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Historic fall: भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 90 के पार

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भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 90 के पार चला गया। यह पहली बार हुआ है। 3 दिसंबर 2025 को USD/INR रेट 90.35 पर पहुंचा। कोई प्रधानमंत्री पहले ऐसा नहीं कर पाया। क्या यह मोदी जी का विजन है? या अर्थव्यवस्था पर बोझ?

रुपये के अवमूल्यन का नया मानक: 90 के पार

रुपया कमजोर हुआ। डॉलर मजबूत खड़ा है। यह आंकड़े बताते हैं। पिछले साल में 6.67% की गिरावट आई। अब सवाल उठता है। क्या यह सामान्य है?

3 दिसंबर 2025। USD/INR 90.35 के ऊपर। पहले कभी इतना नहीं हुआ। इतिहास में रुपया 80-85 तक ठहरा। अब नया रिकॉर्ड। यह बदलाव तेज था। बाजार चौंक गया। निवेशक सोच में पड़े हैं। क्या और गिरेगा?

पिछले 12 महीनों में कमजोरी का प्रतिशत

पिछले 12 महीने। रुपया 6.67% कमजोर। मतलब हर डॉलर ज्यादा महंगा। शुरुआत में 84-85 था। अब 90 पार। यह रफ्तार चिंता की है। अर्थशास्त्री आंकड़े गिन रहे। गिरावट जारी रहेगी क्या?

पिछले प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल की तुलना

मनमोहन सिंह के समय। रुपया 68 तक गया। अटल जी के दौर में 45। कोई 90 नहीं छू पाया। मोदी जी ने कर दिखाया। BJP कहती है। यह देश हित में कदम। लेकिन आलोचक हंसते हैं। क्या यह उपलब्धि है?

सत्ताधारी दृष्टिकोण: ‘आत्मनिर्भर भारत’ और रणनीतिक चाल

BJP का नजरिया अलग। कमजोर रुपया फायदा देगा। निर्यात बढ़ेगा। आत्मनिर्भर भारत चमकेगा। क्या सच में ऐसा?

‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण से रुपये का कमजोर होना

कमजोर रुपया। भारतीय सामान सस्ता विदेश में। मेड इन इंडिया बिकेगा ज्यादा। टेक्सटाइल। दवा। आईटी। ये क्षेत्र मजबूत होंगे। आयात कम होगा। घरेलू फैक्टरियां बढ़ेंगी। आत्मनिर्भरता का सपना साकार।

निर्यातक खुश: डॉलर से ज्यादा रुपया मिलेगा।
छोटे कारोबार: वैश्विक बाजार में जगह।
रोजगार: नई फैक्टरियां खुलेंगी।
वैश्विक पटल पर भारतीय अर्थव्यवस्था की बदलती भूमिका

भारत बदल रहा। कमजोर रुपया व्यापार संतुलन सुधारेगा। चीन से मुकाबला। अमेरिका-यूरोप में सस्ते सामान। लेकिन तेल महंगा पड़ेगा। बैलेंस बनाना होगा। क्या भारत जीतेगा?

बीजेपी द्वारा इसे ‘देश हित में रणनीतिक कदम’ के रूप में प्रस्तुत करना

मोदी जी ने कहा। यह विजन है। आत्मनिर्भर भारत चमक रहा। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल। समर्थक ताली बजा रहे। विपक्ष चुटकी लेता। राजनीति में अर्थव्यवस्था का खेल। जनता क्या सोचेगी?

रुपया 90 पार। घर में महंगाई। बाहर निर्यात बूम। दोहरी तलवार। असर हर तरफ।

आयात की लागत और मुद्रास्फीति पर सीधा असर

तेल आयात महंगा। पेट्रोल-डीजल ऊंचा। इलेक्ट्रॉनिक्स। मशीनरी। सब महंगे। किराने का सामान प्रभावित। मुद्रास्फीति 7% पार हो सकती। गरीब परिवार पर बोझ। RBI को कदम उठाने पड़ेंगे।

तेल बिल: सालाना 2 लाख करोड़ बढ़ सकता।
मोबाइल-लैपटॉप: 10-15% महंगे।
सब्जी-दाल: अप्रत्यक्ष उछाल।
निर्यात क्षेत्र को मिलने वाले संभावित प्रोत्साहन

फार्मा। आईटी। कपड़ा। ये चमकेंगे। डॉलर कमाएंगे। रुपया ज्यादा मिलेगा। ऑर्डर बढ़ेंगे। जॉब्स आएंगी।

आईटी: सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट 20% ग्रोथ।
दवा: जेनेरिक बिक्री रिकॉर्ड।
हैंडिक्राफ्ट: विदेशी बाजार खुले।
विदेशी निवेश और अनिवासी भारतीयों (NRI) पर प्रभाव

FDI रुक सकता। निवेशक डरेंगे। लेकिन NRI रेमिटेंस चमकेगा। उनका डॉलर ज्यादा रुपया बनेगा। घर भेजेंगे ज्यादा। मिश्रित असर। बाजार देखेगा।

मौद्रिक नीति और नियामक प्रतिक्रियाएँ

RBI जागा। हस्तक्षेप जरूरी। ब्याज दरें। भंडार। सब दांव पर।

विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग और हस्तक्षेप

RBI डॉलर बेचेगा। भंडार 600 बिलियन डॉलर। गिरावट रोकेगा। लेकिन सीमा है। ज्यादा बेचा तो खत्म। सावधानी बरतनी होगी। बाजार स्थिर करे।

ब्याज दर निर्धारण की चुनौती

रेट बढ़ाओ। पूंजी आएगी। रुपया मजबूत। लेकिन लोन महंगे। ग्रोथ रुकेगी। GDP प्रभावित। RBI दुविधा में। अगली मीटिंग महत्वपूर्ण।

पूंजी नियंत्रण और सरकारी राजकोषीय नीतियां

सरकार कदम ले। आयात टैक्स। निर्यात सब्सिडी। राजकोष नीति टाइट। घाटा कम। लॉन्ग टर्म प्लान। आत्मनिर्भरता पर जोर।

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