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Medha Patkar: दिल्ली के एक अदालत ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना मानहानि मामले में दोषी ठहराया है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को आपराधिक मानहानि का दोषी करार दिया है।
बता दें कि एलजी वीके सक्सेना के बीच यह मामला 2003 से ही चल रहा है। तब मेधा पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ मामला दायर करवाया था। इसके बाद विनय कुमार सक्सेना मेधा पाटकर के खिलाफ टीवी चैनल पर मानिहानिकारक कॉमेंट करने का आरोप लगाते हुए दो केस दर्ज कराए थे।
एक टीवी चैनल पर पैनल चर्चा में पाटकर ने आरोप लगाया था कि सक्सेना को गुजरात में मौजूद सरदार सरोवर निगम से सिविल कॉन्ट्रैक्ट मिले थे, जो सरदार सरोवर बांध का मैनेजमेंट करता है। उस समय सक्सेना ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। उनकी टिप्पणियों के बाद सरदार सरोवर निगम लिमिटेड ने गुजरात पुलिस को पत्र लिखकर उनके आरोपों का खंडन किया।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मेधा पाटकर ने आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध किया है। इसके लिए उन्हें दोषी करार दिया जाता है। उनकी हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं। इसका मकसद केवल शिकायतकर्ता के नाम को खराब करना था। उनके कामों ने सही में लोगों की नजर में उनकी साख और प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचाया है।
इतना ही नहीं पाटकर ने अपने बयान में वी के सक्सेना को कायर कहा और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का भी आरोप लगाया था, ये न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी तैयार किए गए थे।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मेधा पाटकर ने आईपीसी की धारा 500 के तहत अपराध किया है। इसके लिए उन्हें दोषी करार दिया जाता है। उनकी हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं। इसका मकसद केवल शिकायतकर्ता के नाम को खराब करना था। उनके कामों ने सही में लोगों की नजर में उनकी साख और प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचाया है।
पाटकर ने अपने बयान में सक्सेना को कायर कहा और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का भी आरोप लगाया था, ये न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी तैयार किए गए थे।”