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कोशी तटबंध के भीतर बाढ़ कटाव पीड़ितों का धरना: 17 सूत्रीय मांगें, 7 अक्टूबर से जल सत्याग्रह की चेतावनी

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सुपौल में कोशी तटबंध के भीतर रहने वाले बाढ़ कटाव पीड़ितों ने कोशी नव निर्माण मंच के नेतृत्व में 17 सूत्रीय मांगों के समर्थन में डिग्री कॉलेज चौक पर एक दिवसीय धरना दिया, जिसमें पुनर्वास, बाढ़ घोषित, गृह क्षति मुआवजा, सर्वे और टैक्स माफी जैसी मांगें प्रमुख रहीं; अस्वीकार होने पर 7 अक्टूबर से मुंगरार घाट पर अनिश्चितकालीन जल सत्याग्रह की घोषणा की गई।

घटना का सार और स्थान

26 सितम्बर, सुपौल: कोशी नव निर्माण मंच ने डिग्री कॉलेज चौक पर बाढ़ कटाव पीड़ितों की समस्याओं और अधिकारों को लेकर शांतिपूर्ण धरना आयोजित किया, जहां बड़ी संख्या में तटबंध के भीतर से आए प्रभावित परिवार शामिल हुए। ADM के प्रतिनिधि की मौजूदगी में 17 सूत्रीय मांग पत्र डीएम के नाम सौंपा गया और समयबद्ध कार्रवाई की मांग उठी।

17 सूत्रीय मांगों के प्रमुख बिंदु

  • तटबंध के भीतर पानी से घिरे गांवों को आधिकारिक रूप से बाढ़ प्रभावित घोषित किया जाए।
  • जिन कटाव पीड़ितों के पास बसने की जमीन नहीं है, उन्हें पुनर्वास की खाली जमीन या सरकारी जमीन पर बसाया जाए।
  • गृह क्षति सहित अन्य क्षतिपूर्ति समयबद्ध तरीके से दिलाई जाए और फसल/आजीविका नुकसान का आकलन किया जाए।
  • कोशी पीड़ित विकास योजना को पुनर्जीवित किया जाए और छाड़न धाराओं का पुनर्जीवन कर वैकल्पिक समाधान लागू हों
  • लगान मुक्ति और पुनर्वास भूमि पर बसे परिवारों से होल्डिंग टैक्स माफ किया जाए।

पीड़ितों की आवाज़ और प्रभावित गांव

धरने में लालगंज, बेला गोठ, खोखनहा, पंचगछिया, बौराहा, मानिकपुर, हासा, सिकरहटा, सियानी, निर्मली, बलवा, सुकुमारपुर, बगहा, मुसहरनिया, दिघीया सहित कई गांवों से आए लोगों ने बाढ़ और कटाव में घर-आजीविका उजड़ने की पीड़ा साझा की। 2024 की बाढ़ में ख़खई स्पर पर बसे महादलित परिवारों के घर कटे लेकिन आज तक गृह क्षति सहायता न मिलने और पानी भरे रास्तों की मजबूरी जैसी समस्याएं सामने आईं।

प्रशासनिक पहलू और अगला कदम

सुपौल डीएम और एडीएम की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि ने स्थल पहुंचकर मांग पत्र लिया और संतोषजनक समाधान का आश्वासन दिया गया। सर्वसम्मति से तय किया गया कि मांगें नहीं माने जाने पर 7 अक्टूबर से मुंगरार घाट पर अनिश्चितकालीन जल सत्याग्रह शुरू किया जाएगा।

संचालन, अध्यक्षता और सहयोग

धरना का संचालन परिषदीय अध्यक्ष इंद्र नारायण सिंह ने किया, जबकि अध्यक्षता आलोक राय, राजेश मंडल, राजेंद्र यादव, अरविंद मेहता और कमलवती ने संयुक्त रूप से की। धन्यवाद ज्ञापन धर्मेन्द्र कुमार ने किया और कार्यक्रम में उमेश पासवान, चंद्रमोहन यादव, जनोद, प्रिय कुमार, विशनदेव सदा, फुदय मुखिया, चन्नू, रामचंद्र यादव, मो. सदरूल, अमित, महेंद्र यादव सहित अनेक लोगों ने विचार रखे, वहीं संतोष मुखिया, जय प्रकाश, संजय यादव, मनीष, शिवशंकर मंडल, आरिफ निजाम, भीम सदा आदि ने व्यवस्थापन संभाला।

निष्कर्ष:

प्रभावित समुदायों की सुरक्षा, सम्मानजनक पुनर्वास और पारदर्शी क्षतिपूर्ति के लिए प्रशासनिक तंत्र का त्वरित और ठोस हस्तक्षेप आवश्यक है; संबंधित विभागों से समयबद्ध कार्ययोजना और जनभागीदारी आधारित समाधान अपेक्षित हैं।

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