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“जमशेदपुर का ‘Dhoom’: वायरल स्टार के पीछे छिपी दर्दनाक हकीकत और सोशल मीडिया का कड़वा सच”
क्या जमशेदपुर के लोगों के लिए खुद के फायदे के लिए खुदगर्ज होना सामान्य है? डिजिटल दुनिया Dhoom के मामले में ऐसी ही सत्य बयां कराती है। हम बात करेंगे आज जमशेदपुर का Dhoom मचाने वाले एक इंसान का।
अखीर यह Dhoom है कौन? जिसने पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर बेतहाशा रफतार से अपने आप को वॉयरल करवा लिया है।
अगर आप जमशेदपुर के हैं तो आपको सोशल मीडिया पर एक्टिव रह कर इस नाम को ज़रूर सुना होगा। अगर आप अभी इंस्टाग्राम पर जा कर #Dhoom सर्च करोगे तो आपको उस से जुड़े कुछ रील्स से जुड़े वीडियोज़ ज़रूर मिल जाएँगे।
कचरा बीन कर अपना जीवन यापन करने वाला
Dhoom इस नाम से कोई फेमस सेलिब्रिटी है ऐसा कुछ भी नहीं है। दरअसल, वो तो जमशेदपुर के बागबेड़ा क्षेत्र में कचरा बीन कर अपना जीवन यापन करने वाला एक साधारण इंसान है। वो अक्सर कचरा टोकरी के पास दिखा करता है। वो एक ऐसा आदमी है जिसके आगे कोई नहीं, पीछे कोई भी नहीं। वो पूरी तरह अकेला है। वो अपनी रातें भी सड़को पर बांधें सो कर गुज़रा करता है।
इस इंसान को कोई नहीं जनता था। लेकिन एक दिन कुछ लोगों ने उनसे वीडियो बनाना शुरू कर दिया। फिर एक पल में वो वीडियो लोगों के बीच बहुत तेजी से फैल गयी। लोगों के वीडियो बनानें के शुरू होने के साथ साथ वहाँ लोगों की भीड़ भी जुटनी शुरू हो गयी। लोगों को पता था कि उन्हें इस इंसान के साथ वीडियो बनाकर बहुत सारे पैसे मिलेंगे इस इंसान का नाम Dhoom हो गया।
मजबूर की मजबूरी का फायदा
क्यूंकि वो तो बस एक अकेला इंसान है। बिना कुछ कहे एक जगह पर सो जाता है। फिर पैर में कुछ नहीं होता। खाना नहीं होता। कपड़ें नहीं होते। एक जगह पर भी नहीं होता। असल में वो एक मजबूर इंसान है।
“मजबूर की मजबूरी का फायदा, हर कोई उठा लेता है।”
दुनिया के लिए ये आम बात है। क्योंकि दुनिया में कमजोर लोग हैं इसलिए उनपर से फायदा उठाना सबसे आसान होता हैं।
और शायद Dhoom के संदर्भ में यह कहावत एकदम सही है। उसकी मजबूरी, उसकी ignorance और सोशल मीडिया की दुनिया की समझ का अभाव उन लोगों के लिए बड़ा हथियार बन गया है, जो केवल अपने लाइक्स और व्यूज़ को बढ़ाने के लिए उसके आस-पास मंडराते हैं। वे उसके पास जाते हैं, उसके साथ मज़ाक करते हैं, उसका अपमान करते हैं, वीडियो बनाते हैं और उन्हें सोशल मीडिया पर डाल देते हैं। इन वीडियो से उन लोगों को बेहतर लाइक्स और व्यूज़ तो मिलते हैं, लेकिन Dhoom? बेचारा तो यह नहीं समझ पाता कि उसके साथ क्या हो रहा है। उसकी मासूमियत और कमजोरी ही कंटेंट का रूप ले लेती है।
सामान्य और सम्मानजनक ज़िंदगी जीने का अधिकार
अगर आपने उसके वीडियो को ध्यान से देखा है, तो एक चीज़ स्पष्ट होती है – उसे नशे की लत है।
“क्या उसे नशे से मुक्त कराया जा सकता है?”
हर इंसान का हक है एक सामान्य और सम्मानजनक ज़िंदगी जीने का। अगर वह किसी मजबूरी, दर्द, या जीवन की किसी घटना के चलते नशे का आदी बन गया है, तो क्या इस स्थिति से उसे बाहर निकालना हमारा दायित्व नहीं है?
क्या किसी ने सोचने की कोशिश की कि उसे पुनर्वास केंद्र भेजा जाए? या फिर उसे मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान की जाए? क्या हम मान सकते हैं कि उसकी ज़िंदगी भी बेहतर हो सकती है?
लेकिन न तो किसी ने यह सवाल उठाया कि—
“क्या तुम्हें कुछ चाहिए?”
“क्या तुम ठीक हो?”
“तुम्हारे परिवार में कौन है?”
“तुम्हारा असली नाम क्या है?”
“क्या तुम्हें काम करने का मौका मिले तो तुम क्या करोगे?”
“तुम्हें जिंदगी से क्या चाहिए?”
Dhoom इस वायरल नाम के पीछे एक व्यक्ति छिपा है
यही असली सवाल हैं… ये प्रश्न हैं जो कहीं कैमरे में कैद नहीं होते।
“Dhoom” इस वायरल नाम के पीछे एक व्यक्ति छिपा है। लोग उसे पहचानने में तो सफल रहे, लेकिन उनकी वास्तविक आवश्यकताओं के बारे में पूछने की किसी ने परवाह नहीं की।
यहां यह महत्वपूर्ण है कि जिला प्रशासन ऐसे लोगों पर ध्यान दे जो सड़क पर जिंदगी बिताते हैं और जिनका कोई सहारा नहीं है। वे पूरी तरह से बेसहारा हैं और नशे के कारण अपने जीवन को और भी कठिन बना लेते हैं। उनकी सहायता करना आवश्यक है और उन्हें इन हानिकारक आदतों से बाहर निकालना बहुत जरूरी है।
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