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Sonam Wangchuk की हिरासत याचिका पर सुनवाई टली, अब 8 दिसम्बर को होगी
लद्दाख के मशहूर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) जेल में हैं। उनकी पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने सुनवाई 8 दिसंबर तक टाल दी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने ये फैसला लिया। सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत बंद रखा गया है। ये मामला नागरिक अधिकारों और राज्य की सुरक्षा के बीच टकराव दिखाता है। आप सोचिए, एक पर्यावरण योद्धा क्यों जेल में सड़ रहा है?
सोनम वांगचुक की कानूनी लड़ाई का वर्तमान हाल
सोनम वांगचुक लद्दाख के पर्यावरण और संस्कृति के लिए लड़ते हैं। वे सतत विकास पर काम करते रहे हैं। NSA के तहत उनकी हिरासत पर सवाल उठे हैं। गीतांजलि की याचिका में इसे गैरकानूनी बताया गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने का मौका दिया।
बेंच ने साफ कहा। 8 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी। ये देरी सोनम की रिहाई को लटका सकती है। कार्यकर्ता समुदाय चिंतित है। लद्दाख में प्रदर्शन बढ़ सकते हैं। कोर्ट का फैसला बड़ा असर डालेगा।
- सोनम का आंदोलन: लद्दाख को 6ठे अनुसूची में लाने की मांग।
- हिरासत का कारण: केंद्र के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध।
- याचिका का आधार: मौलिक अधिकारों का हनन।
- गीतांजलि अंगमो की याचिका: NSA हिरासत पर चुनौती
- हिरासत को चुनौती देने के आधार
गीतांजलि ने याचिका में कहा। हिरासत गैरकानूनी है। ये मनमानी कार्रवाई है। मौलिक अधिकार टूटे हैं। NSA का दुरुपयोग हुआ। सोनम को बिना ट्रायल के रखा गया।
NSA में प्रिवेंटिव डिटेंशन होता है। सबूत की कमी पर चुनौती दी जाती है। प्रक्रिया में खामियां बताईं। कोर्ट ऐसे मामलों में सख्ती बरतता है। गीतांजलि के वकील ने तर्क दिए। हिरासत के सबूत कमजोर हैं।
ये याचिका आर्टिकल 21 पर टिकी है। जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार। लद्दाखी कार्यकर्ताओं के लिए मिसाल बनेगी।
मुख्य पक्षकार और वकील
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता केंद्र और लद्दाख UT का पक्ष रखते हैं। उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा। बेंच ने मान लिया। गीतांजलि पक्ष तत्पर है।
प्रक्रिया सरल थी। मेहता ने कहा, समय चाहिए। कोर्ट ने टाल दिया। ये सामान्य कदम है। लेकिन सोनम के लिए देरी दर्दनाक। वकीलों की भूमिका अहम रहेगी।
केंद्र का पक्ष: राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा।
याचिकाकर्ता: नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा।
बेंच: निष्पक्ष सुनवाई का वादा।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) को समझें
NSA के प्रावधान और विवाद
NSA 1980 का कानून है। प्रिवेंटिव डिटेंशन की अनुमति देता है। बिना मुकदमे के 12 महीने तक बंदी। राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर। लेकिन दुरुपयोग के आरोप लगते हैं।
कार्यकर्ताओं पर लगाया जाता है। राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए। लद्दाख मामले में पर्यावरण मांगें खतरे में बदल गईं। विवाद बढ़ा। संसद में बहस हुई। NSA सुधार की मांग।
सादे शब्दों में: सरकार पहले गिरफ्तार करती है। बाद में कारण बताती है। ये लोकतंत्र पर सवाल उठाता है।
न्यायिक जांच और पुराने फैसले
सुप्रीम कोर्ट NSA पर नजर रखता है। हिरासत के तथ्य जांचता है। सबूत मजबूत होने चाहिए। पुराने केसों में रद्द की हिरासत। जैसे AK गोपalan केस। बाद में AK रॉय बनाम यूनियन।
कोर्ट कहता है। डिटेनिंग अथॉरिटी पर बोझ। बिना ठोस आधार नहीं चलेगा। सोनम मामले में यही लागू होगा। ट्रेंड साफ: सख्त स्क्रूटिनी। जज फैसले तथ्यों पर टिके।
प्रमुख फैसला 1: हिरासत रद्द अगर आधार कमजोर।
प्रमुख फैसला 2: समय सीमा का पालन जरूरी।
सोनम केस: इसी परीक्षा में।
सोनम वांगचुक का कार्यकर्ता जीवन
लद्दाखी पर्यावरण और संस्कृति में भूमिका
सोनम इंजीनियर हैं। SECMOL स्कूल चलाते हैं। बच्चों को पढ़ाते हैं। पानी संरक्षण पर आइस स्तूप बनाए। पद्म श्री मिला। लद्दाख को बाढ़ से बचाया।
हाल में 6ठे अनुसूची की मांग। पर्यावरण बचाने के लिए। केंद्र से टकराव। शांतिपूर्ण अनशन। जेल भेजा गया। उनका काम प्रेरणा है। लद्दाखी युवा फॉलो करते हैं।
कल्पना कीजिए। बर्फ का स्तूप गर्मी में पानी देता। सोनम ने ये चमत्कार किया। अब वे जेल में।
पहले के टकराव
पहले भी चेतावनी मिली। प्रदर्शनों पर कार्रवाई। 2023 में हिरासत। फिर रिहा। अब NSA। पैटर्न साफ। सरकार असहमति पसंद नहीं। सोनम ने हार नहीं मानी।
दस्तावेज साबित करते हैं। कई बार गिरफ्तारी। लेकिन वे लड़े। नागरिक अधिकारों के लिए। लद्दाख आंदोलन का चेहरा।
सुनवाई टलने के नतीजे
सोनम की हिरासत पर असर
टालने से सोनम जेल में रहेंगे। 8 दिसंबर तक। शारीरिक आजादी लटकी। परिवार दुखी। कार्यकर्ता इंतजार में।
मानसिक तनाव बढ़ा। कानूनी लड़ाई लंबी। रिहाई की उम्मीद बनी। लेकिन अनिश्चितता। लद्दाख में हलचल। नए प्रदर्शन संभव।
ये देरी रणनीति लगती। केंद्र जवाब तैयार करे। सोनम भुगते।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
कोर्ट स्वतंत्रता की रक्षा करेगा। आर्टिकल 21 का मामला। सुरक्षा बनाम अधिकार। टेस्ट केस बनेगा।
अगर रद्द हुई हिरासत। NSA पर सवाल। कार्यकर्ताओं को हौसला। कोर्ट संतुलन बनाएगा। इतिहास गवाह।
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