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Mokama murder case: दुलारचंद यादव केस में चौथा FIR दर्ज, अनंत सिंह की बढ़ीं मुश्किलें
बिहार के मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे इलाके को हिला दिया है। विधानसभा चुनावों के बीच यह घटना राजनीतिक तनाव को और गहरा रही है। अब चौथी FIR दर्ज हो गई है। इससे अनंत सिंह जैसे बड़े नाम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पुलिस जांच तेज कर रही है। क्या यह हत्याकांड चुनावी साजिश का हिस्सा है? आइए जानें पूरी कहानी।
मोकामा हत्याकांड अब सिर्फ एक मौत का मामला नहीं रह गया। यह चुनावी जंग का केंद्र बन चुका है। दुलारचंद यादव की हत्या गुरुवार दोपहर प्रचार के दौरान हुई। अनंत सिंह के समर्थक वहां थे। विवाद बढ़ा और फिर गोली चली। लेकिन पोस्टमार्टम ने नया राज खोला है। चौथी FIR से मामले में और पेंच फंस गई। अनंत सिंह JDU के प्रत्याशी हैं। उनकी मुश्किलें अब कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर बढ़ रही हैं। यह खबर बिहार की सियासत को नई दिशा दे सकती है।
दुलारचंद यादव हत्याकांड: प्राथमिकी का विस्तृत विवरण
पुलिस ने इस हत्याकांड में चार FIR दर्ज की हैं। हर FIR अलग-अलग पक्ष की कहानी बयां करती है। इससे जांच जटिल हो गई है। पहली FIR मृतक के परिवार ने दी। दूसरी अनंत सिंह के समर्थकों की ओर से। तीसरी और चौथी पुलिस की नजर में नए आरोपों पर आधारित हैं। ये FIR मामले को साफ करने के बजाय और उलझा रही हैं। पुलिस सभी पर नजर रखे हुए है।
पहली FIR: मृतक पक्ष द्वारा दर्ज शिकायत
नीरज कुमार ने यह FIR दर्ज कराई। वह दुलारचंद यादव के पोते हैं। FIR संख्या 110/25 है। यह भदौर थाने में दर्ज हुई। इसमें अनंत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया। राजवीर सिंह, कर्मवीर सिंह, छोटन सिंह और कंचम सिंह के नाम भी हैं। नीरज का कहना है कि प्रचार के दौरान अनंत सिंह समर्थकों के साथ आए। विवाद हुआ। अनंत सिंह ने पिस्तल से गोली चलाई। गोली दादा के पैर में लगी। फिर छोटन और कंचम सिंह ने ट्रैक्टर से कुचल दिया।
इस FIR में हत्या और साजिश के आरोप हैं। धारा 103(5) BNS 2023 लगी है। आर्म्स एक्ट की धारा 27 भी जोड़ी गई। यह FIR परिवार की पीड़ा बयां करती है। पुलिस इसे गंभीरता से ले रही है। अनंत सिंह पर सीधी कार्रवाई का दबाव है। लेकिन वीडियो सबूत इसे चुनौती दे रहे हैं।
दूसरी FIR: अनंत सिंह समर्थकों की ओर से दर्ज शिकायत
जितेंद्र कुमार ने यह FIR दी। वह अनंत सिंह का समर्थक है। FIR संख्या 111/25 है। इसमें आरोप पलट दिया गया। चल स्वराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी पर हमला का केस है। लखन महतो, बाजू महतो, नितीश महतो, ईश्वर महतो, अजय महतो और अज्ञात लोग भी नामजद हैं। जितेंद्र का बयान है कि ये लोग साजिश रच रहे थे। उन्होंने हमला किया।
BNS 2023 की धाराएं 126, 115, 109, 324, 352, 351(5) लगी हैं। यह FIR हमले और साजिश पर फोकस करती है। अनंत सिंह पक्ष का दावा है कि वे खुद शिकार बने। इससे मामला दोतरफा हो गया। पुलिस दोनों पक्षों की जांच कर रही है। चुनावी रंजिश साफ दिख रही है।
तीसरी और चौथी FIR: नए मोड़ और अन्य शिकायतें
तीसरी FIR पुलिस की ओर से जुड़ी है। लेकिन चौथी FIR गौतम कुमार ने दर्ज कराई। वह दीदारगंज का रहने वाला है। इसमें पंडरक के सुमित कुमार, शंभू कुमार, गोलू कुमार और पांच अज्ञात लोगों पर गोली चलाने का आरोप है। गौतम राजद प्रत्याशी रीना देवी के साथ बाढ़ जा रहे थे। दोपहर 1 बजे उनकी फॉर्च्यूनर गाड़ी पर हमला हुआ। नंबर BR01 JS2935 है।
चौथी FIR महत्वपूर्ण है। यह हत्याकांड को व्यापक बनाती है। कई लोगों को नामजद किया गया। पुलिस का कहना है कि आरोपी पंडरक के हैं। गोली चलाने का केस मजबूत है। इससे अनंत सिंह समर्थकों पर नया दबाव पड़ा। पुलिस जांच में यह FIR नया सबूत जोड़ती है। पूरा इलाका अब सतर्क है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और वीडियो फुटेज: जांच में आया नया मोड़
जांच में विरोधाभास सामने आ रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पहली FIR को कमजोर कर दिया। वीडियो फुटेज भी कहानी बदल रहा है। दुलारचंद यादव हत्याकांड अब सवालों के घेरे में है। पुलिस इन सबूतों पर गौर कर रही है। क्या सच्चाई गोली में है या कुचलने में? यह मोड़ मामले को नया रुख दे रहा है।
मौत के कारण पर विवाद
पोस्टमार्टम रिपोर्ट साफ कहती है। मौत गोली लगने से नहीं हुई। भारी वस्तु से दबने या गाड़ी से कुचलने से हुई। नीरज की FIR में गोली पैर में लगने का जिक्र है। लेकिन रिपोर्ट इससे मेल नहीं खाती। डॉक्टरों ने पुष्टि की है। सिर और शरीर पर कुचलने के निशान हैं। गोली का कोई असर नहीं।
यह विवाद जांच को प्रभावित कर रहा है। पुलिस अब कुचलने के सबूत ढूंढ रही है। परिवार दुखी है। लेकिन सच्चाई सामने आनी चाहिए। क्या अनंत सिंह पर गोली का आरोप गलत था? रिपोर्ट ने मामले को उलझा दिया।
घटना का वायरल वीडियो विश्लेषण
एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसमें दुलारचंद यादव पत्थर फेंकते दिख रहे हैं। यह पहली FIR के बयान से अलग है। नीरज ने कहा था कि अनंत सिंह ने पहले गोली चलाई। लेकिन वीडियो में दुलारचंद हमलावर लगते हैं। फुटेज प्रचार स्थल का है। विवाद की शुरुआत यहीं से हुई।
वीडियो साक्ष्य मजबूत है। पुलिस इसे जांच का हिस्सा बना रही है। यह अनंत सिंह पक्ष को फायदा दे सकता है। लेकिन पूरी घटना का वीडियो नहीं है। सिर्फ कुछ सेकंड। दुलारचंद हत्याकांड में यह फुटेज नया मोड़ लाया। लोग बहस कर रहे हैं। सच्चाई क्या है?
अनंत सिंह की बढ़ती राजनीतिक और कानूनी चुनौतियाँ
अनंत सिंह JDU के प्रत्याशी हैं। यह हत्याकांड उनके चुनावी सफर को प्रभावित कर रहा है। चौथी FIR से कानूनी दबाव बढ़ा। समर्थक परेशान हैं। क्या वे चुनाव लड़ पाएंगे? राजनीतिक हलचल तेज है। अनंत सिंह चुनाव में मजबूत माने जाते थे। अब मुश्किलें घेर रही हैं।
कानूनी कार्रवाई का प्रभाव
चौथी FIR ने अनंत सिंह को निशाने पर ला दिया। नामजद आरोपी बनने से कोर्ट जाना पड़ेगा। पुलिस गिरफ्तारी की कोशिश कर रही है। समर्थकों पर भी केस हैं। BNS धाराओं से सजा कड़ी हो सकती है। अनंत सिंह का बचाव मुश्किल है। वीडियो उनके पक्ष में है लेकिन रिपोर्ट खिलाफ। कानूनी लड़ाई लंबी चलेगी।
चुनावी आचार संहिता और पुलिस की सख्ती
मोकामा को छावनी बना दिया गया। पुलिस सख्ती से तैनात है। आचार संहिता का उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई। कोई प्रचार में हिंसा नहीं बर्दाश्त। अनंत सिंह के कार्यक्रम रद्द हो सकते हैं। पुलिस मोकामा पर नजर रखे हुए। चुनाव शांतिपूर्ण होने चाहिए। यह सख्ती सभी पक्षों को चेतावनी है।
निष्कर्ष: मोकामा में तनावपूर्ण चुनावी माहौल
मोकामा हत्याकांड ने बिहार की सियासत को हिला दिया। चार FIR दर्ज हैं। पहली में अनंत सिंह मुख्य आरोपी। दूसरी में पलटवार। चौथी से नया दबाव। पोस्टमार्टम और वीडियो ने विरोधाभास पैदा किया। मौत कुचलने से हुई। अनंत सिंह की मुश्किलें बढ़ीं। JDU प्रत्याशी पर कानूनी और राजनीतिक बोझ है।
यह मामला अब जटिल कानूनी पहेली बन गया। पुलिस जांच जारी है। चुनावों पर असर पड़ेगा। मोकामा में तनाव बना रहेगा। क्या सच्चाई सामने आएगी?
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