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Justice Surya Kant बने भारत के 53वें Chief Justice: चुनौतियों से भरा 15 महीने का कार्यकाल
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक नया दौर शुरू हो गया है। जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) ने आज 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। यह खबर पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। राष्ट्रपति ने उन्हें शपथ दिलाई। अब सवाल यह है कि यह बदलाव न्याय व्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नया अध्याय
जस्टिस सूर्यकांत का ऐतिहासिक शपथ ग्रहण
जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों शपथ ली। यह क्षण ऐतिहासिक था। सुप्रीम कोर्ट में सैकड़ों लोग मौजूद थे। शपथ के बाद उन्होंने कहा कि न्याय की सेवा जारी रखेंगे। यह भारत के न्यायिक इतिहास में नया अध्याय जोड़ता है।
कार्यकाल की अवधि और महत्व
उनका कार्यकाल 15 महीने का है। इतना छोटा समय चुनौतियों से भरा होगा। यह अवधि न्यायिक मामलों को तेजी से निपटाने का मौका देगी। भारत की न्याय प्रणाली मजबूत बनेगी। लाखों मामले लंबित हैं। नया सीजेआई इन्हें सुलझा सकता है।
उत्तराधिकार की परंपरा और संदर्भ
जस्टिस सूर्यकांत सीजेआई बी.आर. गवई की जगह लेंगे। यह परंपरा पुरानी है। हमेशा सबसे सीनियर जज को चुना जाता है। गवई ने नाम सुझाया। इससे प्रक्रिया सुचारू रही। देश की न्यायिक स्थिरता बनी रहती है।
मुख्य न्यायाधीश चयन की संवैधानिक पृष्ठभूमि
अनुच्छेद 124 (धारा 2) की भूमिका
संविधान का अनुच्छेद 124 धारा 2 मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति बताता है। इसमें निवर्तमान सीजेआई नाम सुझाते हैं। राष्ट्रपति फैसला करते हैं। यह प्रावधान स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है। कोलेजियम सिस्टम भी यहीं से आता है।
निवर्तमान सीजेआई की सिफारिश
सीजेआई बी.आर. गवई ने जस्टिस सूर्यकांत का नाम रखा। यह संविधान के नियमों के मुताबिक था। सिफारिश औपचारिक तरीके से भेजी गई। गवई ने परंपरा निभाई। इससे कोई विवाद नहीं हुआ।
राष्ट्रपति की मुहर और नियुक्ति की पुष्टि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सिफारिश पर सहमति दी। नियुक्ति की अधिसूचना जारी हो गई। शपथ ग्रहण तुरंत हुआ। यह प्रक्रिया तेज थी। लोकतंत्र की मजबूती दिखी।
जस्टिस सूर्यकांत: न्यायिक यात्रा और अनुभव
करियर की प्रमुख नियुक्तियां और अनुभव
जस्टिस सूर्यकांत ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जज के रूप में काम किया। 2021 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कई बड़े मामले संभाले। उनका अनुभव गहरा है। सेवा में ईमानदारी दिखाई।
सुप्रीम कोर्ट में सबसे सीनियर जज थे। परंपरा के मुताबिक चुने गए। यह सिद्धांत 1990 से चला आ रहा। जस्टिस सूर्यकांत ने इसे पूरा किया। भविष्य में भी यही होगा।
भविष्य की संभावित न्यायिक दिशा
नए सीजेआई के नेतृत्व में मामले तेजी से चलेंगे। डिजिटल न्याय पर जोर। पर्यावरण और मानवाधिकार के केस प्राथमिकता में। उनके फैसले प्रभावशाली होंगे। देश को फायदा होगा।
सीजेआई गवई 65 साल पूरे कर चुके। नियमों के तहत रिटायर हुए। पद छोड़ने से पहले उत्तराधिकारी चुना। विदाई समारोह भावुक था।
गवाई का योगदान और विरासत
उनके कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले आए। संविधान की रक्षा की। कोर्ट की कार्यप्रणाली सुधारी। दलित समुदाय के लिए प्रेरणा बने। उनकी विरासत बनी रहेगी।
गवई ने वरिष्ठता पर आधारित नाम सुझाया। प्रक्रिया बिना रुकावट चली। सुप्रीम कोर्ट मजबूत बना। यह परंपरा की जीत है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका और उत्तरदायित्व
सीजेआई के प्रशासनिक और न्यायिक कार्य
सीजेआई फैसले सुनाते हैं। साथ ही कोर्ट चलाते हैं। जजों की नियुक्ति में भूमिका। दोहरी जिम्मेदारी संभालते हैं।
नए सीजेआआई बेंच बनाते हैं। बड़े केस बांटते हैं। यह निष्पक्षता लाता है। प्रक्रिया पारदर्शी है।
- संवैधानिक बेंच: महत्वपूर्ण मामले।
- डिवीजन बेंच: सामान्य अपील।
- सिंगल बेंच: छोटे विवाद।
न्यायिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता बनाए रखना
सीजेआआई स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं। जनता को भरोसा देते हैं। फैसले खुले होते हैं। संस्था मजबूत रहती है।
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