Sen your news articles to publish at [email protected]
Murshidabad में नई Babri Masjid के लिए चंदा: 11 पेटियाँ नकद, 93 लाख ऑनलाइन और लगी नोट गिनने की मशीनें
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद (Murshidabad) में बन रही नई बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) के लिए आया चंदा अपने आप में खबर बन गया। नींव रखने के शिलान्यास कार्यक्रम के तुरंत बाद जितना पैसा इकट्ठा हुआ, उसे देखकर लोग सचमुच हैरान रह गए। नकद दान की हालत यह रही कि नोट गिनने के लिए मशीनें लगवानी पड़ीं और गिनती में 30 लोगों की टीम लगी। साथ ही, ऑनलाइन चंदे में करीब 93 लाख रुपये का आँकड़ा सामने आया, जिसने इस पूरे मसले को और चर्चित बना दिया।
यह पूरा मामला दिखाता है कि किसी धार्मिक स्थल से लोगों की भावनाएँ कितनी गहराई से जुड़ी होती हैं और सामूहिक भागीदारी किस स्तर तक पहुँच सकती है।
मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल: जहाँ नई बाबरी मस्जिद बन रही है
मुर्शिदाबाद, जो कभी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वजहों से सुर्खियों में रहा है, अब एक नई वजह से चर्चा में है। यहाँ पर एक नई बाबरी मस्जिद के निर्माण की शुरुआत की गई है। इस मस्जिद के लिए शिलान्यास समारोह रखा गया, जहाँ बड़ी संख्या में लोग जुटे और वहीं से चंदे की यह अनोखी कहानी शुरू होती है।
शिलान्यास के बाद लोगों ने दिल खोलकर दान दिया। आयोजकों द्वारा रखी गई पेटियाँ भरती चली गईं और थोड़ी ही देर में ये चंदा साधारण स्तर से ऊपर निकलकर खबर बन गया। यह पूरा घटनाक्रम केवल स्थानीय घटना नहीं रहा, बल्कि मीडिया रिपोर्ट्स के ज़रिए देश भर में चर्चा का विषय बन गया।
11 पेटियाँ चंदे से भर गईं: सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं
शिलान्यास कार्यक्रम खत्म भी नहीं हुआ था कि चंदे से जुड़ी खबर सुर्खियों में आ गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उसी मौके पर 11 पेटी चंदा नकद के रूप में इकट्ठा हो गया।
लोगों की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी रही कि आंखें फटी की फटी रह गईं। किसी ने शायद सोचा भी नहीं होगा कि इतने कम समय में इतनी बड़ी नकद राशि जमा हो जाएगी।
इस पूरे चंदे को लेकर कुछ अहम बिंदु सामने आए:
- दान देने वालों की कतार लंबी चलती रही।
- पेटियाँ भरती गईं और संख्या बढ़कर 11 तक पहुँच गई।
- हर कोई यही सोच रहा था कि आखिर कुल रकम कितनी होगी।
भीड़ में मौजूद लोगों के लिए यह केवल धार्मिक आस्था का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि एक तरह से सामूहिक आर्थिक योगदान की ताकत भी दिखा। एक ही आयोजन में इतना चंदा इकट्ठा होना कई लोगों के लिए आश्चर्य से भरा क्षण था।
गिनने में पसीना: 30 लोग और नोट गिनने की मशीनें
जब 11 पेटियों में भरा नकद सामने आया, तो असली चुनौती शुरू हुई, इसे गिनने की। सामान्य स्थितियों में दो-चार लोग बैठकर नोट गिन लेते हैं, लेकिन यहाँ मामला अलग था। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि चंदा देखने के बाद स्थिति ऐसी बन गई कि पैसा गिनने के लिए मशीन लगवानी पड़ी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक:
- करीब 30 लोग नोट गिनने में लगाए गए।
- नोट गिनने की मशीनें मँगवाई गईं, ताकि प्रक्रिया तेज और सटीक हो सके।
- गिनती का काम साधारण मैन्युअल प्रक्रिया से आगे जाकर एक संगठित प्रयास बन गया।
क्यों मशीनें लगवानी पड़ीं
जब नकद चंदा कुछ हज़ार या कुछ लाख तक सीमित रहता है, तो हाथ से गिनना आसान है। लेकिन जैसे ही रकम बहुत ज्यादा हो जाती है, केवल इंसानी मेहनत पर भरोसा करना जोखिम भरा हो जाता है।
ऐसी स्थिति में:
- मशीन की मदद से गिनती तेज़ होती है।
- नोटों की डुप्लीकेट गिनती से बचा जा सकता है।
- गलत गिनती की संभावना कम रह जाती है।
यही वजह रही कि यहाँ भी मशीन लगवानी पड़ी, और 30 लोगों के साथ मिलकर गिनती का बड़ा काम संभाला गया।
ऑनलाइन चंदा: अब तक 93 लाख रुपये की डिजिटल मदद
कहानी केवल नकद चंदे पर खत्म नहीं होती। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नई बाबरी मस्जिद के लिए ऑनलाइन माध्यम से अब तक करीब 93 लाख रुपये जुटाए जा चुके हैं। यह आँकड़ा दिखाता है कि कितने लोग दूर बैठे भी इस निर्माण से खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं।
ऑनलाइन चंदे की कुछ खास बातें:
- दान देने वाले लोग किसी भी शहर या देश से योगदान कर पा रहे हैं।
- छोटी राशि से लेकर बड़ी रकम तक, हर तरह का सहयोग दर्ज हो रहा है।
- ऑनलाइन रिकॉर्ड रहने से हिसाब रखने में भी आसानी रहती है।
यहाँ दो तरह के चंदे सामने आते हैं, जिन्हें एक नज़र में समझना आसान है।
ऑफलाइन बनाम ऑनलाइन चंदा: एक सरल तुलना
चंदे का प्रकारअनुमानित मात्रामाध्यमऑफलाइन नकद चंदा11 पेटियाँशिलान्यास समारोह पर सीधे दानऑनलाइन चंदा93 लाख रुपये (अब तक)डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन ट्रांसफर
ऑफलाइन चंदा लोगों की तत्काल मौजूदगी और जोश दिखाता है, जबकि ऑनलाइन चंदा लंबी अवधि की भागीदारी का संकेत देता है। दोनों मिलकर यह साबित करते हैं कि नई बाबरी मस्जिद का निर्माण एक बड़े सामूहिक सहयोग से आगे बढ़ रहा है।
इसे भी पढ़ें – Bihar की राजनीति में बड़ा कदम: क्या जल्द ही सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार राजनीति में आएंगे?
