Sen your news articles to publish at [email protected]
Delhi blasts के बाद इंटलीजेंस की विफलता: सरकार पर सवालों की बौछार
दिल्ली ब्लास्ट (Delhi blasts) ने पूरे देश को हिला दिया। लोग सड़कों पर उतर आए, और सवाल उठने लगे कि आखिर इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई। केंद्र की मोदी सरकार ने भरोसा दिलाया कि दोषियों पर कार्रवाई होगी, लेकिन विपक्ष चुप नहीं बैठा। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री से सीधे सवाल पूछा, और अब ये बहस राष्ट्रीय सुरक्षा के भविष्य पर केंद्रित हो गई है। आप सोचिए, जब तक जवाब न मिलें, तो भरोसा कैसे बनेगा?
राजनीतिक तूफान: घटना के बाद विपक्ष की जवाबदेही की मांग
दिल्ली ब्लास्ट के बाद विपक्ष ने सरकार को घेर लिया। वे कहते हैं कि इंटेलिजेंस की कमजोरी ने ये सब संभव बनाया। अखिलेश यादव जैसे नेता खुलकर बोल रहे हैं, और ये हमला सिर्फ एक घटना तक सीमित नहीं।
अखिलेश यादव का पीएम मोदी पर सीधा हमला
अखिलेश यादव ने पीएम मोदी के भूटान भाषण का जिक्र किया। वहां मोदी ने कहा कि दोषियों पर सख्ती होगी, लेकिन यादव पूछते हैं कि इंटेलिजेंस फेलियर क्यों हो रहा है? ये सवाल सीधा प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी पर है।
यादव ने कहा कि भारी मन से मोदी ने आश्वासन दिया, लेकिन हकीकत अलग है। देश में बार-बार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। विपक्ष का कहना है कि ये सिर्फ वादे नहीं, कार्रवाई चाहिए।
इस तरह के सवालों से जनता का भरोसा डगमगा रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा का क्या हाल है? राजनीतिक बहस ने मुद्दे को और गहरा बना दिया।
इंटेलिजेंस की कमजोरी पर लगातार हमले
विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है। वे इंटेलिजेंस सिस्टम की नाकामी को दोहरा रहे हैं। ये फेलियर इकट्ठा करने से लेकर कार्रवाई तक हर कदम पर है।
राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण है। सत्ताधारी दल को बचाव करना पड़ रहा है। लेकिन आलोचक कहते हैं कि ये चक्र टूट चुका है।
इंटेलिजेंस साइकिल में कहीं न कहीं गड़बड़ी है। विपक्ष इसे साफ तौर पर बता रहा है। जनता को जवाब चाहिए कि आगे क्या होगा।
विफलता का नक्शा: तकनीक बनाम हकीकत
आजकल हर जगह सीसीटीवी हैं। फिर भी बड़ी घटनाएं हो जाती हैं। ये विरोधाभास समझ से परे है। पड़ोसी देशों में तो सब कुछ मैप्ड है, लेकिन यहां क्या हो रहा है?
पड़ोसी देश हर चीज को ट्रैक करता है। दिल्ली में तो हजारों कैमरे हैं। फिर इतनी बड़ी गाड़ी कैसे निकल आई? ये सवाल उठता है।
तकनीक इतनी उन्नत है कि ऐसी घटनाएं रुकनी चाहिए। लेकिन जमीन पर असर नहीं दिखता। इंटेलिजेंस को ये डेटा इस्तेमाल कैसे करना है, यही समस्या है।
सीसीटीवी का फायदा तभी है जब वो कार्रवाई का आधार बने। अन्यथा ये सिर्फ दिखावा है। जनता सोच रही है कि पैसा कहां जा रहा है?
दिल्ली में ५ लाख से ज्यादा सीसीटीवी हैं।
फिर भी ब्लास्ट जैसी घटना हो गई।
तकनीक और इंसानी त्रुटि के बीच फासला बड़ा है।
इंटेलिजेंस फेलियर की परिभाषा: सिस्टम की खराबी या ऑपरेशनल गलती
इंटेलिजेंस फेलियर क्या है? ये जानकारी इकट्ठा न करना हो सकता है। या फिर विश्लेषण में चूक। कभी-कभी कार्रवाई न करना भी।
इस संदर्भ में ये सिस्टम की कमजोरी लगती है। ऑपरेशनल स्तर पर भी गलतियां हैं। आलोचक इसे बड़ा ब्रेकडाउन मानते हैं।
आलोचक कहते हैं कि विभाग को ही खत्म कर दो। ये सुझाव कट्टर लगता है। लेकिन कारण साफ हैं। बार-बार फेलियर से गुस्सा बढ़ रहा है।
पूरी साफ-सफाई और विभाग भंग करने की पुकार
स्रोत में साफ कहा गया कि इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट को खत्म करो। अधिकारियों पर कार्रवाई करो। ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
ये कदम चरम है। लेकिन तर्क ये है कि पुरानी व्यवस्था काम नहीं कर रही। नया सिस्टम लाना जरूरी।
सकारात्मक पक्ष ये कि ये डर पैदा करेगा। नकारात्मक ये कि अचानक बदलाव से कमजोरी आ सकती है। सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सोचना पड़ेगा।
आलोचक अधिकारियों को निशाना बना रहे हैं। तुरंत सजा दो, कहते हैं। कमांड रिस्पॉन्सिबिलिटी का मतलब यही है।
सुरक्षा एजेंसियों में ये सिद्धांत मजबूत होना चाहिए। देरी से भरोसा टूटता है। तेज कार्रवाई डर दिखाएगी।
जनता देखना चाहती है कि कौन जिम्मेदार था। ये साफ लाइनें खींचेगी। आगे की घटनाओं को रोकेगी।
इसे भी पढ़ें – Bihar elections में बड़ा झटका: RJD ने पूर्व विधायक सीताराम यादव को दल-विरोधी कामों के लिए निष्कासित किया
