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Giriraj Singh: गिरिराज हिंदू स्वाभिमान यात्रा से भाजपा ने बनाई दूरी, दिलीप जायसवाल बोले- सबका साथ, सबका विकास

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Giriraj Singh: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की प्रस्तावित “हिंदू स्वाभिमान यात्रा” से पार्टी ने खुद को अलग कर लिया है।

बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इस यात्रा को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, “कौन यात्रा, कैसी यात्रा?” उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा “सबका साथ, सबका विकास” और देश को आगे बढ़ाने के लिए काम करती है।

गिरिराज सिंह ने घोषणा की है कि 18 अक्टूबर को भागलपुर से उनकी पांच दिवसीय हिंदू स्वाभिमान यात्रा शुरू होगी, जिसका समापन 22 अक्टूबर को किशनगंज में होगा।

बता दें कि कुछ दिन पहले गिरिराज सिंह ने कहा था कि वह किशनगंज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, चाहे उनकी जमानत जब्त हो जाती। बेगूसराय से जीतने के बाद उन्होंने कहा था कि वह हमेशा जाति-विशेष की सीट से जीतते रहे हैं, लेकिन उनकी इच्छा थी कि इस बार वह हिंदू बनकर किशनगंज से चुनाव लड़ें।

विपक्ष के आरोप और भाजपा का रुख

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जब पत्रकारों ने पटना में दिलीप जायसवाल से गिरिराज सिंह की यात्रा को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने जवाब में कहा कि भाजपा का ध्यान सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और देश को आगे बढ़ाने पर है। उन्होंने यह भी कहा कि वह गिरिराज सिंह की यात्रा के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकते। यह बयान भाजपा की इस यात्रा से दूरी और पार्टी के भीतर असहमति का संकेत है।

गिरिराज सिंह की यात्रा 18 अक्टूबर को भागलपुर के बूढ़ानाथ मंदिर से पूजा और हवन के बाद शुरू होगी। इस दौरान वह भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया होते हुए किशनगंज तक जाएंगे। किशनगंज एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, और यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले अधिकतर जिलों में भी मुस्लिम आबादी अधिक है।

भाजपा में आंतरिक मतभेद?

गिरिराज सिंह की यात्रा पर भाजपा का स्पष्ट रुख सामने नहीं आया है। दिलीप जायसवाल का “कौन यात्रा, कैसी यात्रा” वाला बयान इस ओर संकेत करता है कि भाजपा ने इस यात्रा को मंजूरी नहीं दी है। ऐसा लगता है कि पार्टी के भीतर इस यात्रा को लेकर आम सहमति नहीं है।

याद दिला दें कि हाल ही में बेगूसराय की एक सभा में गिरिराज सिंह ने नारा लगवाया था, “बिहार का सीएम सम्राट चौधरी जैसा हो।” भाजपा ने सम्राट चौधरी के बाद दिलीप जायसवाल को बिहार की कमान सौंपी है। पार्टी के नेतृत्व में इस यात्रा को लेकर स्पष्टता की कमी ने गिरिराज सिंह और भाजपा के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है।

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