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Haryana Violence Court: हरियाणा हिंसा और बजरंग दल, कोर्ट के सख्त रुख पर सरकार ने दिया जवाब 

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Haryana Violence Court: हरियाणा में नूंह-मेवात सहित कई जगहों पर हिंसा पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। वहीं हिंसा ग्रस्त राज्य में प्रशासन के बुलडोजर चलवाने पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाया है। 

 

बता दें कि हरियाणा के नूंह में हुई कार्रवाई को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दाखिल की है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उन लोगों के पुनर्वास के लिए निर्देश देने की मांग की है जिनके घर पिछले कुछ दिनों में हरियाणा के नूंह जिले में राज्य में सांप्रदायिक हिंसा में 6 लोगों के मारे जाने के बाद सरकारी अधिकारियों द्वारा तोड़ दिए गए थे।

 

वहीं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस संधावालिया व जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन पर आधारित खंडपीठ ने मेवात में हिंसा के बाद निर्माणों को तोड़ने की कार्रवाई पर संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। बेंच ने पूछा था कि क्या तय कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा रही है और साथ ही दो हफ्तों में गिराए निर्माणों का ब्योरा सौंपने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यह भी सवाल उठता है कि क्या कानून-व्यवस्था की समस्या की आड़ में समुदाय विशेष की इमारतों को तो नहीं गिराया जा रहा है और क्या यह जातीय सफाए की कवायद तो नहीं है। इसको लेकर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा है कि बगैर धार्मिक और जातीय भेदभाव के ये कार्रवाई हुई है। 

 

बता दें कि हरियाणा की हिंसा में बजरंग दल का नाम खूब उछला था। इसी पर जानेमाने समाजसेवी चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी ने बजरंग दल के बारे में अपने विचार रखे हैं। 

1984 में बजरंग दल की स्थापना विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने की थी। 1984 में उत्तर प्रदेश में राम जानकी रथ यात्रा निकाली गई थी।

 

बजरंग दल का गठन राम जानकी यात्रा के समय हुआ था। बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के बाद बजरंग दल को प्रतिबंधित कर दिया गया था।

 

1993 में बजरंग दल पर से जब प्रतिबंध हटा लिया गया तो यह स्थानीय संगठन न रहकर फिर से कई राज्यों में सक्रिय संगठन बन गया।

 

प्रतिबंध हट गया तब से बजरंगियों को सड़क छाप फसाद करता हुआ देख सकते हैं। 

 

अभी नूंह और मेवात के विध्वंसक गतिविधियों के संदर्भ में बजरंग दल के नेताओं का नाम चर्चित हुआ है। सबसे ज्यादा चर्चा बजरंग दल के नेता मोनू मानेसर की हुई है। जिस पर राजस्थान पुलिस ने पहले से ही हत्या का एक मुकदमा कर रखा है। 

 

नूह-मेवात के दंगाई वातावरण में 6 लोगों की हत्या हुई और अनेक मुसलमानों के बिजनेस सेंटर और घर को सरकार ने बुलडोज़र से गिरा दिया।

 

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इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि जिन लोगों ने जलाभिषेक के लिए यहां आए लोगों के ऊपर ढेले चलाए। उनके अवैध घरों को गिराया गया। 

 

इस एकतरफा एक्शन में नीचे से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने दखल दी हैl  

इस खबर विश्लेषण का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि बजरंग दल के किसी नेता के बारे में कभी शायद ही सुना जाता है। 

 

1993 के बाद बजरंग दल को एक राष्ट्रीय स्तर का संगठन बना दिया गया। जिसके संयोजक होते हैं। नीचे प्रखंड स्तर पर भी संयोजक होते  हैं। बजरंग दल की उम्र सीमा 40 वर्ष है, परंतु ऊपर की समितियां में 45 वर्ष तक के लोग भी रह सकते हैं।

 

सेवा, सुरक्षा और संस्कार को अपना मकसद बनाकर बजरंग दल राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय है। 

 

  दंगाई विवाद उठाकर आक्रमण करने वाला यह मशहूर ग्रुप है।  इसकी कोई टीम ऐसी नहीं है, जिसमें जाहिर तौर पर विश्वसनीय नाम हों। स्थानीय स्तर पर हुल्लड़बाज लड़कों को जुटा लिया जाता है।

 

बजरंग दल की गतिविधियों में एक है धर्म परिवर्तन किए लोगों का संस्कार करके वापस हिंदू धर्म में मिलना और गायों की रक्षा करना। कई दफा गाय के नाम पर व्यक्तियों की हत्या करके बजरंग दल चर्चित हो जाता है। सड़कों पर घेरघार कर हमला ( मॉब लिंचिंग)  करने के आरोप इन पर हमेशा लगते रहे हैं। 

 

पुलिस रिकॉर्ड में है कि इस नाम पर बजरंग दल के लोगों ने अनेक जगहों पर गाय की तस्करी का आरोप लगाकर मॉब लिंचिंग का खेल खेला है। 

 

इसी तरह विश्व हिंदू परिषद ने एक दुर्गा वाहिनी बनाई है। जिसमें 35 वर्ष की युवतियों और महिलाओं को सदस्यता की जाती है।

(इनपुट फ्रॉम चक्रवर्ती अशोक प्रियदर्शी)

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