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KARNATAKA CHUNAV: कर्नाटक हार गई भाजपा, कांग्रेस को मिली बहुत बड़ी जीत

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KARNATAKA CHUNAV: कर्नाटक के ‘नाटक’ में भारतीय जनता पार्टी हार गई। कांग्रेस बहुमत में आ गई। जेडीएस का किंग और किंगमेकर बनने का सपना बिखर गया। इस चुनाव ने ये रास्ता दिखाया कि राज्यों में बीजेपी को स्थानीय मुद्दों पर रोका जा सकता है।

कर्नाटक चुनाव में पीएम मोदी और अमित की कामयाब जोड़ी कांग्रेस को रोक नहीं पाई। कांग्रेस अकेले दम सरकार बनाने जा रही है। कांग्रेस को कुल 136 सीटें मिली हैं।

बता दें कि 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस को कुल 136 सीट मिली है। कांग्रेस को 56 सीटों का फायदा हुआ है। बीजेपी को 65 सीटें मिली हैं। उसे 39 सीटों का भारी नुकसान हुआ है। जेडीएस को 19 सीटें ही मिल पाई हैं। उसको 18 सीटों का घाटा उछाना पड़ा है। वहीं अन्य को 4 सीटें मिली हैं।

 

कर्नाटक असेंबली चुनाव में आंकड़ों पर गौर करें तो 224 सीटों वाली कर्नाटक असेंबली में कांग्रेस अकेले दम पर सरकार बना रही है। वहीं बीजेपी ने पिछले चुनाव में जो सेंचुरी मारी थी। वो हॉफ सेंचुरी मारकर हाँफकर 65 सीट पर रुक गई। वहीं जेडीएस का किंग और किंगमेकर बनने का सपना बिखर गया। वो बीते चुनाव के आंकड़े के इर्द-गिर्द भी सीटें बटोर पाई। वो 19 सीट ही जीत सकी।

कर्नाटक चुनाव में बजरंगबली बीजेपी के काम तो न आ सके, लेकिन कांग्रेस को बहुमत दिला गए। चुनाव में कांग्रेस 136 सीटें, बीजेपी 65 और जेडी (एस) 19 और अन्य 4 सीटों पर जीतने में कामयाब रहे।

एक नज़र अब क्षेत्रवार सीटों पर डालते हैं।

बेंगलुरु कर्नाटक: ये बेंगलुरु और आसपास का इलाका है। यहां बीजेपी, कांग्रेस और जेडी (एस) तीनों पार्टियां जीतती रही हैं। 2023 के नतीजों में इस इलाके में जेडी (एस) को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। यहां से जेडी (एस) की 6 सीटें कम हो गईं, वहीं बीजेपी की 5 सीटें बढ़ गईं।

बाम्बे कर्नाटक: लिंगायत बहुल ये इलाका बीजेपी का गढ़ माना जाता है। 2023 के नतीजों में बीजेपी को यहां 14 सीटों का नुकसान हुआ है, वहीं कांग्रेस को 16 सीटों का फायदा हुआ है।

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सेंट्रल कर्नाटकः 2018 में बीजेपी यहां सबसे ज्यादा सीटें जीती थी, लेकिन 2023 के चुनाव में बीजेपी को यहां से सबसे ज्यादा 16 सीटों का नुकसान हुआ। कांग्रेस ने 2018 के मुकाबले दोगुनी सीटें जीतीं।

कोस्टल कर्नाटकः इस इलाके में भी बीजेपी को नुकसान हुआ है और कांग्रेस ने फायदा उठाया।

हैदराबाद कर्नाटकः इस इलाके में बीजेपी की सीटें 12 से घटकर 8 रह गई हैं और कांग्रेस की सीटें 15 से बढ़कर 20 हो गई हैं।

ओल्ड मैसूरुः वोक्कालिगा बहुल ये इलाका जेडी (एस) का गढ़ रहा है। 2023 के नतीजों में यहां से जेडी (एस) को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उसकी सीटें 14 से घटकर महज 2 रह गई हैं। यहां कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा मिला। इसी इलाके में राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की थी।

बता दें कि 10 मई को कर्नाटक असेंबली के चुनाव हुए थे। बीजेपी यहां पर सत्ता में थी। कांग्रेस विपक्ष में थी। चुनाव में बीजेपी ने पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा समेत केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फौज लगा रखी थी। वहीं कांग्रेस ने लोकल मुद्दे और लोकल नेताओं पर भरोसा किया था।

 

KARNATAKA CHUNAV:  कर्नाटक में बीजेपी की हार के कई कारण गिनाए रहे हैं। जैसे की आंतरिक कलह। चुनाव के दौरान ही नहीं, बल्कि इससे काफी पहले से भाजपा में आंतरिक कलह की खबरें सामने आ चुकी थीं। कर्नाटक भाजपा में कई धड़े बन चुके थे। एक मुख्यमंत्री पद से हटाए गए बीएस येदियुरप्पा का गुट था, दूसरा मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का, तीसरा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और चौथा भाजपा प्रदेश नलिन कुमार कटील का था। एक पांचवा फ्रंट भी था, जो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि का था। इन सभी फ्रंट में भाजपा के कार्यकर्ता पिस रहे थे। सभी के अंदर पॉवर गेम की लड़ाई चल रही थी।

 

दूसरे टिकट बंटवारे ने बाकी का खेल बिगाड़ दिया। भारतीय जनता पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही थी। ऐसे समय टिकट बंटवारे को लेकर भी बड़ी गड़बड़ी हुई। पार्टी के कई दिग्गज नेताओं का टिकट काटना भाजपा को भारी पड़ा। पार्टी नेताओं की बगावत ने भी कई सीटों पर भाजपा को नुकसान पहुंचाया है। करीब 15 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं, जहां भाजपा के बागी नेताओं ने चुनाव लड़ा और पार्टी को बड़ा नुकसान पहुंचाया। जगदीश शेट्टार, लक्ष्मण सावदी जैसे नेताओं का अलग होना भी पार्टी के लिए नुकसान साबित हुआ।

 

वहीं बीजेपी को भ्रष्टाचार के आरोपों ने नुकसान पहुंचाया पहुंचाया। भ्रष्टाचार का मुद्दा पूरे चुनाव में हावी रहा। चुनाव से कुछ समय पहले ही भाजपा के एक विधायक के बेटे को रंगे हाथों घूस लेते हुए पकड़ा गया था। इसके चलते भाजपा विधायक को भी जेल जाना पड़ा। एक ठेकेदार ने भाजपा सरकार पर 40 प्रतिशत कमिशनखोरी का आरोप लगाते हुए फांसी लगा ली थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे को पूरे चुनाव में जोरशोर से उठाया। राहुल गांधी से लेकर मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी तक ने इस मुद्दे को खूब भुनाया। जनता के बीच भाजपा की छवि धूमिल हुई और पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

 

बीजेपी के लिए दक्षिण बनाम उत्तर की लड़ाई का भी असर दिखा। इस वक्त दक्षिण बनाम उत्तर की बड़ी लड़ाई चल रही है। भाजपा राष्ट्रीय पार्टी है और मौजूदा समय केंद्र की सत्ता में है। ऐसे में भाजपा नेताओं ने हिंदी बनाम कन्नड़ की लड़ाई में मौन रखना ठीक समझा। वहीं, कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने मुखर होकर इस मुद्दे को कर्नाटक में उठाया। नंदिनी दूध का मसला इसका उदाहरण है। कांग्रेस ने नंदिनी दूध के मुद्दे को खूब प्रचारित किया। एक तरह से ये साबित करने की कोशिश की है कि भाजपा उत्तर भारतीय कंपनियों को बढ़ावा दे रही है, जबकि दक्षिण के लोगों को किनारे लगाया जा रहा है।

 

आरक्षण का मुद्दा भी भारी पड़ा। कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने चार प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण खत्म करके लिंगायत और अन्य वर्ग में बांट दिया। पार्टी को इससे फायदे की उम्मीद थी, लेकिन ऐन वक्त में कांग्रेस ने बड़ा पासा फेंक दिया। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का एलान कर दिया। इसने भाजपा के हिंदुत्व को पीछे छोड़ दिया। आरक्षण के वादे ने कांग्रेस को बड़ा फायदा पहुंचाया। लिंगायत वोटर्स से लेकर ओबीसी और दलित वोटर्स तक ने कांग्रेस का साथ दिया।

 

KARNATAKA CHUNAV: इस साल कर्नाटक के बाद अब 5 अन्य राज्यों में चुनाव होने हैं। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना शामिल है। इसके अलावा अगले साल यानी 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इसके बाद 7 राज्यों में चुनाव होने हैं। कुल मिलाकर अगले दो सालों में लोकसभा के साथ-साथ 13 बड़े राज्यों के चुनाव होने हैं। इनमें कई दक्षिण के राज्य भी हैं। इसलिए BJP के लिए कर्नाटक की हार को बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं, मुश्किलों में घिरी कांग्रेस के लिए जीवनदान साबित हुई।

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