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India Ratings & Research: इंडिया रेटिंग्स व रिसर्च एजेंसी के सर्वे में नोटबंदी, जीएसटी और कॉविड से भारतीय अर्थव्यवस्था को 11.3 लाख करोड़ का चूना लगाने का आंकड़ा पेश किया है। एजेंसी के सर्वे में कहा गया है कि नोटबंदी और जीएसटी लादकर रोजगार और उद्योगों को खत्म करवाया गया।
इतना ही नहीं इंडिया रेटिंग्स के सर्वे में कहा गया है कि नोटबंदी , जीएसटी और कोविद के बावजूद सरकार ने नए कर लगाए। जिसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ।
एजेंसी के सर्वे में विस्तार से बताया गया है कि किस तरह से नोटबंदी, जीएसटी व कॉविड-19 के असर से भारतीय अर्थव्यवस्था को 11.3 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
एजेंसी की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि प्राकृतिक आपदा ही नहीं शासन की नीतियों ने भी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया। शासन के द्वारा नोटबंदी और जीएसटी यदि हमारे ऊपर लlद दिया नहीं गया होता तो, अर्थव्यवस्था के विकास का पहिया तेज घूमता रह सकता था। इस तरह प्राकृतिक आपदा और मानव निर्मित आपदा ने मिलकर कितना नुकसान पहुंचा।l
सरकार की नीतियों की वज़ह से असंगठित क्षेत्र, नोटबंदी , जीएसटी और कोविद-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ। इन तीनों के परिणाम स्वरूप साल 2016 से 1.6 करोड़ नौकरियां गईं।
आंकड़े के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2015-16 और 2022-23 के बीच असंगठित उद्योग की 63 लाख इकाइयां बंद हुए हैं। असंगठित क्षेत्र के कल-कारखानों के बंद होने का असर सब ओर देखा और महसूस किया जा रहा है।
इंडिया रेटिंग्स व रिसर्च एजेंसी के सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि जहां उद्योग बंद हो रहे थे, वहीं सरकार की आमदनी बढ़ रही थी। नीतिगत तरीके से जनता का बोझ बढ़ने वाले सरकारी प्रयास ने उस समय अर्थव्यवस्था को पंगु बनाया।
वहीं आर्थिक गतिविधियों को संगठित क्षेत्र और टैक्स के दायरे में लाने पर सरकार को टैक्स से मिलने वाली आय में काफी बढ़ोतरी हुई।
रिपोर्ट के अनुसार 2021-2023 के बीच गैर किसी क्षेत्र में उद्योगों की संख्या 5.97 करोड़ से बढ़कर 6.5 करोड़ हो गई। और रोजगार 9.79 करोड़ से बढ़कर 10 . 96 करोड़ हो गया।
गौर करें तो नोटबंदी, जीएसटी, कॉविड-19 के पहले गैर कृषि क्षेत्र में रोजगारों की यही संख्या 11.3 करोड़ थी। एक अनुमान के अनुसार नोटबंदी के पहले जिस तरह से जिस तरह से अर्थव्यवस्था का विकास हो रहा था, अगर नोटबंदी, जीएसटी और कॉविड-19 का झटका ना लगा होता तो गैर किसी क्षेत्र में उद्योगों की संख्या बढ़कर 7.14 करोड़ हुई होती और इसमें रोजगार की संख्या भी 12.53 करोड़ हुई होती।