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पापी ‘वोट’ जो न कराये!
Krishna Banam Jarasandh: उधर काशी और अयोध्या का ‘उद्धार’ कर चुके, संवार चुके योगी आदित्यनाथ अब कृष्ण जन्म स्थान मथुरा को ‘मुक्त’ करने की बात कर रहे हैं. होली के मौके पर शायद कुछ ‘विशेष’ भी करने की; या कम से कम खास घोषणा करने की तैयारी भी हो! इधर उनके ‘सखा’, एनडीए के घटक दल जदयू प्रमुख बिहार की ‘डबल इंजन’ सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गत 8 मार्च को राजगीर के जयप्रकाश उद्यान में सम्राट जरासंध स्मारक का लोकार्पण और जरासंध की 21 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. मीडिया की खबरों में जरासंध को महान योद्धा और ‘मगध सम्राट’ बताया गया है!
बिहार की राजनीति और उसमें जाति की भूमिका समझने वालों को इसमें कुछ अजूबा न लगता हो, पर कृष्ण पूजक इस देश में जरासंध का यह महिमामंडन कुछ अटपटा नहीं लगता! वैसे नीतीश सरकार में शामिल भाजपा के मंत्रियों को भी नहीं लगा!
हमें मालूम है कि आम हिंदू की नजर में जरासंध भले ही खलनायक हो, बिहार के चंद्रवंशी समुदाय के लिए वह नायक है! ये लोग भी फिलहाल ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ के नारे ही लगाते हैं; मगर ‘बिरादरी की शान’ का भी तो सवाल है!
संक्षेप में महाभारत काल के इस महान योद्धा की चर्चा : कथा के अनुसार कृष्ण का मामा था कंस, जिसने उनकी मां देवकी (अपनी बहन) और बहनोई को बंदी बना लिया था. इसलिए कि किसी ने बता दिया था कि उनकी आठवीं संतान के हाथों उसकी (कंस की) मौत होनी है. अब उसे मूर्ख कहें या उदार, उसने जेल में दोनों को एक साथ रहने दिया, ताकि प्रजनन करते रहें. आगे की कथा सभी जानते हैं.
इसमें जरासंध का एंगल यह कि वह कंस का ससुर था. उसकी दो पुत्रियों ने ‘स्वेच्छा’ से कंस से विवाह किया था. जाहिर है, तब कोई ‘कोड बिल’ नहीं था. तो कृश्न के हाथों अपने दामाद कंस की हत्या की खबर सुन कर जरासंध ने कृष्ण को मार डालने का प्रण कर लिया. तब मथुरा पर वसुदेव राजा के रूप में विराजित हो चुके थे. जरासंध ने बारम्बार मथुरा पर हमला लिया, कृष्ण को मथुरा से पलायन करना पड़ा. शायद इसी कारण उनका एक नाम ‘रणछोड़’ भी है. आखिर उन्होंने द्वारका (गुजरात) में अपनी राजधानी बनायी. तब तक कौरव- पांडव विवाद शुरू हो गया. कृष्ण पाँडवों के करीबी और रिश्तेदार भी थे. कुंती उनकी बुआ थीं. वे जरासंध और उसकी दुष्टता को भूले नहीं थे. आखिर बलशाली भीम की सहायता से उसे पराजित किया, भीम ने जरासंध का ‘वध’ कर दिया. जरासंध के कारागार में बंद हजारों जवान महिलाओं सहित अन्य निरपराध लोगों को मुक्त कराया गया. यह भी कहा जाता है कि कृष्ण की 16 हजार कथित पटरानियाँ भी जरासंध की कैद से मुक्त कारायी गयी स्त्रियां ही थीं, जिनको ‘सम्मानित’ जीवन और पहचान देने के लिए कृष्ण ने उनसे विवाह कर लिया था!
तो सवाल उठता है कि कृष्ण को नायकत्व देने वाली महाभारत कथा का खलनायक जरासंध आज नीतीश कुमार और चंद्रवंशी समाज का नायक कैसे हो गया!
किसी बात के लिए औरंगजेब की तारीफ करने वाला हिंदू द्रोही हो जाता है, तो कृष्ण के शत्रु जरासंध, जिसकी उन्होंने भीम के हाथों हत्या करायी, के यशोगान से किसी को फर्क क्यों नहीं पड़ता! लगता तो यही है कि न योगी इस पर कुछ बोलेंगे, न मोदी!
पापी वोट जो न कराये!
- श्रीनिवास, वरिष्ठ पत्रकार