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INDIAN JAIL: जेलों में 22 फीसदी ही सजायाफ्ता, 77 प्रतिशत हैं विचाराधीन कैदी

INDIAN JAIL:  2021 में दोगुनी हो गई संख्या;  नॉर्थ-ईस्ट में विचाराधीन कैदी बढ़े

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INDIAN JAIL:  भारत की जेलों में सिर्फ 22% कैदी ही ऐसे हैं जिन्हें किसी क्राइम में सज़ा दी गई है। इसके अलावा 77% विचाराधीन कैदी हैं। विचाराधीन कैदी का मतलब, ऐसे कैदी जिनके केस अलग-अलग अदालतों में चल रहे हैं और इन पर फैसला नहीं आया है। खास बात यह है कि नॉर्थ-ईस्ट के ज्यादातर स्टेट्स में अंडरट्रायल कैदियों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है।

 

यह आंकड़ा हाल ही में प्रकाशित साल 2022 की इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार विचाराधीन कैदियों की संख्या 2010 के बाद सबसे ज्यादा बढ़ी है। वर्ष 2010 में यह तादाद 2.4 लाख थी,  जो 2021 में करीब दोगुनी होकर 4.3 लाख हो गई। यानी इसमें 78% बढ़ोतरी हुई है।

 

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में कहा गया है- विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक हिरासत में रखना इस बात का संकेत है कि केस खत्म होने में काफी वक्त लग रहा है। इससे न सिर्फ एडमिनिस्ट्रेटिव वर्कलोड बढ़ता है,  बल्कि हर कैदी पर खर्च होने वाला बजट भी इसी वजह से बढ़ता है।

 

INDIAN JAIL: 2021 के आखिर में देशभर में 11,490 कैदियों को 5 साल से अधिक समय तक कैद में रखा गया था,  जबकि ये आंकड़ा 2020 में 7,128 और 2019 में 5,011 था। हालांकि इस दौरान दौरान रिहा किए गए कुल विचाराधीन कैदियों में से 96.7% साल के भीतर जमानत पर छूट गए। कइयों को ट्रायल पूरा होने पर दोषी करार दे दिया गया।

 

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वहीं 16 राज्य और 3 केंद्र शासित राज्यों में क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा गया था। बिहार में इसका आंकड़ा 2020 में 113% था, जो 2021 में बढ़कर 140% हो गया, जबकि उत्तराखंड में ये आंकड़ा 185% था।

 

INDIAN JAIL: नेशनल लेवल पर 30% जेलें (391) ऐसी हैं,  जहां ऑक्यूपेंसी रेट 150% या उससे ज्यादा है। यानी यहां पर एक कैदी की जगह तीन या उससे ज्यादा कैदी हैं। वहीं 54% जेल (709) ऐसी हैं, जहां 100% ऑक्यूपेंसी रेट है यानी यहां एक की जगह दो या उससे ज्यादा कैदी हैं। उदाहरण के तौर पर 18 बड़े और मध्यम राज्यों में से हरियाणा की जेलों में सबसे ज्यादा कैदी हैं।

 

तमिलनाडु की कुल 139 जेलों में से 15 जेलें 100% से ज्यादा भरी हैं। वहीं दो तो 150% से भी ज्यादा भरी हैं। छोटे राज्यों की बात करें तो मेघालय की 5 जेलों में से 4 क्षमता से ज्यादा भरी हुई हैं। इसके बाद हिमाचल प्रदेश की सभी जेलों में से 14 जेल 100% से ज्यादा भरी हैं।

 

रिपोर्ट के मुताबिक- टेंपरेरी बेल या इमरजेंसी पैरोल पर रिहाई के बावजूद जेलों में कैदियों की संख्या में वृद्धि के दो अहम कारण हैं। पहली गिरफ्तारी में बढ़ोतरी हो रही है। अदालतें अर्जेंट बेल को छोड़कर किसी और मामले की सुनवाई नहीं कर रही हैं।

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में देश की जेलों में 1,391 मान्य पदों के मुकाबले केवल 886 ही कर्मचारी थे। मॉडल जेल मैन्युअल के मुताबिक 200 कैदियों के लिए जेल में एक सुधारक और 500 कैदियों पर एक मनोवैज्ञानिक अधिकारी होना चाहिए। तमिलनाडु और चंडीगढ़ के अलावा कोई भी अन्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेश 200 कैदियों पर एक जेल अधिकारी के बेंचमार्क को पूरा नहीं करता है। वहीं कर्नाटक में कुल जेल कर्मचारियों में महिलाओं की संख्या 32% है।

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