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India भुगतेगा Trump के टैरिफ की सजा, आम आदमी के 7 करोड़ Job पर खतरा!
अमेरिका ने जब भारत से आने वाले सामान पर 50% टैक्स ठोक दिया, तो ये मसला सिर्फ मोदी-ट्रम्प या बड़ी कंपनियों का नहीं रह गया – अब इसका सीधा झटका लगेगा आपको, यानी आम बंदे और मिडिल क्लास को.
चलो, हाथ में चाय लेकर समझते हैं कि कौन-कौन से सेक्टर की सबसे बुरी लगने वाली है, और असल में आपके रोज़ के खर्च, नौकरियों, और जेब पर क्या असर पड़ने वाला है.
India भुगतेगा Trump के ट्रैफिक की सजा:
1. कपड़े-लत्ते वाला धंधा (Textile & Garments)
साफ बोलूं तो अमेरिका इंडियन रेडीमेड कपड़ों का सबसे बड़ा ग्राहक है. हर साल करीब 1.3 लाख करोड़ का माल हम वहां भेजते हैं. अब जब टैक्स डबल हो गया, तो इंडियन कपड़े वहां 50% महंगे हो जाएंगे. अमेरिकन कंपनियां बोलेगी – भाड़ में जाओ इंडिया, बांग्लादेश-वियतनाम से सस्ता माल ले लेंगे.
आम आदमी का क्या?
इस धंधे में लाखों लोग (ज्यादातर महिलाएं) काम करती हैं. ऑर्डर कटे, तो फैक्ट्री बंद – फैक्ट्री बंद, तो नौकरी गई. सरकार के आंकड़े खुद कहते हैं, 4.5 करोड़ लोग कपड़ा सेक्टर से जुड़े हैं. अब हिसाब खुद लगा लो.
2. हीरे-जवाहरात वाला मामला (Gems & Jewellery)
अमेरिका पोलिश्ड डायमंड और ज्वैलरी का सबसे बड़ा खरीदार है. 50% टैक्स के बाद—भाई, अमेरिकन ग्राहक महंगा गहना क्यों खरीदेगा? ऑर्डर धड़ाम.
इसका सीधा असर सूरत, जयपुर, कोलकाता में हज़ारों कारीगरों की कमर टूट जाएगी. छोटे व्यापारी, हस्तशिल्पी – सबकी शामत आ गई. GJEPC की रिपोर्ट बोलती है कि हर साल करीब 2.5 लाख करोड़ की ज्वैलरी हम अमेरिका भेजते हैं. अब इसका नुकसान सोचो!
3. जूते-चप्पल और लेदर का खेल
अमेरिका का लेदर मार्केट इंडियन सामान से भरा पड़ा था. अब टैक्स बढ़ा, तो इंडियन जूते-चप्पल वहां बिकेंगे ही कम, महंगे जो हो गए.
और आम लोगों पर?
कानपुर, आगरा, चेन्नई जैसे शहरों में लेदर इंडस्ट्री है. हजारों फैक्ट्रियां, दिहाड़ी मजदूर—इनकी कमाई पर सीधा लात पड़ेगी.
4. दवाइयां – थोड़ी रहमत
सिर्फ फार्मा सेक्टर को थोड़ी राहत मिली है. दवाओं और API पर अमेरिका ने टैक्स नहीं बढ़ाया, क्योंकि खुद उन्हीं दवाओं पर टिका है. लेकिन भाई, रिश्ते और बिगड़े, तो कल को इस पे भी आफत आ सकती है. मतलब, खतरे की घंटी बज ही गई है. भारत को अपनी स्ट्रैटेजी फिर से सोचना ही पड़ेगा.
मोदी सरकार क्या कर रही?
जैसे ही अमेरिका ने टैक्स बढ़ाया, सरकार हरकत में आ गई. अब इंडस्ट्री को राहत देने के लिए सब्सिडी, टैक्स में छूट, इंसेंटिव – सब पर मंथन चल रहा है. खास फोकस लेबर-इंटेंसिव और MSME सेक्टर पर है, जहां रोज़गार सबसे ज्यादा खतरे में है.
साथ में, विदेश मंत्रालय और दूतावास के बड़े अफसर वाशिंगटन में बैठके कर रहे हैं, ताकि ये टैरिफ वाली नौटंकी जल्दी सुलझ जाए. मतलब, डिप्लोमैटिक जुगाड़ भी फुल ऑन चालू है.
सरकार अब नजरें अमेरिका से हटाकर नए मार्केट्स – अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, सेंट्रल एशिया—पर भी गड़ा रही है. अलग-अलग मंत्रालय आपस में तालमेल कर रहे हैं, ताकि इंडियन प्रोडक्ट्स वहां घुस सकें और अमेरिका से हुए नुकसान की भरपाई हो सके.
सीधी बात – 50% डबल टैक्स का असर सिर्फ कागज पर नहीं रहेगा. मजदूर, कारीगर, छोटे कारोबारी, और आखिर में आप – सबकी जेब ढीली होगी. अब वक्त है कि इंडिया अपना दायरा बढ़ाए, नई पार्टनरशिप पकड़े, और अपने घरेलू बाजार को मजबूत करे. वरना, ये ग्लोबल टैरिफ पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा झटका आम भारतीय ही झेलेगा.
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