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Lallan Singh का चौंकाने वाला समर्थन: खुलेआम बाहुबली अनंत सिंह की तारीफ

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बिहार विधानसभा चुनावों के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जो दिल दहला देने वाली है। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह (Lallan Singh), जो खुद को बिहार का सोशल इंजीनियर कहते हैं, ने खुलेआम बाहुबली अनंत सिंह की तारीफ की है। यह बयान नीतीश कुमार सरकार की सुशासन वाली कहानी को झकझोर रहा है। लोग सोच रहे हैं कि अपराधी को मसीहा बताना क्या सही है? हम सब जानते हैं कि बिहार के लोग अब साफ-सुथरी राजनीति चाहते हैं, लेकिन यह घटना दुख दे रही है।

बिहार की शासन कहानी का खुलासा: एक विवादास्पद शुरुआत

नीतीश कुमार की सरकार हमेशा से सुशासन का दावा करती रही है। लेकिन ललन सिंह का अनंत सिंह को समर्थन इस छवि को तोड़ रहा है। अनंत सिंह पर भारी अपराध के केस हैं, फिर भी उन्हें हीरो बनाया जा रहा है। यह बयान एनडीए के अंदर की हकीकत दिखाता है। बिहार के वोटरों को लग रहा है कि उनका भरोसा टूट रहा है। हम देख रहे हैं कि चुनावी दबाव में नैतिकता कैसे दांव पर लग रही है।

ललन सिंह नीतीश कुमार के करीबी हैं। वे केंद्रीय मंत्री हैं और जेडीयू के बड़े नेता। अनंत सिंह को वे मसीहा बता रहे हैं। यह सुनकर बिहार के आम लोग परेशान हैं। वे सोचते हैं कि क्या यह गठबंधन अपराध को बढ़ावा दे रहा है? सुशासन का मतलब तो कानून का राज होता है, लेकिन यहां उल्टा हो रहा है।

ललन सिंह का बयान: हर उम्मीदवार अनंत सिंह जैसा बने

ललन सिंह ने कहा कि हर व्यक्ति अनंत सिंह बनकर चुनाव लड़े। यह बयान चुनावी मैदान में धमाल मचा रहा है। एक केंद्रीय मंत्री का ऐसा कहना शॉकिंग है। एनडीए में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन सुशासन की बात करता है। लेकिन यह बयान उसकी पोल खोल रहा है। बिहार के लोग दुखी हैं कि नेता अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। क्या यह राजनीति का नया रूप है?

यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोग इसे लेकर बहस कर रहे हैं। ललन सिंह का यह कहना एनडीए की रणनीति को उजागर करता है। वे बाहुबलियों को जोड़कर वोट चाहते हैं। लेकिन इससे आम आदमी का विश्वास कम हो रहा है। हम सब को लगता है कि बिहार को बेहतर भविष्य चाहिए।

अनंत सिंह का अपराधी रिकॉर्ड: सच्ची तस्वीर सामने

अनंत सिंह पर कुल 38 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 7 हत्या के केस हैं। 11 हत्या के प्रयास के मामले हैं। 4 अपहरण के केस भी शामिल हैं। दुलारचंद यादव हत्याकांड में उनका नाम आया था। फिर भी जेडीयू ने उन्हें मोकामा से टिकट दिया। यह फैसला बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाता है। लोग सोचते हैं कि अपराधी को टिकट देना सही कैसे?

  • हत्या के केस: 7 मामले, जो हिंसा की गहराई दिखाते हैं।
  • हत्या प्रयास: 11 केस, जो खतरे की भनक देते हैं।
  • अपहरण: 4 मामले, जो डर पैदा करते हैं।
  • कुल मुकदमे: 38, जो एक लंबी अपराधी लिस्ट बनाते हैं।

यह रिकॉर्ड सुशासन के दावों को चुनौती देता है। बिहार के युवा परेशान हैं। वे पूछते हैं कि ऐसा व्यक्ति विधायक कैसे बनेगा? हम सब को चिंता है कि अपराध राजनीति में घुस रहा है।

जेडीयू की रणनीति: चुनावी फायदे के लिए अपराध को संरक्षण
मोकामा टिकट और अपराध का हीरो बनना

जेडीयू ने अनंत सिंह को मोकामा से टिकट दिया। दुलारचंद यादव हत्याकांड में नामजद होने के बावजूद। यह कदम अपराध को हीरो बनाने जैसा है। पार्टी वोट बैंक जोड़ने के चक्कर में ऐसा कर रही है। बाहुबलियों का संरक्षण चुनाव जीतने का आसान रास्ता लगता है। लेकिन इससे बिहार का भविष्य अंधेरे में चला जाता है। आम लोग डरते हैं कि कानून का डर ही खत्म हो जाएगा।

यह टिकट एनडीए की कमजोरी दिखाता है। जेडीयू और बीजेपी साथ हैं, लेकिन नैतिकता कहां? बिहार के गांवों में लोग बात करते हैं कि अपराधी नेता बनेंगे तो विकास कैसे होगा? हम देखते हैं कि राजनीति में मसल पावर हावी हो रही है। दुख की बात है कि सुशासन का सपना टूट रहा है।

एनडीए की मानसिकता उजागर: नैतिकता से ऊपर वोट बैंक

यह घटना जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की मानसिकता दिखाती है। वे बाहुबलियों को संरक्षण देकर वोट जोड़ रहे हैं। कानून और विकास की बातें सिर्फ चुनावी जुमले लगते हैं। विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है। वे कहते हैं कि एनडीए अपराधियों को बचा रहा है। बिहार के वोटर सोच रहे हैं कि सच्चाई क्या है?

एनडीए हमेशा कानून व्यवस्था की तारीफ करता है। लेकिन अनंत सिंह का मामला उल्टा साबित कर रहा है। लोग निराश हैं। वे चाहते हैं कि नेता साफ हों। अपराधी को टिकट देना वोट बैंक की राजनीति है। इससे बिहार की छवि खराब हो रही है। हम सब को लगता है कि बदलाव की जरूरत है।

नीतीश कुमार के सुशासन की छवि का ढहना

नीतीश कुमार 2005 से सुशासन का वादा करते आ रहे हैं। कानून व्यवस्था सुधारने का दावा था। लेकिन ललन सिंह का बयान इस पर सवाल खड़े कर रहा है। उनके करीबी का ऐसा समर्थन सरकार की एंटी-क्राइम इमेज को कमजोर करता है। बिहार के लोग दुखी हैं। वे सोचते हैं कि क्या अब अपराध बढ़ेगा? यह घटना विश्वास तोड़ रही है।

नीतीश कुमार की सरकार ने पहले अपराधियों को दूर रखने की कोशिश की। लेकिन अब उल्टा हो रहा है। ललन सिंह जैसे नेता इसका कारण हैं। आम आदमी परेशान है। वे पूछते हैं कि सुशासन कहां गया? हम देखते हैं कि राजनीतिक दबाव सब कुछ बदल देता है। दुख होता है जब उम्मीदें टूटती हैं।

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