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NDA में कुर्सी का महासंग्राम: BJP और Nitish Kumar के बीच सीएम पद पर फंसा मामला?

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एनडीए (NDA) के पक्ष में चुनाव के नतीजे आते ही बिहार की सांख्यिकी में तूफान मच गया। कल्पित ने जीत हासिल की, लेकिन अब कुर्सी को लेकर मुकाबला शुरू हो गया। बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच तनाव बढ़ रहा है. जनता ने प्रदर्शन को भारी समर्थन दिया। फिर भी, बेहतर कलह ने मैसाचुसेट्स चौंका दिया। मुख्यमंत्री की गद्दी पर दांव लग रहा है। यह बैटल अलायंस की एकजुटता को परख रही है। यह क्या है महाराजा शक्ति की भूख, या कुछ और?

यू-टर्न पर भाजपा का नेतृत्व: पोशाक के बयान का राजनीतिक महत्व

जनेऊ ने हाल ही में एक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चुनाव में मोदी के नेतृत्व में लड़ाई हुई। जीत का श्रेय पुरालेख को दिया। पहले बीजेपी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व की बात कही थी. अब ये यू-टर्न ने पब्लिक को चौंका दिया।

यह परिवर्तन भाजपा के चाल मालिक हैं। वे अपनी ट्रेनिंग चाहते हैं। नट पर प्रेशर बनाने का तरीका यह है। गठबंधन में वादे थे. लेकिन अब हकीकत अलग लग रही है। विपक्ष का बयान नीतीश को किनारे करने की कोशिश जैसा है।

राजनीतिक नजरिए से देखें तो यह स्मार्ट मूव है। बीजेपी ने राष्ट्रीय चेहरे का इस्तेमाल किया। मोदी का नाम जीत से जोड़ा। नीतीश की लोकल इमेज को पीछे धकेला। इससे भाजपा मजबूत होने का दावा कर सकती है। पुराने वादों की तुलना करें। सबसे पहले नीतीश को आगे रखा गया था। अब फोकस परिवर्तन। यह गठबंधन की कमज़ोरी सामने आती है। क्या निराश रहें? या उत्तर देंगे?

नीतीश कुमार के आवास पर नेताओं का जमावड़ा:मनमठ की आहट

नीतीश कुमार के घर पर नेता पहुंच रहे हैं। चिराग़ वहां गए। सम्राट चौधरी और विजय चौधरी भी यहां मिले। एक के बाद एक बैठकें हो रही हैं। हवा में तनाव है। सौंदर्य नजरें सीएम पद पर टिकी हैं।

इन गेम्स का मकसद साफ है। कुर्सी पर बातचीत चल रही है। गठबंधन के साथी एकजुट दिखने की कोशिश कर रहे हैं। चिराग पासवान ने दिया समर्थन। लेकिन अंदर ही अंदर डिलिवरी हो रही है। नीतीश के पास निर्धारित दवा लेने वाले आ रहे।

सहयोगी की प्रतिक्रिया मिली-जुली है। कोई नवीन के साथ खड़ा। कोई भी बीजेपी की तरफ झुक रहा है। यह जामवड़ा मठ का संकेत देता है। क्या कोई निर्णय निकलेगा? या मुकाबला और बढ़त? इन बैठकों से गठबंधन की जगह का पता लगाएं।

सीट पैरामीटर और सीएम पद का गणित

बीजेपी को सबसे बड़ी मूर्ति मिलीं। बिहार विधानसभा में इनकी संख्या मजबूत है। क़ीमत से ज़्यादा। इसलिए वे सीएम पद पर दावा ठोंक रहे हैं। यह तर्क साफ़ है। अधिक खोज का मतलब अधिक हक।

गठबंधन की राजनीति में ऐसा ही होता है। क्वेश्चन का गणित तय करता है। भाजपा अब सपना देख रही है। नीतीश को अपना चेहरा लाना चाहती हैं। आंकड़े देखें तो भाजपा के पास 74वें स्थान पर। किले के पास 43. देखें कुल 128 पर. बहुमत के लिए 122 चाहिए।

‘अधिक उत्थान, अधिक अधिकार’ का सिद्धांत यहां लागू हो रहा है। भाजपा इस रणनीति से लाभ उठा रही है। नीतीश की पार्टी छोटी पोस्ट। क्या वे कुर्सी छोड़ गए? या डीलबाजी करेंगे? यह गणित गठबंधन को हिला रहा है।

गठबंधन में तनाव का मुख्य बिंदु: कुर्सी पर गतिरोध

कुर्सी पर बात फंस गई। भाजपा और नीतीश के बीच येही दोस्त अटका। सूत्र हैं कि सूत्र ऐसे ही पर हो रही हैं। नीतीश पुराने सीएम थे। अब भाजपा दबाव डाल रही है।

मूल कारण साफ हैं। वादाख़िलाफ़ी। पहले नीतीश को समर्थन। अब पीछे हटना। नीतीश की स्थिति ख़राब हो गई। बीजेपी के साथ उनका शोर-शराबा उंचा-नीच देखो। कभी साथ, कभी अलग। अब सत्ता मित्रता में उलझन।

कॉलोनी का बंटवारा भी कॉम्प्लेक्स। कौन सा उपकरण? सीएम पद पर गतिरोध से सब रुका। नीतीश की रणनीति क्या है? वे शैले साधे। या मोर्चा खोलेंगे? यह तनाव गठबंधन को तोड़ सकता है। बिहार की सूची में नया बदलाव आ रहा है।

निष्कर्ष: आगे की राह और गठबंधन का भविष्य

इस पूरे नाटक में मुख्य बातें बेकार हैं। चुनाव जीतने के बाद भी कुर्सी की लड़ाई। बीजेपी के यू-टर्न और ग्रुप्स ने तनाव का माहौल बनाया। सीट गणित भाजपा को फायदा दे रही है।

समाधान कैसे? बातचीत से ही। दोनों पक्षों को सहमत होना पड़ा। कुर्सी कुर्सी हो या न जगह, गठबंधन टूटना नहीं चाहिए। स्थिर सरकार जरूरी।

अप्राकृतिक प्रभाव गंभीर। अगर माइग्रेन बढ़ा तो मजबूती। बिहार का विकास रुकेगा। राजनीतिक परिदृश्य बदल सकता है। क्या एक साथ रहना है?

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