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Hooch Tragedy in Chapra: राज्यों में शासन की निरंकुश और असहिष्णु प्रकृति तेजी से बढ़ रही है —- C.A.PRIYADARSHI

केंद्र सरकार के शासन के तौर-तरीके पर बात करते हुए हमें हमेशा यह ध्यान रखना होगा कि राज्यों में शासन की निरंकुश और असहिष्णु प्रकृति किस तरह बढ़ रही है। बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार (CM NITISH)का व्यवहार शर्मनाक कहा जाएगा। जहरीली शराब से हो रही मौत के मामले पर सवाल पूछे जाने पर नीतीश कुमार बुरी तरह से भड़क गए। भड़कते हुए हस्तक्षेप कर रहे नीतीश कुमार (CM NITISH) ने सदन की मर्यादा का ख्याल नहीं रखा। नीतीश कुमार संसदीय मर्यादाओं का ख्याल किए बगैर दंभ पूर्वक विपक्ष के ऊपर तब चोट कर रहे थे जब छपरा में जहरीली शराब पीने से मौतें हो रही थी।

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बिहार के छपरा में जहरीली शराब पीने से 53 से ज्केंयादा लोगों की मौत हो गई है। इस मसले पर बिहार विधानसभा में जोरदार हंगामा चल रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री अपनी खीज मिटाने के लिए विपक्ष पर जिस तरह हमले कर रहे हैं वह अशोभनीय है। केंद्र सरकार के शासन के तौर-तरीके पर बात करते हुए हमें हमेशा यह ध्यान रखना होगा कि राज्यों में शासन की निरंकुश और असहिष्णु प्रकृति किस तरह बढ़ रही है।  बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार (CM NITISH)का व्यवहार शर्मनाक कहा जाएगा। जहरीली शराब से हो रही मौत के मामले पर सवाल पूछे जाने पर नीतीश कुमार बुरी तरह से भड़क गए। भड़कते हुए हस्तक्षेप कर रहे नीतीश कुमार (CM NITISH) ने सदन की मर्यादा का ख्याल नहीं रखा। नीतीश कुमार संसदीय मर्यादाओं का ख्याल किए बगैर दंभ पूर्वक विपक्ष के ऊपर तब चोट कर रहे थे जब छपरा में जहरीली शराब पीने से मौतें हो रही थी।

अब तक की रिपोर्ट के अनुसार 53 लोग जहरीली शराब (53DEATH IN HOOCH TRAGEDY IN CHAPRA) पीने से मर गए हैं। परसा थाना में जहरीली शराब पीने से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। और प्रेस ने यह ध्यान में लाया है कि इसके पहले जिस कंटेनर में स्प्रिट पकड़ा गया था उसे नष्ट करने की जगह खाली कर दिया गया। सीधे-सीधे पुलिस पर उंगली उठ रही है कि उस स्पिरिट को ही शराब बनाने वालों के पास पुलिस ने पहुंचा दिया और यह भी कहा जा रहा है कि शायद इसी जप्त स्पिरिट से पुलिस और शराब माफिया ने मिलकर के शराब तैयार किया और उस शराब के पीने से लोगों की मौत हुई। जांच के लिए एसआईटी का गठन करने की मजबूरी बनी तब यह मामला विशेष जांच दल यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम को सौंप दिया गया। इस टीम के संज्ञान में भी स्पिरिट का वह कंटेनर आया है यह बताया गया। इस मामले में सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक चैनल काफी सक्रिय है।…

उधर विधानसभा ( BIHAR ASSEMBLY)से जो तस्वीरें आ रही हैं उसमें मुख्यमंत्री काफी रोष में तुम तमाड़ करते हुए विपक्ष से पूछ रहे हैं कि तुम कैसे जीते हो। तो क्या नीतीश कुमार यह कह रहे हैं कि शराब बांट कर चुनाव लड़ा गया। दूसरी बात हो सकती है कि चुनाव जीतने में बड़ी हेरा फेरी हुई होगी। बीच-बीच में वह यह भी कहते हैं कि शराबबंदी के प्रति तो भाजपा का समर्थन था। फिर यह भी कहते हैं कि भाजपा शासित प्रदेशों में क्या हो रहा है।… इस बात को आगे बढ़ाएं तो आज सुबह से ही प्रेस में दोनों पक्ष सक्रिय है और भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री के आपे से बाहर होकर विधानसभा में( BIHAR ASSEMBLY) बोलने के सवाल को उठा रहा है और इस पार्टी के एक नेता…… ने उंगली उठाई है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं मौजूदा नेता विरोधी दल विजय सिन्हा ने न्यूज़ चैनल के सामने यह कहा है कि मुख्यमंत्री ( CM NITISH KUMAR )के संरक्षण में पुलिस शराब का सिंडिकेट चला रही है। उन्होंने यह कहा है कि मुख्यमंत्री को हटाया जाना चाहिए और यह भी कहा है कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।……

यह ध्यान रखना चाहिए कि पिछला चुनाव भारतीय जनता पार्टी BJP और जेडीयू JDU ने मिलकर लड़ा था और उस समय के विपक्ष राष्ट्रीय जनता दल और महागठबंधन के नेताओं ने यह सीधा आरोप लगाया था कि चुनाव परिणामों को करप्ट किया गया नीतीश कुमार विधानसभा में जो बोल रहे थे उसमें यह भी कह रहे थे और शायद किसी खास विधायक की तरफ जो भाजपा का है इशारा करके कह रहे थे कि कैसे जीते हो.. कैसे जीते हो…किस तरह चुनाव जीते हो।
मुख्यमंत्री विधानसभा अध्यक्ष से कहते हैं कि भगाइए इन सब लोगों को। यह सब कैमरे पर फुटेज के रूप में बिहार के लोगों ने और देश के लोगों ने देखा है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक अब तक 53 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और इसमें से 30 मौत की पुष्टि सरकार ने की है।……

बहरहाल यहां एक और बात ध्यान देने योग्य है । शराबबंदी जब लागू की जा रही थी तब राष्ट्रीय चैनल पर एक डिबेट था और राज्यसभा टीवी के डिबेट में यह प्रश्न उठाया गया था कि गुजरात प्रदेश में शराब बंदी लागू है इसके लिए वहां पुराने धाकड़ और नए अफसरों का एक सिंडिकेट जिम्मेदार है। बिहार में शराबबंदी का कानून पहले तो केवल शहर के लिए लागू हुआ और 2 दिन के अंदर उसे पूरे बिहार पर लागू कर दिया गया और जल्दी ही कानून बना दिए गए . ड्रैकोनियन बने यानी कानून नख दंत से युक्त हो तो इसकी सबसे ज्यादा संभावना होती है कि इसकी आड़ में पुलिस और प्रशासन कानून के प्रावधानों का दुरुपयोग करेगा। पूरे बिहार में यह दुरुपयोग बहुत व्यापक है। इस पर हाईकोर्ट ने भी कानून के प्रावधानों के ऊपर उंगली उठाई है और सुप्रीम कोर्ट तक भी बात गई है। कोर्ट में बिहार सरकार ने यही कहा है कि इस कानून की समीक्षा कर कुछ बदलाव किया गया है।… बिहार में 300000 से ज्यादा लोगों पर शराब के मामले में मुकदमा है और बिहार के जेल शराब के मामले में कैद हुए लोगों से भरे रहते थे।

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अभी हाल ही में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने भी जिलों के अंदर बहुत बड़ी संख्या में विचाराधीन यानी अंडर ट्रायल प्रिजनर्स के सवाल पर जजों के एक सम्मेलन में संविधान दिवस के दिन काफी ही भाव प्रवण भाषण दिया था और उस समय प्रधानमंत्री मौजूद थे। द्रौपदी मुर्मू ने यह कहा था कि हमारे लोगों की आदत है कि थोड़ा पी खाकर झगड़ा कर लेते हैं और उन पर मुकदमा लादकर उन्हें जेलों में डाल दिया जाता है और ऐसे कैदियों की संख्या बहुत ज्यादा है। राष्ट्रपति कह रही थीं कि इन लोगों को नीचे के स्तर पर ही विचार सुनकर रोक लिया जा सकता था। बिहार में बड़े पैमाने पर लोगों के जेल में रहने में यह प्रश्न भी उठता है कि पुलिस के सामने जो लोग शराब के रैकेट के बारे में बताते हैं पुलिस उन लोगों पर भी झूठा मुकदमा लाद देती है और इसकी वजह यह होती है कि शराब बेचने वाले रैकेट के साथ पुलिस का संबंध होता है।

यह सब देखते हुए कड़ाई बरती गई और कुछ संशोधन हुए। संशोधन यह हुआ कि शराब पीकर जो पकड़ा जाएगा उसको कुछ जुर्माना इत्यादि देकर छोड़ दिया जाएगा। अभी बांका और देवघर के बॉर्डर पर स्थानीय गाड़ी वाले रात में क्रॉस करना नहीं चाहते हैं क्योंकि पुलिस के ऊपर दबाव है कि वह न्यायालय में प्रतिदिन कुछ केस डालें और पुलिस शराब नहीं पीने वाले ड्राइवर को भी अदालत में भेज देती है और वहां जेल जाने से बचने के लिए ₹2000 का जुर्माना देकर उन्हें छूटना पड़ता है।

इस बारे में विधानसभा ( BIHAR ASSEMBLY) में ही इस शोर-शराबा के बीच एक विधायक कह रहे थे कि हत्या के विरोध में तो पहले से ही कानून है फिर भी हत्या होता है। बाद में दूसरे दिन मुख्यमंत्री ( CM NITISH KUMAR )ने प्रेस वालों के साथ बहुत इत्मीनान से और शांति से वार्ता की। यह आमतौर पर नहीं होता है और मुख्यमंत्री प्रेस वालों को अच्छी-अच्छी बातें बोलते हैं परंतु बहुत स्पष्टीकरण देने के मूड में नहीं रहते हैं। परंतु विधानसभा में उनके ओवर एक्ट अतिरंजित आक्रामक और अशिष्ट बर्ताव के बाद यही हुआ कि दूसरे दिन वह मीडिया पर्सन के बीच में घिर जाने पर विस्तार से और विनम्रता से बातें रख रहे थे और उसमें भी उन्होंने यह कहा कि शराबबंदी कानून तो अच्छा कानून है और लोग पीकर मर जाते हैं तो उसे ही रोका जा रहा है उसके बारे में अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भी कहा कि हत्या के खिलाफ तो पहले से कानून है परंतु हत्या तो होती है।

मुख्यमंत्री यह कह रहे थे कि बिहार की महिलाओं के द्वारा शराबबंदी की मांग हुई थी और अब लोग आमतौर पर शराब पीना छोड़ रहे हैं और परिवार के साथ जीवन बिता रहे हैं। यह सब सर्वेक्षण और आंकड़े के द्वारा ही तय होगा कि शराबबंदी के बावजूद किस तरह हर एक जगह शराब उपलब्ध हो जाता है।… कई बार ब्रांडेड शराब की आड़ में कालाबाजारी के द्वारा साधारण दर्जे के शराब वितरित हो जाते हैं। और इन सब में पुलिस की मिलीभगत रहती है।

प्रशासनिक भूमिका यह है कि निगरानी विभाग अगर कहीं किसी क्षेत्र में शराब बरामद करती है तो उस इलाके के थाना इंचार्ज के ऊपर उसका उत्तरदायित्व तय किया जाएगा।…… इस तरह के बयानों से जिन 53 लोगों की मौत (53 DEATH IN HOOCH TRAGEDY)हुई उनकी तरफ से ध्यान हट जाता है और उन परिवारों के प्रति शासन प्रशासन की जिम्मेदारी का प्रश्न भी किनारे हो गया है। शराबबंदी के बारे में एक मर्यादित वातावरण की जरूरत है और इस बात की समीक्षा करने की जरूरत तो है ही कि क्यों शराबबंदी के मामले में 300000 लोगों से ज्यादा अदालतों के फेरे में हैं। इन्हें अदालतों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। बिहार के लिए गवर्नेंस एक गंभीर मसला है और क्योंकि गवर्नेंस में बहुत सारे छिद्र फिर से बनते जा रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि पुलिस शासन प्रशासन की कार्यशैली की समीक्षा शराबबंदी के मामलों में की जाए।

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