Sen your news articles to publish at [email protected]
Maharashtra CM: संघ का कहना है कि अजित पवार और एकनाथ शिंदे, दोनों ही मराठा समुदाय से आते हैं। ऐसे में भाजपा के कुछ नेताओं द्वारा मराठा मुख्यमंत्री पर जोर देने का कोई ठोस कारण नहीं है।
महाराष्ट्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख तय हो चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस अभी भी बना हुआ है। इसी बीच खबर आ रही है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भाजपा के भीतर मुख्यमंत्री चयन पर हो रही चर्चाओं और जातिगत समीकरणों पर आधारित निर्णय से असंतुष्ट है। संघ ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का स्पष्ट संदेश दिया है।
फडणवीस ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन को शानदार जीत दिलाई, और वह संघ की स्वाभाविक पसंद हैं। लेकिन भाजपा के कुछ नेताओं ने अन्य दावेदारों के नाम भी सुझाए हैं। सियासी चर्चाओं में विनोद तावड़े, चंद्रशेखर बावनकुले, चंद्रकांत पाटिल और मुरलीधर मोहोल जैसे नामों की चर्चा है। इनमें तावड़े, पाटिल और मोहोल मराठा समुदाय से आते हैं, जबकि बावनकुले ओबीसी वर्ग से हैं। इन नामों ने जातिगत समीकरणों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
संघ इस बात से नाराज है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हुई है। संघ का मानना है कि चुनाव के दौरान फडणवीस के समर्थन में जोरदार अभियान चलाया गया था। आरएसएस की योजना के तहत 3000 स्वयंसेवकों ने हर जिले में महायुति की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रचार किया था।
संघ से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि फडणवीस को उनकी निर्णायक भूमिका के लिए मुख्यमंत्री चुना जाना चाहिए। ऐसा न करने पर आगामी चुनावों, खासकर बीएमसी चुनावों में पार्टी को नुकसान हो सकता है।
संघ का यह भी कहना है कि जिन चार नेताओं के नाम चर्चा में हैं, वे संघ के मार्गदर्शन का पालन नहीं कर रहे। जब यह मुद्दा पार्टी हाईकमान के सामने उठाया गया, तो मुरलीधर मोहोल को यह स्पष्ट करना पड़ा कि मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम केवल एक अफवाह है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, “हमारी पार्टी अनुशासित है और पार्टी का निर्णय ही अंतिम है। ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय संसदीय बोर्ड द्वारा सर्वसम्मति से लिए जाते हैं, न कि सोशल मीडिया चर्चाओं के माध्यम से।”
RSS का कहना है कि मराठा समुदाय से अजित पवार और एकनाथ शिंदे पहले से ही अहम भूमिकाओं में हैं। ऐसे में मराठा मुख्यमंत्री की मांग पर जोर देने का कोई औचित्य नहीं है।