है। लेकिन गडकरी साहब ने भी बता दिया कि उनके बेटे भी किसी अलादीन के चिराग से कम नहीं है। इतने होनहार बेटे हैं गडकरी साहब के कि मिले तो क्या बताएं।

कहानी गन्ने की मिठास से नहीं

कितना ही बताएं कम है। बस यही कहेंगे कि भगवान हर किसी को ऐसी औलाद दे जहां पर लक्ष्मी छप्पर फाड़ के बरसती हो। अगर आप किसी मंत्री के बेटे को कोई धंधा करते देखें तो तुरंत उसमें निवेश कर दीजिएगा। आपकी भी बंपर लॉटरी लग जाएगी। आज की कहानी गन्ने की मिठास से नहीं लेकिन गन्ने से पैदा हुई कड़वाहट से जुड़ी है। यह कहानी है नितिन गडकरी के बेटों सारंग और निखिल की।

एक चलाते हैं मानस एग्रो और दूसरा चलाते हैं सियान एग्रो। दोनों एथेनॉल बनाते हैं और दोनों ने ऐसा मुनाफा ऐसा मुनाफा कमाया है कि बाकी इंडस्ट्री वाले देखते रह गए। दोस्तों आजकल हम जो पेट्रोल अपनी गाड़ियों में डाल रहे हैं उसमें बताकर एथेनॉल मिलाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि किसानों को लाभ देगा। पेट्रोल का खर्च घटेगा।

पैसा जा रहा है गड़करी के बेटों की कंपनियों में

विदेशों से तेल खरीदने की मजबूरी कम होगी। लेकिन असल में हुआ यह कि एथेनॉल से आपकी कार की माइलेज कम हो गई। आपका स्कूटर पहले जितनी दूर जाता था अब नहीं जाता। आपकी मोटरसाइकिल जितनी दूर जाती थी नहीं जाती बल्कि अब ज्यादा सर्विसिंग मांगने लगी है। गाड़ी स्टार्ट करने के लिए लात मार मार कर लोग परेशान हो रहे हैं। स्टार्ट कर नहीं पा रहे हैं। मोटरसाइकिल दुखी कर रही है। इंजन का जीवन छोटा हो रहा है और यह सारा नुकसान आपकी जेबों पर पड़ रहा है। लेकिन यह पैसा आखिरकार कहां जा रहा है? यह पैसा जा रहा है गड़करी साहब के बेटों की कंपनियों के खजाने में।

जरा आंकड़ों पर नजर डालिए। निखिल गडकरी की कंपनी क्लेन एग्रो पिछले साल तक महज 17 करोड़ की थी। आज वही कंपनी 511 करोड़ की हो गई। यह कोई मामूली बात नहीं बल्कि लगभग 3000% की जंप है। वाह गडकरी साहब वाह। ऐसी कौन सी गुट्टी पिलाते हो बेटे को कि रातों रात उनकी कंपनियां आसमान को छूने लगती हैं। और सिर्फ इतना ही नहीं कंपनी का शेयर प्राइस जो कभी ₹340 था आज ₹700 टच कर रहा है।

पेट्रोल की कीमत 15 रूपये करने की बात

अब बताइए कौन कहता है कि इकॉनमी की डेड है? इकॉनमी मर गई है। आप और हम तो ₹20 का गन्ने का जूस बड़े गिलास में डालकर अटक जाते हैं। बड़े मजे-मजे ले पीते हैं। उधर नेताओं के बेटे ₹700 का शेयर बना लेते हैं। याद कीजिए गड़करी साहब की वह बड़ी-बड़ी बातें जब उन्होंने छाती ठोक कर कहा था कि आप ₹120 का पेट्रोल ले रहे हैं। उसका भाव हम ₹15 लीटर कर देंगे। लोग आज सचमुच में अपनी छाती पीट रहे हैं। कहीं भी ₹15 का पेट्रोल नहीं मिल रहा। ₹100 से नीचे कहीं कीमत नहीं है और इसी बीच आपके बेटे की कंपनी 500 करोड़ से ज्यादा की हो गई।

जनता को तो वही पुरानी मुश्किलें और महंगाई मिली लेकिन आपके बेटे की कंपनियों ने सोना उगलना शुरू कर दिया। आधिकारिक आंकड़े भी यही कहते हैं। सियान एग्रो इंडस्ट्री जून 2024 में सिर्फ ₹18 करोड़ का राजस्व कमा पाई थी। लेकिन जून 2025 आते-आते वही कंपनी ₹10 करोड़ का राजस्व पोस्ट कर रही है। महज 12 महीने में 28 गुना की छलांग और 2025 के पूरे फाइनेंशियल आंकड़े बताते हैं कि कंपनी का रेवेन्यू ₹154 करोड़ और नेट प्रॉफिट 41 करोड़ है। दूसरी तरफ सारंग गडकरी की कंपनी मानस एग्रो जो अभी तक अनलिस्टेड है। उसने 2021 में 5990 करोड़ का रेवेन्यू पोस्ट किया था।

एथेनॉल खेल की क्रोनोलॉजी समझिये

2024 में उसका आंकड़ा बढ़कर 9591 करोड़ पहुंचा। अब आइए जरा इस खेल की क्रोनोलॉजी समझते हैं। सन 2022 में नितिन गडकरी ने अपनी पुरानी कंपनी पूर्ति समूह से दो अलग-अलग कंपनियां बनाई थी। एक नाम था मानस एग्रो दूसरी का सियान एग्रो इंडस्ट्री। फिर इन दोनों कंपनियों को पूर्ति समूह से अलग-अलग करके बेटे सारंग और निखिल के हवाले कर दिया गया। दोनों कंपनियों का मुख्य उत्पादन एथेनॉल था। यानी जिस नीति को देश भर में लागू किया गया, उसका सीधा-सीधा फायदा गडकरी परिवार की नई-नई कंपनियों को मिलने लगा।

मानस एग्रो ने रम और विस्की के ब्रांड भी बाजार में उतार दिए। कप्तान और होल स्टोर नाम से शराब बनाकर मार्केट में बेचना शुरू कर दिया। यानी एथेनॉल सिर्फ गाड़ियों के पेट्रोल तक में नहीं जा रहा। वो शराब के पैग में भी आपके गले में उतर रहा है। दोनों की जगह से पैसा आखिरकार गडकरी परिवार की जेब में जा रहा है। शेयर बाजार की लत शेयर बाजार का हाल किसी रोलर कोस्टल से कम नहीं रहा है। डेढ़ साल पहले सियान एग्रो का एक शेयर मात्र ₹40 का था।

राष्ट्रवाद की चादर

महज डेढ़ साल में वही शेयर ₹668 का हो गया। जिस किसी ने नेताओं की बेटे की कंपनी में निवेश किया वह मालामाल हो गया। अरबपति हो गया। और यही वजह है कि लोग कहते हैं कि न्यू इंडिया का नया रूल मत भूलना। किसी भी नेता के लड़के की कंपनी है तो शेयर जरूर खरीदना। शूट अप करेगा। अब सवाल यह है कि यह सब हुआ कैसे?

तो इसका जवाब है नितिन गडकरी की वो नीति जिसके तहत पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाना अनिवार्य कर दिया गया। तर्क दिया गया कि इससे किसानों को फायदा होगा और हमें मुसलमान देशों से कम से कम तेल खरीदना पड़ेगा। यानी राष्ट्रवाद की चादर भी ओढ़ ली गई। लेकिन असलियत क्या है? किसानों की आय में कोई खास इजाफा नहीं हुआ। बल्कि जनता को मिला सिर्फ घाटा और गडकरी परिवार की कंपनियों को मिला सीधा फायदा।

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